[ad_1]
ख़बर सुनें
उन्नाव। शहरवासियों को अभी दिसंबर तक जलभराव और सीवरेज की समस्या से जूझना पड़ेगा। तब तक गंगा में भी प्रदूषित पानी जाता रहेगा। काम में देरी की वजह अधिकारी कभी कोरोना तो कभी बजट की कमी को बता रहे हैं। जलनिगम के एक्सईएन के अनुसार उन्नाव शहर में 50 फीसदी और शुक्लागंज में 30 फीसदी काम पूरा हो गया है। शेष कार्य तेजी से किया जा रहा है।
शहर में जलभराव और सीवरेज की समस्या से निपटने और गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्ष 2018 में उन्नाव (शहर) और शुक्लागंज में 3.80 अरब की योजना मंजूर की थी। इसके अंतर्गत नालों और सीवेज ट्रीमेंट प्लांट, गंगा में गिरने वाली सिटी ड्रेन को पक्का किया जा रहा है।
गंगा नदी में मिलने वाले दोनों ड्रेन के मुहानों पर डकारी और शुक्लागंज में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए हैं। आबादी क्षेत्रों के दूषित पानी और सीवर को गंगा में जाने से रोकने के लिए नालों को एसटीपी से जोड़कर गंदे पानी को साफ करके ही गंगा में छोड़ा जाएगा। 3.80 अरब की इस योजना के पहले फेज में शहर के पीतांबर नगर, शिव नगर सहित अन्य बाहरी क्षेत्रों में भूमिगत पाइप लाइन बिछाईं जा रही हैं। अब दिसंबर 2022 तक काम पूरा पूरा होने की बात जिम्मेदार कह रहे हैं।
कोरोना की वजह से योजना में देरी हुई है। अचलगंज के पास डकारी में एसटीपी बनकर तैयार है, उसकी टेस्टिंग चल रही है। शुक्लागंज में एसटीपी का काम चल रहा है, जबकि नालों की टेपिंग का काम लगभग पूरा है। दिसंबर 2022 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है।- मोहित चक, एक्सईएन जलनिगम
– शहरी आबादी क्षेत्र का औसतन 15 लाख लीटर पानी रोजाना गंगा में जा रहा है। सिटी जेल ड्रेन, शराब मिल नाला सहित अन्य नालों से गंगा में गंदा पानी जाता है। बताया कि जल निगम एसटीपी बनवा रहा है। चालू होते ही गंगा में गंदा पानी जाने की समस्या हल हो जाएगी।- अभिषेक राय, स्वच्छ भारत मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक
ये है योजना
आबादी क्षेत्र में सीवेज लाइनें बिछाई जाएंगी। शुक्लागंज में गंगा नदी में गिर रहे नालों को मोड़कर इंद्रानगर नाले और एसटीपी से जोड़ा जाएगा। सिटी ड्रेन का पानी साफ करने के लिए डकारी और शुक्लागंज में एक-एक एसटीपी, नालों को मोड़ने के काम में 78 करोड़ रुपये और शहर के नालों की अपग्रेड करके एसटीपी से जोड़ने पर 104 करोड़ रुपये खर्च होंगे। भूमिगत सीवेज लाइन पर 200 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
उन्नाव। शहरवासियों को अभी दिसंबर तक जलभराव और सीवरेज की समस्या से जूझना पड़ेगा। तब तक गंगा में भी प्रदूषित पानी जाता रहेगा। काम में देरी की वजह अधिकारी कभी कोरोना तो कभी बजट की कमी को बता रहे हैं। जलनिगम के एक्सईएन के अनुसार उन्नाव शहर में 50 फीसदी और शुक्लागंज में 30 फीसदी काम पूरा हो गया है। शेष कार्य तेजी से किया जा रहा है।
शहर में जलभराव और सीवरेज की समस्या से निपटने और गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना के तहत वर्ष 2018 में उन्नाव (शहर) और शुक्लागंज में 3.80 अरब की योजना मंजूर की थी। इसके अंतर्गत नालों और सीवेज ट्रीमेंट प्लांट, गंगा में गिरने वाली सिटी ड्रेन को पक्का किया जा रहा है।
गंगा नदी में मिलने वाले दोनों ड्रेन के मुहानों पर डकारी और शुक्लागंज में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए गए हैं। आबादी क्षेत्रों के दूषित पानी और सीवर को गंगा में जाने से रोकने के लिए नालों को एसटीपी से जोड़कर गंदे पानी को साफ करके ही गंगा में छोड़ा जाएगा। 3.80 अरब की इस योजना के पहले फेज में शहर के पीतांबर नगर, शिव नगर सहित अन्य बाहरी क्षेत्रों में भूमिगत पाइप लाइन बिछाईं जा रही हैं। अब दिसंबर 2022 तक काम पूरा पूरा होने की बात जिम्मेदार कह रहे हैं।
कोरोना की वजह से योजना में देरी हुई है। अचलगंज के पास डकारी में एसटीपी बनकर तैयार है, उसकी टेस्टिंग चल रही है। शुक्लागंज में एसटीपी का काम चल रहा है, जबकि नालों की टेपिंग का काम लगभग पूरा है। दिसंबर 2022 तक काम पूरा करने का लक्ष्य है।- मोहित चक, एक्सईएन जलनिगम
– शहरी आबादी क्षेत्र का औसतन 15 लाख लीटर पानी रोजाना गंगा में जा रहा है। सिटी जेल ड्रेन, शराब मिल नाला सहित अन्य नालों से गंगा में गंदा पानी जाता है। बताया कि जल निगम एसटीपी बनवा रहा है। चालू होते ही गंगा में गंदा पानी जाने की समस्या हल हो जाएगी।- अभिषेक राय, स्वच्छ भारत मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक
ये है योजना
आबादी क्षेत्र में सीवेज लाइनें बिछाई जाएंगी। शुक्लागंज में गंगा नदी में गिर रहे नालों को मोड़कर इंद्रानगर नाले और एसटीपी से जोड़ा जाएगा। सिटी ड्रेन का पानी साफ करने के लिए डकारी और शुक्लागंज में एक-एक एसटीपी, नालों को मोड़ने के काम में 78 करोड़ रुपये और शहर के नालों की अपग्रेड करके एसटीपी से जोड़ने पर 104 करोड़ रुपये खर्च होंगे। भूमिगत सीवेज लाइन पर 200 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
[ad_2]
Source link