यादों में पंडित शिवकुमार शर्मा: 31 साल पहले आगरा आए थे विख्यात संतूर वादक, जाकिर हुसैन के साथ की थी संगत

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सार

प्रख्यात संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा 1991 में संगीत सम्मेलन में शामिल होने के लिए आगरा आए थे। इसके अलावा वह ताज महोत्सव में भी कई बार आए। 

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प्रख्यात संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से मंगलवार को ताजनगरी के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर छा गई। संगीत प्रेमियों को पंडितजी की वह शाम याद आ गई, जब उन्होंने 31 साल पहले 25 फरवरी 1991 को आईटीसी मुगल होटल में जाकिर हुसैन के तबले के साथ संगत की थी। उनके संतूर की धुन से पूरी ताजनगरी झंकृत हो गई थी। संगीत के दो बडे सितारों का यह मिलन ताजनगरी ने पहली बार देखा था। 

आईटीसी मुगल (होटल) के संगीत रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सन् 1991 में आईटीसी संगीत सम्मेलन पूरे देश में आयोजित करने की मुहिम शुरू की थी। 25 फरवरी, 1991 को पं. शिवकुमार शर्मा का संतूर वादन व जाकिर हुसैन का तबला वादन था। पं. शिव कुमार ने सधे हुए हाथों से संतूर पर बेहतरीन धुनें निकालीं। परंपरागत धुनों के साथ अपने नए प्रयोगों की भी सफल प्रस्तुति दी थी। तबले पर संगत की थी जाकिर हुसैन साहब ने। 

प्राइमरी से संगीत की शिक्षा के पक्षधर

वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन बताते हैं कि सम्मेलन के दूसरे दिन पं. शिव कुमार शर्मा ने दूरदर्शन पर शास्त्रीय संगीतकारों की उपेक्षा पर रोष व्यक्त करते हुए प्राइमरी से संगीत शिक्षा पढ़ाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा दे सकते हैं लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे। कक्षा 4-5 से ही पाठ्यक्रम में संगीत को जोड़ देना चाहिए।

ताज महोत्सव में भी आए कई बार

कश्मीरी वाद्य यंत्र को पूरे देश में ही नहीं विश्व में सम्मान दिलाने वाले पं. शिव कुमार शर्मा ताज महोत्सव में भी कई बार आगरा आए और अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोहा था। गजल गायक सुधीर नारायन ने बताया कि वह बहुत ही खुशमिजाज व्यक्तित्व के थे। वे और जाकिर हुसैन साहब देर रात तक उनकी गजलें सुना करते थे। शिव कुमार शर्मा का यूं ही चले जाने खल गया।

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विस्तार

प्रख्यात संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिवकुमार शर्मा के निधन से मंगलवार को ताजनगरी के संगीत प्रेमियों में शोक की लहर छा गई। संगीत प्रेमियों को पंडितजी की वह शाम याद आ गई, जब उन्होंने 31 साल पहले 25 फरवरी 1991 को आईटीसी मुगल होटल में जाकिर हुसैन के तबले के साथ संगत की थी। उनके संतूर की धुन से पूरी ताजनगरी झंकृत हो गई थी। संगीत के दो बडे सितारों का यह मिलन ताजनगरी ने पहली बार देखा था। 

आईटीसी मुगल (होटल) के संगीत रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सन् 1991 में आईटीसी संगीत सम्मेलन पूरे देश में आयोजित करने की मुहिम शुरू की थी। 25 फरवरी, 1991 को पं. शिवकुमार शर्मा का संतूर वादन व जाकिर हुसैन का तबला वादन था। पं. शिव कुमार ने सधे हुए हाथों से संतूर पर बेहतरीन धुनें निकालीं। परंपरागत धुनों के साथ अपने नए प्रयोगों की भी सफल प्रस्तुति दी थी। तबले पर संगत की थी जाकिर हुसैन साहब ने। 

प्राइमरी से संगीत की शिक्षा के पक्षधर

वरिष्ठ पत्रकार आदर्श नंदन बताते हैं कि सम्मेलन के दूसरे दिन पं. शिव कुमार शर्मा ने दूरदर्शन पर शास्त्रीय संगीतकारों की उपेक्षा पर रोष व्यक्त करते हुए प्राइमरी से संगीत शिक्षा पढ़ाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दूरदर्शन और आकाशवाणी शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा दे सकते हैं लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे। कक्षा 4-5 से ही पाठ्यक्रम में संगीत को जोड़ देना चाहिए।

ताज महोत्सव में भी आए कई बार

कश्मीरी वाद्य यंत्र को पूरे देश में ही नहीं विश्व में सम्मान दिलाने वाले पं. शिव कुमार शर्मा ताज महोत्सव में भी कई बार आगरा आए और अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोहा था। गजल गायक सुधीर नारायन ने बताया कि वह बहुत ही खुशमिजाज व्यक्तित्व के थे। वे और जाकिर हुसैन साहब देर रात तक उनकी गजलें सुना करते थे। शिव कुमार शर्मा का यूं ही चले जाने खल गया।

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