हाईकोर्ट की टिप्पणी : 21वीं सदी में विज्ञान के बजाय तांत्रिक क्रिया पर विश्वास पाषाण युग की सोच

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21st century, instead of science, belief in tantric activity is the thinking

Allahabad High Court
– फोटो : social media

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा है कि 21वीं सदी में विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि स्त्री-पुरुष की प्रजनन क्षमता का पता लगाया जा सके। लेकिन कुछ लोग अभी भी पाषाण युग में जी रहे हैं जो परिवार की दिक्कतें दूर करने के लिए तांत्रिक क्रिया पर भरोसा करते हैं।

कोर्ट ने कई बरस तक गर्भ न ठहरने पर स्त्री को तांत्रिक के हवाले कर तपते चिमटे से जलाकर मार डालने के दहेज हत्या, षड्यंत्र के आरोपी को जमानत देने से इन्कार कर दिया है और कोई विधिक अड़चन न होने की दशा में ट्रायल एक साल में पूरा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने शाहजहांपुर थाना पुवायां के दुर्वेश की अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।

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कोर्ट ने कहा यह कैसी मानसिकता है कि पुरुष संतान पैदा न होने पर महिला को ही दोषी देता है। अपने को दोष नहीं देता। याची मृतका का देवर है। जिसने परिवार के साथ षड्यंत्र में शामिल होकर महिला को तांत्रिक क्रिया में गर्म चिमटे से जलाने दिया। जलने की 17 चोटों के कारण महिला कोमा में चली गई और मौत हो गई। घटना के चश्मदीद गवाह अभियोजन की कहानी को संबल प्रदान कर रहे हैं। ऐसे अपराधी को जमानत पाने का हक नहीं है।

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