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एचआईवी मरीजों को टीबी का खतरा 90 फीसदी है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एचआईवी और टीबी की एक साथ हुई जांच में इसका खुलासा हुआ है। इसमें यह भी जानकारी मिली है कि एचआईवी और टीबी के बैक्टिरिया शरीर को तेजी से नुकसान पहुंचा रहे हैं। दोनों का असर मरीजों के दिमाग तक पहुंच रहा है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने यह शोध किया है, जिसे इस साल इंटरनेशनल जनरल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित करने की तैयारी है।
बताया कि इस साल 84 एचआईवी संक्रमित मरीजों की लक्षणों के आधार पर टीबी जांच कराई गई, इनमें 14 मरीज टीबी ग्रसित मिले हैं। इन मरीजों की प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर मिली है। साथ ही इन पर दवाओं का असर भी बेहद कम है। ये वायरस और बैक्टिरिया शरीर के सीडी काउंट-चार को तेजी से कम करते हैं। शरीर में सीडी काउंट-चार ही बीमारियों से रक्षा करता है।
डॉ अमरेश सिंह ने बताया कि एड्स वायरस और टीबी बैक्टिरिया की वजह से होती है। एचआईवी होने के बाद सीडी काउंट-चार नाम की कोशिका नष्ट हो जाती है। यही कोशिका शरीर को रोगों से बचाती है। इसी तरह टीबी भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करती है। दोनों मरीज के दिमाग में भी पहुंच जाते हैं। इसकी वजह से ऐसे मरीजों को न्यूरो संबंधी समस्याएं भी हो रही हैं। ऐसे मरीजों का इलाज बीआरडी के एआरटी सेंटर में चल रहा है।
एआरटी सेंटर में आने वाले मरीजों को अगर बार-बार शारीरिक असंतुलन, याददाश्त कमजोरी, लगातार सिर में दर्द, झनझनाहट, सूनापन की शिकायत हो रही है, तो ऐसे मरीज न्यूरो की समस्या से ग्रसित हैं। इसलिए इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें। जैसे ही लक्षण दिखे, तत्काल न्यूरो की जांच कराएं।
एक नजर आंकड़ों पर
एचआईव परामर्श 10,346
एचआईवी जांच 10,346
एचआईवी पॉजिटिव 411
ये आंकड़े इस साल जनवरी से लेकर 30 नवंबर तक के हैं।
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