Vat Savitri Vrat: महिलाओं ने रखा पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत, जानिए इसका महत्व

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Women keep Vat Savitri fast for husband longevity

वट सावित्री व्रत
– फोटो : amar ujala

विस्तार

 वट सावित्री व्रत शुक्रवार को मनाया जा रहा है। महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत रख विधि-विधान से पूजन-अर्चन कीं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं। ऐसे में महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए इस व्रत को रखती हैं।

वट सावित्री व्रत का महत्व

पंडित डॉ. जोखन पांडेय शास्त्री के अनुसार, वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद के पेड़ की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। इसमें एक पौराणिक कथा भी जुड़ी है। मान्यता है कि वट वृक्ष ने ही सत्यवान के मृत शरीर को अपनी जटाओं के घेरे में सुरक्षित रखा था, जिससे कोई उसे नुकसान न पहुंचा सके। इसलिए वट सावित्री व्रत में प्राचीन समय से बरगद की पूजा होती है। ऐसा माना जाता है कि बरगद के वृक्ष में भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का वास होता है। इसकी पूजा करने से पति के दीर्घायु होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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वट सावित्री व्रत पूजन विधि

पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, इस दिन बांस की दो टोकरी लें। उनमें सप्तधान्य (गेहूं, जौ, चावल, तिल, कांगुनी, सॉवा, चना) भर लें। उन दोनों में से एक पर ब्रह्मा और सावित्री व दूसरी टोकरी में सत्यवान और सावित्री की प्रतिमा स्थापित करें। यदि उनकी प्रतिमाएं न हो तो मिट्टी या कुश में ही परिकल्पित कर स्थापित करें। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ब्रह्मा-सावित्री का, उसके बाद सत्यवान और सावित्री का पूजन करें। सावित्री के पूजन में सौभाग्य वस्तुएं चढ़ाएं। अब माता सावित्री को अर्घ्य दें। इसके बाद वट वृक्ष का पूजन करें। वट वृक्ष के पूजन के बाद उसकी जड़ों में प्रार्थना के साथ जल अर्पण करें। वट वृक्ष की परिक्रमा करते हुए उसके तने पर 108 बार कच्चा सूत लपेटें। यदि इतना न कर सकें, तो 28 बार अवश्य परिपालन करें। पूजा के अंत में वट सावित्री व्रत की कथा सुनें।

 

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