कोलकाता। पंचायत चुनाव में इस तरह लोग हिंसक हो जायेंगे, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। पश्चिम बंगाल के चुनावी इतिहास में 8 जुलाई 2023 का दिन एक काले अध्याय के रूप में लिखा जाएगा। पंचायत चुनाव के दौरान न केवल 18 लोगों की हत्या की खबर सामने आई है, बल्कि बूथ कैप्चरिंग ने पूरे राज्य की साख पर बट्टा लगा दिया है। कहीं कोई शख्स मतपेटी लेकर भागता दिखाई दिया तो कहीं मतपेटी पानी में तैरती दिखी।
तोड़-फोड़, आगजनी, हंगामा, मारपीट समेत तमाम विवादों ने इस चुनाव के ऊपर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है कि क्या पश्चिम बंगाल में सच में कानून व्यवस्था नियंत्रण में है ? टीएमसी और बीजेपी के तमाम आरोप और प्रत्यारोप के बीच नुकसान तो जनता को ही उठाना पड़ रहा है, जो आज इस डर में है कि जब पंचायत चुनावों में ये हाल है तो साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में क्या होगा ? वहीं ममता बनर्जी के ट्विटर अकाउंट को देखकर ऐसा लगता है कि उन्होंने चुप्पी साध ली है। तमाम मुद्दों पर बीजेपी और केंद्र सरकार को घेरने वाली ममता ने पश्चिम बंगाल हिंसा पर एक भी ट्वीट नहीं किया और न ही कोई वीडियो जारी किया। अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर बूथ कैप्चरिंग के आरोप लग रहे हैं तो ममता क्यों चुप हैं ?
भाजपा नेता अमित मालवीय ने एसईसी व सीएम पर लगाया आरोप
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, स्ट्रांग रूम तक पहुंचने से पहले ठेकेदारों और स्थानीय प्रशासन की मदद से टीएमसी कार्यकर्ताओं को कई जगहों पर मतपेटियां बदलते हुए रंगे हाथों पकडा गया। भाजपा सांसद खगेन मुर्मू, स्थानीय विधायक और जिला परिषद उम्मीदवार ने उन्हें गाजोल और मालदा में ऐसा करते हुए पकडा। इसी तरह की घटनाएं पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर सहित अन्य जगहों पर भी दर्ज की गईं। एसईसी ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर इन चुनावों को एक तमाशा बना दिया है। वहीं बीएसएफ के एक सीनियर अधिकारी ने रविवार को कहा कि संवेदनशील मतदान केंद्रों पर बीएसएफ के बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने ऐसे बूथों की कोई जानकारी केंद्रीय सुरक्षा बलों को नहीं दी। बीएसएफ के डीआईजी एसएस गुलेरिया ने कहा कि बीएसएफ ने राज्य चुनाव आयोग को कई पत्र लिखकर संवेदनशील मतदान केंद्रों के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन 7 जून को छोडकर कोई अन्य जानकारी नहीं दी गई।