Varanasi: नमामि गंगे ने विजय दिवस पर दशाश्वमेध घाट से अस्सी घाट तक इस अंदाज में दिया स्वच्छता का संदेश

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दशाश्वमेध घाट से अस्सी घाट तक इस अंदाज में दिया स्वच्छता का संदेश

दशाश्वमेध घाट से अस्सी घाट तक इस अंदाज में दिया स्वच्छता का संदेश
– फोटो : अमर उजाला

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नमामि गंगे ने शुक्रवार को विजय दिवस के अवसर पर दशाश्वमेध घाट से अस्सी घाट तक हजारों की संख्या में उपस्थित नागरिकों के समक्ष स्वच्छता हेतु जागरूकता की। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ नाव द्वारा लाउडस्पीकर से की गई जागरूकता के दौरान नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने गंगा किनारे उपस्थित नागरिकों को बताया कि गंगा मात्र एक नदी नहीं बल्कि राष्ट्र की जीवनधारा है। भारतीय मानस की अतल गहराइयों में गंगा बहती है। विश्व की अनेक संस्कृतियों और सभ्यताओं का जन्म नदियों के तट पर ही हुआ है। नदियां संस्कृति की संरक्षक हैं और संवाहक भी हैं। नदियों ने मनुष्य को जन्म तो नहीं दिया,  परंतु जीवन दिया है। हमारी नदियों को भी स्वच्छंद होकर अविरल एवं निर्मल रूप से प्रवाहित होने का पूर्ण अधिकार है । आज हमारे घरों , शहरों , उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल एवं प्रदूषित कर रही अन्य सामग्रियां विशाल मात्रा में नदियों एवं प्रकृति में प्रवाहित कर दी जाती है जो पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। गंगा सेवक राजेश शुक्ला ने जागरूक करते हुए बताया कि आदिकाल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने नदियों और प्राकृतिक संसाधनों को अध्यात्म से जोड़ा था,  ताकि उनका संरक्षण किया जा सके । प्रकृति के लिए लोगों के दिलों में आस्था के साथ अपनत्व का भाव जागृत होता रहे । जानकारी के अभाव तथा अवैज्ञानिक विकास के कारण अब हमने अपने प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया, उन्हें प्रदूषित किया और आज भी करते ही जा रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप जीवनदायिनी नदियों का अमृततुल्य जल विषाक्त होता जा रहा है । नदिया सूखती जा रही हैं । कुछ नदियों का तो अब अस्तित्व ही नहीं बचा है। भारतवर्ष के लिए माता की तरह हितकारिणी गंगा ने हमें जीवन दिया है, अब गंगा को जीवन देने की हमारी बारी है । सरकार के साथ – साथ हम सभी का जो गंगा के प्रति सरोकार है उसे समझना और ईमानदारी से निभाना होगा इसके लिए एक सेतु बनाना होगा। यह गंगा सेतु होगा जो सभी को जोड़ेगा और सबसे जुड़ेगा । इस प्रयास से हम गंगा जैसी अन्य जीवनदायिनी नदियों को बचाने में सफल हो पाएंगे ।

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नमामि गंगे ने शुक्रवार को विजय दिवस के अवसर पर दशाश्वमेध घाट से अस्सी घाट तक हजारों की संख्या में उपस्थित नागरिकों के समक्ष स्वच्छता हेतु जागरूकता की। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के साथ नाव द्वारा लाउडस्पीकर से की गई जागरूकता के दौरान नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने गंगा किनारे उपस्थित नागरिकों को बताया कि गंगा मात्र एक नदी नहीं बल्कि राष्ट्र की जीवनधारा है। भारतीय मानस की अतल गहराइयों में गंगा बहती है। विश्व की अनेक संस्कृतियों और सभ्यताओं का जन्म नदियों के तट पर ही हुआ है। नदियां संस्कृति की संरक्षक हैं और संवाहक भी हैं। नदियों ने मनुष्य को जन्म तो नहीं दिया,  परंतु जीवन दिया है। हमारी नदियों को भी स्वच्छंद होकर अविरल एवं निर्मल रूप से प्रवाहित होने का पूर्ण अधिकार है । आज हमारे घरों , शहरों , उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल एवं प्रदूषित कर रही अन्य सामग्रियां विशाल मात्रा में नदियों एवं प्रकृति में प्रवाहित कर दी जाती है जो पर्यावरण को प्रदूषित कर रही हैं। गंगा सेवक राजेश शुक्ला ने जागरूक करते हुए बताया कि आदिकाल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने नदियों और प्राकृतिक संसाधनों को अध्यात्म से जोड़ा था,  ताकि उनका संरक्षण किया जा सके । प्रकृति के लिए लोगों के दिलों में आस्था के साथ अपनत्व का भाव जागृत होता रहे । जानकारी के अभाव तथा अवैज्ञानिक विकास के कारण अब हमने अपने प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किया, उन्हें प्रदूषित किया और आज भी करते ही जा रहे हैं। जिसके परिणाम स्वरूप जीवनदायिनी नदियों का अमृततुल्य जल विषाक्त होता जा रहा है । नदिया सूखती जा रही हैं । कुछ नदियों का तो अब अस्तित्व ही नहीं बचा है। भारतवर्ष के लिए माता की तरह हितकारिणी गंगा ने हमें जीवन दिया है, अब गंगा को जीवन देने की हमारी बारी है । सरकार के साथ – साथ हम सभी का जो गंगा के प्रति सरोकार है उसे समझना और ईमानदारी से निभाना होगा इसके लिए एक सेतु बनाना होगा। यह गंगा सेतु होगा जो सभी को जोड़ेगा और सबसे जुड़ेगा । इस प्रयास से हम गंगा जैसी अन्य जीवनदायिनी नदियों को बचाने में सफल हो पाएंगे ।



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