Varanasi: ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक मामले में आज भी होगी सुनवाई, मसाजिद कमेटी पेश करेगी दलीलें

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मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता रईस अहमद और एखलाक अहमद

मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता रईस अहमद और एखलाक अहमद
– फोटो : अमर उजाला

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ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और मस्जिद हटा कर जमीन का कब्जा देने को लेकर दाखिल वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर बुधवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी दलील आगे बढ़ाई। वाद में उठाये गए सभी पैरों के अधूरे हिस्से को आगे बढ़ाते हुए कमेटी के अधिवक्ताओं ने दलीलें दीं। अदालत में अभी दलील जारी है और सुनवाई को जारी रखते हुए अदालत ने गुरुवार की तिथि नियत कर दी।

सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में अंजुमन पक्ष की ओर से अधिवक्ता रईस अहमद व एखलाक अहमद आदि ने दलील में कहा कि प्रापर्टी ऑफ डिस्प्यूट स्पष्ट नहीं है। वाद लाने का क्या कारण है, यह भी नहीं बताया गया। पक्षकार कैसे प्रभावित हैं, यह भी स्पष्ट नहीं है।

सिविल कोर्ट को इस मामले को सुनने का अधिकार नहीं
उन्होंने कहा, आदि विश्वेश्वर नाम के देवता हैं ही नहीं, जबकि वाद आदि विश्वेश्वर भगवान विराजमान व किरन सिंह पांच अन्य की तरफ से दाखिल किया गया। वाद में विवादित सम्पत्ति को मस्जिद बताया गया है जो वर्ष 1669 की बताई गई है। मस्जिद वक्फ की सम्पत्ति है और यह सम्पत्ति सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है और उसको पक्षकार ही नहीं बनाया गया है।

ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन व अन्य विग्रहों के संरक्षण के मुकदमे में वादिनी राखी सिंह की ओर से बुधवार को जिला जज की कोर्ट में एडवोकेट शिवम गौड़ ने आवेदन किया। आवेदन में कहा है कि ज्ञानवापी परिसर सर्वे के पहले एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दें। 

व्यक्तिगत मतभेद के कारण एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र का प्रतिवेदन प्रस्तुत न करना और स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर के साथ उनके मतभेद कमीशन की कार्रवाई के उद्देश्य को विफल कर रहे हैं। साथ ही, कमीशन की विश्वसनीयता पर संदेह की छाया पैदा करते हैं। यह मुकदमे के लिहाज से अपूरणीय क्षति है। उनकी रिपोर्ट और गवाही निश्चित रूप से इस मुकदमे के उचित निर्णय के लिए कोर्ट की सहायता करेगी।

एडवोकेट शिवम गौड़ के मुताबिक सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में कमीशन के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। यह सर्वे मई महीने में 6, 7, 14, 15 और 16 तारीख को हुई थी। कमीशन में शुरू से अंत तक एडवोकेट अजय कुमार मिश्रा मौजूद थे।

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बाद में स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने कोर्ट में कहा कि एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा रिपोर्ट जमा करने में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर को उनकी अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा।

उधर, राखी सिंह के पैरोकार विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट गायब कर दी गई है। यह एक अहम साक्ष्य है और उसे मिटाने का प्रयास किया गया है। इसीलिए उसे कोर्ट में पेश कराने के लिए हमारी ओर से आवेदन दिया गया है। इस मुकदमे को जिस तरह से कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है, उससे जुड़े लोग बच नहीं पाएंगे।

विस्तार

ज्ञानवापी में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक और मस्जिद हटा कर जमीन का कब्जा देने को लेकर दाखिल वाद सुनवाई योग्य है या नहीं, इस पर बुधवार को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अपनी दलील आगे बढ़ाई। वाद में उठाये गए सभी पैरों के अधूरे हिस्से को आगे बढ़ाते हुए कमेटी के अधिवक्ताओं ने दलीलें दीं। अदालत में अभी दलील जारी है और सुनवाई को जारी रखते हुए अदालत ने गुरुवार की तिथि नियत कर दी।

सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में अंजुमन पक्ष की ओर से अधिवक्ता रईस अहमद व एखलाक अहमद आदि ने दलील में कहा कि प्रापर्टी ऑफ डिस्प्यूट स्पष्ट नहीं है। वाद लाने का क्या कारण है, यह भी नहीं बताया गया। पक्षकार कैसे प्रभावित हैं, यह भी स्पष्ट नहीं है।

सिविल कोर्ट को इस मामले को सुनने का अधिकार नहीं

उन्होंने कहा, आदि विश्वेश्वर नाम के देवता हैं ही नहीं, जबकि वाद आदि विश्वेश्वर भगवान विराजमान व किरन सिंह पांच अन्य की तरफ से दाखिल किया गया। वाद में विवादित सम्पत्ति को मस्जिद बताया गया है जो वर्ष 1669 की बताई गई है। मस्जिद वक्फ की सम्पत्ति है और यह सम्पत्ति सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज है और उसको पक्षकार ही नहीं बनाया गया है।



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