पहले चुनाव के बारे में जान लीजिए
1. संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं: उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं।
2. मनोनीत सांसद भी डाल सकते हैं वोट: राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं। राज्यसभा में 12 मनोनीत सदस्य होते हैं। अभी इनमें से तीन खाली हैं। हालांकि, उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले इन तीन सीटों को भरा जा सकता है।
अब आंकड़ो से जानिए कितने सदस्य वोट डालेंगे?
अभी लोकसभा में सदस्यों की संख्या पूरी है। मतलब पूरे 543 सांसद हैं। वहीं, राज्यसभा में कुल 245 सदस्य होते हैं। इनमें 12 नामित सांसद रहते हैं। मौजूदा समय में आठ सीटें खाली हैं। इनमें चार जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग होने के कारण जबकि एक सीट त्रिपुरा के नए मुख्यमंत्री बने माणिक साहा ने छोड़ी है। तीन अन्य नामित सदस्यों की सीट भी खाली है। सरकार उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले नामित सदस्यों के लिए खाली सीटें भर सकती है।
इस लिहाज से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए राज्यसभा वोटर्स के आंकड़े सामने आते हैं। पहला ये कि मौजूदा स्थिति में चुनाव में 237 राज्यसभा सांसद वोट करेंगे। दूसरा यह कि 240 सदस्य वोट कर सकते हैं। 240 सदस्य तब वोट करेंगे जब नामित सदस्यों के तीन खाली पदों को भर दिया जाए।
अब ओवरऑल वोटर्स के आंकड़ों पर नजर डालते हैं। अगर राज्यसभा के 240 सदस्य वोट डालते हैं तो ओवरऑल वोटर्स की संख्या 783 हो जाएगी, लेकिन अगर राज्यसभा के 237 वोटर्स होंगे तो ये आंकड़ा घटकर 780 हो जाएगा।
जीतने के लिए कितने वोट चाहिए?
अभी लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की संख्या के हिसाब से वोटर्स की दो संख्या निकलकर सामने आ रही है। पहली परिस्थिति में कुल 783 वोट पड़ सकते हैं। ऐसे में जीत के लिए उम्मीदवार को प्रथम वरीयता के 393 वोट चाहिए होंगे। दूसरी परिस्थिति में अगर 780 वोट पड़ते हैं तो उम्मीदवार को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 391 वोट चाहिए होंगे।
आगे तीन पॉइंट्स में जानें भाजपा कितनी मजबूत है?
1. भाजपा के खुद के आंकड़े पर्याप्त : मौजूदा समय में लोकसभा में भाजपा के 303 सदस्य हैं, जबकि राज्यसभा में 91 हैं। राज्यसभा में इन 91 के अलावा पांच नामित सदस्य भी भाजपा को वोट दे सकते हैं। इस तरह से भाजपा के पास मौजूदा समय 394 वोट आसानी से हो जाते हैं। इनमें पांच नामित सदस्यों के वोट जोड़ दें तो ये संख्या 399 हो जा रही है। मतलब साफ है भाजपा उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को खुद के बल पर आसानी से जीत दिला सकती है।
2. सहयोगी दल बनाएंगे और मजबूत : अगर सहयोगी दलों को भी इसमें शामिल कर लें तो भाजपा और मजबूत हो जाएगी। अभी लोकसभा में 31 और राज्यसभा में 16 सांसदों का समर्थन भाजपा को मिला हुआ है। इनमें जेडीयू, आरपीआई, लोक जन शक्ति पार्टी, अपना दल, एआईएडीएमके, एनपीपी जैसी पार्टियां शामिल हैं। इनके वोट जोड़कर भाजपा के पास 446 वोट हो जाते हैं।
3. विपक्ष के कई दलों का भी मिल सकता है साथ : बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बसपा, शिरोमणि अकाली दल जैसे कुछ और दलों ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया है। अगर ये दल उपराष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करते हैं आंकड़ा और बड़ा हो जाएगा।
बीजेडी के पास अभी लोकसभा और राज्यसभा के कुल 21, वाईएसआर कांग्रेस के पास 31, बसपा के पास 11, शिरोमणि अकाली दल के दो सदस्य हैं। इन सभी के मतों को अगर जोड़ लें तो भाजपा का आंकड़ा 500 के पार हो जाएगा। चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को 511 वोट मिल सकते हैं। मतलब जीत के लिए निर्धारित 393 या 391 मतों से कहीं ज्यादा वोट भाजपा उम्मीदवार को मिल जाएंगे।