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प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कार की रफ्तार इतनी तेज थी कि टकराने के बाद उसकी पूरी बॉडी पापड़ की तरह चरमरा गई। मृतकों के शरीर से निकले खून से सड़क लाल हो गई। हादसे को जिसने भी देखा और सुना उसका कलेजा कांप गया।
एसपी ने हादसे की जांच की बात कही है, लेकिन वह जब तक पूरी होगी, हाईवे पर न जाने कितनी और जानें चली जाएंगी। कार सवार नशे की हालत में रफ्तार को बढ़ाते रहेंगे। हाईवे पर बिना किसी पार्किंग के खड़े ट्रक यूं ही लोगों की मौत का कारण बनते रहेंगे। जमुनी पुरवा गांव के पास हुआ हादसा शहर कोतवाली से मात्र आठ किलोमीटर की दूरी पर है।
हाईवे पर पेट्रोलिंग करने वाली पुलिस वाहनों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने का कोई प्रयास नहीं करती है। न ही कभी वाहन चालकों की ब्रीथ इन्हेलाइजर (नशे की जांच) जांच कराने की जरूरत समझती है। एसपी अभिनंदन का कहना है कि हाईवे पर खड़े होने वाले वाहनों को हटवाने का अभियान चलाया जाएगा।
जिस ट्रक की चपेट में आकर पांच लोगों ने जान गंवाई, उस पर लदा केबल पास ही स्थित एक खेत में बने गोदाम पर उतरना था। गौर करने की बात है कि हाईवे से लगे खेतों पर किसकी अनुमति से गोदाम बने हैं। वहां आने वाले वाहनों की पार्किंग हाईवे पर कैसे हो रही है। पुलिस का कहना है कि गोदाम किसका था, इसकी भी जांच कराई जाएगी। फिलहाल फरार ट्रक चालक की तलाश की जा रही है।
राहगीरों और आसपास के लोगों ने हादसे में घायल लोगों की जान बचाने के लिए हाईवे से लेकर हास्पिटल तक जान लगा दी। अपनी परवाह न करते हुए राहगीरों ने कार में फंसे लोगों को निकालकर न सिर्फ अस्पताल पहुंचाया बल्कि घायलों को खून देने वालों की भीड़ लगी रही। इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग थे।
किसी ने भी नहीं सोचा था कि कार सवार जिन लोगों को कुछ ही देर में बरात की खुशियों का हिस्सा बनना था। वे अपने परिजनों की आंखों में जिंदगी भर बहाने के लिए आंसूओं का सैलाब दे जाएंगे। हादसे के कुछ घंटे बाद जिला अस्पताल परिजनों की चीखों से गूंज उठा। अपनों के शवों से लिपटकर उनके परिजनों के चीखने-चिल्लाने ने अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ को आंखों से आंसू पोंछने पर मजबूर कर दिया।
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