World Environment Day: प्रकृति का खूबसूरत आंगन है चंबल, यहां बढ़ रहा दुलर्भ जीव-जंतुओं का कुनबा, देखें तस्वीरें

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न धूल न धुआं। सुकून देती हवा में गूंजता चिड़ियों का मधुर कलरव। रहस्य-रोमांच से भरी बीहड़ की वादियों में उछल-कूद करते काले चितकबरे हिरन। नदी की स्वच्छ निर्मल धार में खेलते विलुप्त प्राय घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए और डीप पूल में गोते लगाती डॉल्फिन। ये तस्वीर हैं 90 के दशक तक डकैतों के लिए कुख्यात रही चंबल के खूबसूरत आंगन की। 

आगरा के बाह क्षेत्र तक फैले चंबल क्षेत्र में प्रकृति अद्भुत छटा देखने को मिलती है। साफ-सुथरी चंबल नदी में लुप्तप्राय: जलीय जीवों का ठिकाना है। इसका स्वच्छ पानी घड़ियाल, मगरमच्छ, डाल्फिन, कछुओं के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। यहां इन दुर्लभ जलीय जीवों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। प्रवासी पक्षी भी यहां बढ़े हैं। 

सिर्फ चंबल में बचे हैं साल प्रजाति के कछुए

वर्ष 2008 से टर्टल सर्वाइवल एलायंस चंबल में कछुओं के संरक्षण में लगी है। टीएसए के प्रोजेक्ट ऑफिसर पवन पारीक ने बताया कि साल प्रजाति के कछुए सिर्फ चंबल नदी में बचे हैं। ढोर प्रजाति गंगा के अलावा चंबल में मौजूद हैं। दोनों प्रजातियों का कुनबा 500 हो गया है। इस साल 600 बच्चों का जन्म हुआ है। रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि कछुओं की आठ प्रजातियां साल, ढोर, सुंदरी, मोरपंखी, कटहवा, भूतकाथा, स्योत्तर, पचेड़ा प्रजाति का चंबल में संरक्षण हो रहा है।

बढे़ तेंदुए और हिरण

कंटीली झाड़ियों का दायरा सिमटने के साथ ही तेंदुए की आबादी बढ़ने लगी है। 90 के दशक तक तेंदुए बीहड़ में यदा कदा दिखते थे। एक साल में तेंदुए 24 से 30 हो गए हैं। तेंदुए के हमले को लेकर वन विभाग ने मानव वन्य जीव संघर्ष टालने के लिए बीहड़ी गांवों में समितियां बनाई हैं। राजस्थान से सटे बाह के बीहड़ में काले और चितकबरे हिरनों की आबादी भी 600 से 800 हो गई है।

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घड़ियालों का घर, डॉल्फिन भी बढ़ी

दुनिया में लुप्त प्राय स्थिति में पहुंचे घड़ियालों के लिए चंबल नदी संजीवनी बनकर उभरी है। साल भर में घड़ियाल का कुनबा 1859 से बढ़कर 2176, मगरमच्छ की आबादी 710 से 882, डॉल्फिन की संख्या 74 से 82 हो गई है। घड़ियालों का संरक्षण वर्ष 1979 से हो रहा है, जबकि 5 अक्टूबर 2009 में डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित कर संरक्षण के लिए चंबल को चुना गया। 

दुनियाभर से आती हैं चिड़ियां

प्रकृति की यह खूबसूरत वादी 185 प्रजाति की प्रवासी, अप्रवासी चिड़ियों के मधुर कलरव से गूंजती है। चंबल सफारी के डायरेक्टर आरपी सिंह ने बताया कि पक्षी विशेषज्ञ जिम अपटेन चंबल के पारिस्थितिकी तंत्र को दुनिया की खूबसूरत धरोहर मानते हैं। चंबल में मौजूद जीव जंतु पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। रेंजर आरके सिंह राठौड ने बताया कि इंडियन स्कीमर, रिवर टर्न, ब्लैक बेलीड टर्न जैसी चिड़ियां चंबल में प्रजनन करने लगी हैं।

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