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तेरहवीं (प्रतीकात्मक तस्वीर)
– फोटो : सोशल मीडिया
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रीति और परंपराओं को बदलते हुए वाराणसी के वाजिदपुर के लोगों ने गांव में किसी के निधन पर तेरहवीं नहीं करने का निर्णय लिया है। तेरहवीं पर होने वाले खर्च की बजाय छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जाएगा। तेरहवीं के दिन गांव में पौधरोपण किया जाएगा। हरहुआ के वाजिदपुर में बुधवार को गांव में स्थित पंचायत भवन पर ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया गया। वाजिदपुर के ग्राम प्रधान लालमन यादव और जिला पंचायत सदस्य मूलचंद यादव के पिता श्यामा यादव का निधन बीते रविवार को हो गया। दोनों बेटों की अगुवाई में बुधवार ग्रामीणों ने तेरहवीं प्रथा समाप्त करने पर निर्णय लिया।
ग्राम प्रधान लालमन यादव ने कहा कि आज के बाद गांव में किसी भी व्यक्ति के निधन के बाद उसकी तेरहवीं नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस किसी परिवार में किसी व्यक्ति का निधन हो जाता है उस परिवार में लोग पहले से ही दुखी रहते हैं। तेरहवीं करने के लिए मृतक के परिजनों को काफी परेशान होना पड़ता है। कई गरीब परिवारों को कर्ज तक लेने पड़ते हैं। ऐसे में गांव में अब तेरहवीं का सामूहिक रूप से बहिष्कार किया जाएगा।
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उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कमेटी बनाई जाएगी और कमेटी में ही अपनी इच्छा अनुसार तेरहवीं में होने वाले खर्च को जमा कर दिया जाएगा। उसके बाद कमेटी द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद उस रुपये को गांव के रहने वाले गरीब छात्र-छात्राओं के पढ़ाई लिखाई में खर्च किया जाएगा। यदि किसी गरीब बेटी की शादी में समस्या हो रही है तो उस व्यक्ति की मदद भी की जाएगी।
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