स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (फाइल) – फोटो : अमर उजाला
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सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी। उच्चतम न्यायालय के एक आदेश ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खुद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठा दिए हैं। ज्योतिष पीठ पर शंकराचार्य के पद को लेकर ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और स्वामी वासुदेवानंद महाराज के बीच में कानूनी लड़ाई चल रही थी। इस मामले पर 18 अक्तूबर को सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने शनिवार को एक आदेश जारी करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य पद पर पट्टाभिषेक की कार्यवाही को रोक दिया है। शीर्ष अदालत उस आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया था।
नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी याचिका में कहा गया है कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन है। ज्योतिष और द्वारिकापीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य घोषित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में स्वामी वासुदेवानंद की तरफ से बद्रिकाश्रम में आयोजित होने वाले पट्टाभिषेक कार्यक्रम पर रोक लगाने की याचिका 14 अक्तूबर को दी गई थी।
पुरी के शंकराचार्य ने भी उठाए थे सवाल पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने ट्वीट करके ज्योतिष पीठ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य के तौर पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठाए थे। ट्वीट में कहा गया था कि स्वामी स्वरूपानंद ने अपने जीवन में कभी किसी उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के पट्टाभिषेक पर रोक लगा दी। उच्चतम न्यायालय के एक आदेश ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के खुद को ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य घोषित करने पर सवाल उठा दिए हैं। ज्योतिष पीठ पर शंकराचार्य के पद को लेकर ब्रह्मलीन स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज और स्वामी वासुदेवानंद महाराज के बीच में कानूनी लड़ाई चल रही थी। इस मामले पर 18 अक्तूबर को सुनवाई होनी है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने शनिवार को एक आदेश जारी करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शंकराचार्य पद पर पट्टाभिषेक की कार्यवाही को रोक दिया है। शीर्ष अदालत उस आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया था।
नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी
याचिका में कहा गया है कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन है। ज्योतिष और द्वारिकापीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद उनके शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को ज्योतिष पीठ का शंकराचार्य घोषित कर दिया था।