World UFO Day: मेरठ में पहली बार 2005 में देखा गया था यूएफओ, इसे लेकर नहीं जानते होंगे ये बात

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आसमान में उड़ने वाली हर अज्ञात वस्तु को अनआईडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) के रूप में देखा जाता है। मेरठ में यह सबसे पहले 2005 में त्रिभुज के आकार में दिखाई दिया।

भारत में 1951 में नई दिल्ली में पहली बार सिगार के आकार का यूएफओ देखा गया। लेकिन जब लोगों को समझ ही नहीं आया कि यह क्या है। साल 2004 से यूएफओ दिखने के आंकड़ों में गति आ गई। लोगों में यूएफओ के प्रति दिलचस्पी बढ़ी। अब हर साल देश के किसी न किसी कोने में यूएफओ देखे जाने के किस्से सामने आते हैं।

यह होते हैं यूएफओ
प्रगति विज्ञान संस्था के सचिव दीपक शर्मा बताते हैं कि टूटते हुए तारे को भी यूएफओ का नाम दिया गया है। इसके अलावा आकाश में कोई अज्ञात उड़नतश्तरी, आग का गोला या फिर दूसरी गृह से आई कोई अभिन्न वस्तु भी यूएफओ ही है।

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पहचान के बाद यूएफओ नहीं रहेगा
कई मामलों में आसमान में कोई भी अज्ञात वस्तु देखकर उसे यूएफओ करार देते हैं। जिसके शोध के बाद उसकी असली पहचान का पता लगता है जो कि आसमान में उड़ता कोई मनुष्य, पत्थर का टुकड़ा, अंतरिक्ष से गिरी कोई सैटेलाइट आदि होती है। पहचान होने के बाद वह यूएफओ नहीं कहलाएगा।

मेरठ में कब देखे गए यूएफओ
शहर में पहली बार 2005 में त्रिभुज आकार का यूएफओ देखा गया। जिसे देख लोग हैरत में रह गए। जिसके बाद साल 2014 व 2015 में भी आग के गोले के आकार का यूएफओ देखा गया। वहीं अंतिम बार साल 2017 में प्रकाश की किरण से उत्पन्न हुए आकार को यूएफओ करार दिया गया। 

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इसीलिए मनाया जाता है यूएफओ दिवस 
विश्व यूएफओ दिवस अज्ञात उड़ने वाली वस्तुओं के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। पहली बार यूएफओ के शोधकर्ता हकतन अकडोगन द्वारा यह मनाया गया था।

विस्तार

आसमान में उड़ने वाली हर अज्ञात वस्तु को अनआईडेंटिफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट (यूएफओ) के रूप में देखा जाता है। मेरठ में यह सबसे पहले 2005 में त्रिभुज के आकार में दिखाई दिया।

भारत में 1951 में नई दिल्ली में पहली बार सिगार के आकार का यूएफओ देखा गया। लेकिन जब लोगों को समझ ही नहीं आया कि यह क्या है। साल 2004 से यूएफओ दिखने के आंकड़ों में गति आ गई। लोगों में यूएफओ के प्रति दिलचस्पी बढ़ी। अब हर साल देश के किसी न किसी कोने में यूएफओ देखे जाने के किस्से सामने आते हैं।

यह होते हैं यूएफओ

प्रगति विज्ञान संस्था के सचिव दीपक शर्मा बताते हैं कि टूटते हुए तारे को भी यूएफओ का नाम दिया गया है। इसके अलावा आकाश में कोई अज्ञात उड़नतश्तरी, आग का गोला या फिर दूसरी गृह से आई कोई अभिन्न वस्तु भी यूएफओ ही है।

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