उत्तर प्रदेश चुनाव: 8वीं बार किला ‘फतेह’ करने में भाजपा के इस दिग्गज का छूट रहा पसीना, सपा प्रत्याशी को गुंडा एक्ट में भिजवाया था जेल

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सार

फतेह बहादुर को सपा से टिकट मिलने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। वे पिछले साल दो अक्तूबर को सतीश महाना के घर के बाहर गुलाब लेकर बेरोजगारी को लेकर प्रदर्शन करने गए थे। लेकिन अभद्रता और गुंडागर्दी का आरोप लगाकर फतेह बहादुर पर ‘गुंडा एक्ट’ लगाकर जेल में डाल दिया गया। फतेह बहादुर इसी का दुखड़ा रोते हुए लोगों से बेरोजगारी के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं…

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उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले की विधानसभा सीट है महाराजपुर। इस सीट का नाम एक गांव के नाम पर रखा गया है। लेकिन यहां चुनावी लड़ाई पहले के मुकाबले ज्यादा रोचक नजर आ रही है। भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री सतीश महाना को फिर से मैदान में उतारा है। महाना पिछले 35 वर्षों से भाजपा के विधायक हैं। 8वीं बार जीत दर्ज करने के लिए फिर उतरे हैं। जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां से 36 वर्ष के सिख उम्मीदवार फतेह बहादुर को टिकट दिया है। महाना विपरीत परिस्थितियों में भी यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। लेकिन इस बार महाना के किले को भेदने के लिए सपा के फतेह बहादुर दिन रात लगे हुए हैं। फतेह घर जाकर लोगों के पैर छू कर वोट उन्हें ही डालने की कसमें तक खिला रहे हैं।

जीत की तलाश में हर जगह दे रहे दस्तक

रोजाना सुबह करीब 10 बजे पूजा पाठ के बाद महाना अपने लाल बंगला स्थित घर से प्रचार के लिए निकले पड़ते हैं। जनसंपर्क के दौरान एक सवाल अनिवार्य तौर पर पूछते नजर आते है कि उम्मीद से ज्यादा काम हुआ या कम। वे कहते हैं कि महाराजपुर में मेरी आत्मा बसती है। जन्मभूमि मेरे लिए स्वर्ग के सामान है। आप सभी से हाथ जोड़कर वोट मांग रहा हूं। आप भी मेरे लिए वोट मांगिए। अगर कोई दिक्कत या समस्या है तो मेरे 31 साल के सियासी सफर पर सवाल है।  

पूरे यूपी में सतीश महाना पुराने भाजपाइयों में शामिल हैं। यूपी में महाना के बारे में कहा जाता है कि वह भाजपा के असली झंडाबरदार हैं। जब भाजपा पूरे प्रदेश में उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही थी। इसके बाद भी महाना भाजपा दामन थामे हुए थे। इसके साथ ही वह भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर विधानसभा का सफर तय करते रहे। प्रदेश में भाजपा सरकार न होने पर भी सतीश महाना विपक्ष में रहे और पार्टी की आवाज को दमदारी से बुलंद कर रहे। सतीश महाना के पिता रामअवतार महाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काफी सक्रिय रहे। सतीश महाना के राजनीतिक जीवन की शुरुआत बजरंग दल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं से हुई, जिसकी प्रतिबद्धता उन्होंने अब तक कायम रखी है। कभी भी सत्ता पाने के लिए दलबदल नहीं किया।

सपा ने इसलिए दिया फतेह बहादुर को टिकट

सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले फतेह बहादुर को सपा से टिकट मिलने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। वे पिछले साल दो अक्तूबर को सतीश महाना के घर के बाहर गुलाब लेकर बेरोजगारी को लेकर प्रदर्शन करने गए थे। लेकिन अभद्रता और गुंडागर्दी का आरोप लगाकर फतेह बहादुर पर ‘गुंडा एक्ट’ लगाकर जेल में डाल दिया गया। फतेह बहादुर इसी का दुखड़ा रोते हुए लोगों से बेरोजगारी के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं।

सतीश महाना सात बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1991 में कैंट विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। इसके बाद लगातार जून 1993, 1996, 2002, 2007 तक इस सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज करते रहे। परिसीमन के बाद वह महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र से 2012 में चुनाव लड़े और जीत कर विधानसभा में अपनी जगह बनाई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सतीश महाना में महाराजगंज विधानसभा सीट से जीते। 1996 में वह नगर विकास मंत्री रहे। 2009 में सतीश महाना ने कानपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली।

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विस्तार

उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जिले की विधानसभा सीट है महाराजपुर। इस सीट का नाम एक गांव के नाम पर रखा गया है। लेकिन यहां चुनावी लड़ाई पहले के मुकाबले ज्यादा रोचक नजर आ रही है। भाजपा ने योगी सरकार में मंत्री सतीश महाना को फिर से मैदान में उतारा है। महाना पिछले 35 वर्षों से भाजपा के विधायक हैं। 8वीं बार जीत दर्ज करने के लिए फिर उतरे हैं। जबकि समाजवादी पार्टी ने यहां से 36 वर्ष के सिख उम्मीदवार फतेह बहादुर को टिकट दिया है। महाना विपरीत परिस्थितियों में भी यहां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं। लेकिन इस बार महाना के किले को भेदने के लिए सपा के फतेह बहादुर दिन रात लगे हुए हैं। फतेह घर जाकर लोगों के पैर छू कर वोट उन्हें ही डालने की कसमें तक खिला रहे हैं।

जीत की तलाश में हर जगह दे रहे दस्तक

रोजाना सुबह करीब 10 बजे पूजा पाठ के बाद महाना अपने लाल बंगला स्थित घर से प्रचार के लिए निकले पड़ते हैं। जनसंपर्क के दौरान एक सवाल अनिवार्य तौर पर पूछते नजर आते है कि उम्मीद से ज्यादा काम हुआ या कम। वे कहते हैं कि महाराजपुर में मेरी आत्मा बसती है। जन्मभूमि मेरे लिए स्वर्ग के सामान है। आप सभी से हाथ जोड़कर वोट मांग रहा हूं। आप भी मेरे लिए वोट मांगिए। अगर कोई दिक्कत या समस्या है तो मेरे 31 साल के सियासी सफर पर सवाल है।  

पूरे यूपी में सतीश महाना पुराने भाजपाइयों में शामिल हैं। यूपी में महाना के बारे में कहा जाता है कि वह भाजपा के असली झंडाबरदार हैं। जब भाजपा पूरे प्रदेश में उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रही थी। इसके बाद भी महाना भाजपा दामन थामे हुए थे। इसके साथ ही वह भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज कर विधानसभा का सफर तय करते रहे। प्रदेश में भाजपा सरकार न होने पर भी सतीश महाना विपक्ष में रहे और पार्टी की आवाज को दमदारी से बुलंद कर रहे। सतीश महाना के पिता रामअवतार महाना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में काफी सक्रिय रहे। सतीश महाना के राजनीतिक जीवन की शुरुआत बजरंग दल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं से हुई, जिसकी प्रतिबद्धता उन्होंने अब तक कायम रखी है। कभी भी सत्ता पाने के लिए दलबदल नहीं किया।

सपा ने इसलिए दिया फतेह बहादुर को टिकट

सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले फतेह बहादुर को सपा से टिकट मिलने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। वे पिछले साल दो अक्तूबर को सतीश महाना के घर के बाहर गुलाब लेकर बेरोजगारी को लेकर प्रदर्शन करने गए थे। लेकिन अभद्रता और गुंडागर्दी का आरोप लगाकर फतेह बहादुर पर ‘गुंडा एक्ट’ लगाकर जेल में डाल दिया गया। फतेह बहादुर इसी का दुखड़ा रोते हुए लोगों से बेरोजगारी के मुद्दे पर वोट मांग रहे हैं।

सतीश महाना सात बार विधायक रह चुके हैं। वर्ष 1991 में कैंट विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने। इसके बाद लगातार जून 1993, 1996, 2002, 2007 तक इस सीट से भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज करते रहे। परिसीमन के बाद वह महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र से 2012 में चुनाव लड़े और जीत कर विधानसभा में अपनी जगह बनाई। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सतीश महाना में महाराजगंज विधानसभा सीट से जीते। 1996 में वह नगर विकास मंत्री रहे। 2009 में सतीश महाना ने कानपुर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली।

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