अवैध नर्सिंगहोम में ऑपरेशन के दौरान बिगड़ी महिला की हालत मौत..

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पुरवा (उन्नाव)। बिना पंजीकरण चल रहे सिद्ध विनायक अस्पताल में ऑपरेशन के बाद महिला की हालत बिगड़ गई। संचालक ने उसे कानपुर के एक अस्पताल में भेजा, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर शव रखकर पुरवा-मौरावां मार्ग पर जाम लगा दिया। बवाल बढ़ता देख अस्पताल संचालक और कर्मचारी भाग गए। सीओ और कोतवाल ने परिजनों को रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस पर दो घंटे बाद जाम खुला।
असोहा थानाक्षेत्र के जोरावरगंज निवासी नरेश की पत्नी आरती (32) की बच्चेदानी में गांठ थी। परिजनों ने ऑपरेशन के लिए उसे मिर्री चौराहा स्थित सिद्ध विनायक अस्पताल में 25 जून को भर्ती कराया था। 26 जून को डॉक्टर ने ऑपरेशन किया। महिला को बुखार के साथ पेशाब होनी बंद हो गई। 27 जून को हालत गंभीर देख संचालक ने पहले उन्नाव के निजी अस्पताल भिजवाया।
डॉक्टर के जवाब देने पर कानपुर के रामा अस्पताल भिजवाया। बुधवार की सुबह इलाज के दौरान आरती ने दम तोड़ दिया। परिजन एंबुलेंस से शव लेकर सिद्ध विनायक अस्पताल आए और मिर्री चौराहे पर सुबह 10:30 बजे शव रखकर जाम लगा दिया।
बवाल बढ़ता देख अस्पताल का स्टॉफ भाग गया। सीओ पंकज सिंह व कोतवाल ज्ञानेंद्र सिंह फोर्स के साथ पहुंचे और संचालक के खिलाफ तहरीर देने की बात कही। तब जाकर परिजन माने। पिता बिंदा प्रसाद की तहरीर पर अस्पताल संचालक सौरभ यादव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
डेढ़ महीने से मायके में थी आरती
पति नरेश परिवार के साथ दिल्ली में रहता था। सात मई को पिता की मौत पर वह घर आया था। पत्नी के पेट में दिक्कत होने से 18 मई को पत्नी और बच्चों को कोतवाली क्षेत्र के गांव रहमानपुर स्थित मायके में उपचार के लिए छोड़ गया था।
तीन मई को अस्पताल का पंजीकरण हो चुका है निरस्त
एसीएमओ डॉ. ललित कुमार ने तीन मई 2022 को सिद्ध विनायक अस्पताल का निरीक्षण किया था। प्रशिक्षित स्टॉफ न मिलने और एक ही कमरे में लेबर और ऑपरेशन थियेटर संचालित मिलने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसके बाद भी चोरी छिपे अस्पताल संचालित हो रहा था। महिला की मौत के बाद सीएमओ ने भी अपनी रिपोर्ट कोतवाली भेजी है।
निजी अस्पताल में गर्भवती की मौत
परिजनों ने पहले किया हंगामा, बाद में अस्पताल संचालक से कर लिया समझौता
संवाद न्यूज एजेंसी
सफीपुर। मायके आई गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन सीएचसी लाए। यहां पर्चा बनवाने के बाद उसे भर्ती न कराकर पास में ही संचालित निजी अस्पताल लेकर चले गए। प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा की मौत हो गई। पहले परिजनों ने हंगामा किया। सूचना पर पुलिस पहुंची ने मामला शांत कराया। बाद में परिजन और अस्पताल संचालक ने आपस में समझौता कर लिया और परिजन शव लेकर घर चले गए।
शहर के मोहल्ला पूरननगर निवासी दीपक की पत्नी प्रीती (30) गर्भवती थी। एक सप्ताह पहले सफीपुर कोतवाली के गांव अतहा गांव निवासी पिता राजकुमार के घर आई थी। प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने मंगलवार को एंबुलेंस से आशा कार्यकर्ता गुड्डी के साथ उसे सीएचसी लाया। पिता ने सीएचसी में भर्ती कराने की बात कही, जबकि मां राजकुमारी और भाई विनोद कुमार ने वहीं के युवक के कहने पर उसे लेकर निजी अस्पताल लेकर चले गए। प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। इस पर परिजनों ने हंगामा किया। पुलिस ने परिजनों से कार्रवाई के लिए प्रार्थनापत्र देने की बात कही। देर रात तक पुलिस व परिजनों में वार्ता होती रही। बाद में अस्पताल संचालक व परिजनों ने आपस में बातचीत कर शव का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया और शव लेकर घर चले गए।
सीएचसी अधीक्षक डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि महिला पहले सीएचसी आई थी। उसके परिजनों से भर्ती पर्चा बनवाने के लिए कहा गया लेकिन वह लौटकर ही नहीं आए। गर्भवती को साथ लाने वाली आशा कार्यकर्ता गुड्डी से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

आरती की मौत के बाद मिर्री चौराहा पर शव रखकर जाम लगाए परिजन व ग्रामीण। संवाद

आरती की मौत के बाद मिर्री चौराहा पर शव रखकर जाम लगाए परिजन व ग्रामीण। संवाद– फोटो : UNNAO

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पुरवा (उन्नाव)। बिना पंजीकरण चल रहे सिद्ध विनायक अस्पताल में ऑपरेशन के बाद महिला की हालत बिगड़ गई। संचालक ने उसे कानपुर के एक अस्पताल में भेजा, लेकिन वहां उसकी मौत हो गई। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर शव रखकर पुरवा-मौरावां मार्ग पर जाम लगा दिया। बवाल बढ़ता देख अस्पताल संचालक और कर्मचारी भाग गए। सीओ और कोतवाल ने परिजनों को रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस पर दो घंटे बाद जाम खुला।

असोहा थानाक्षेत्र के जोरावरगंज निवासी नरेश की पत्नी आरती (32) की बच्चेदानी में गांठ थी। परिजनों ने ऑपरेशन के लिए उसे मिर्री चौराहा स्थित सिद्ध विनायक अस्पताल में 25 जून को भर्ती कराया था। 26 जून को डॉक्टर ने ऑपरेशन किया। महिला को बुखार के साथ पेशाब होनी बंद हो गई। 27 जून को हालत गंभीर देख संचालक ने पहले उन्नाव के निजी अस्पताल भिजवाया।

डॉक्टर के जवाब देने पर कानपुर के रामा अस्पताल भिजवाया। बुधवार की सुबह इलाज के दौरान आरती ने दम तोड़ दिया। परिजन एंबुलेंस से शव लेकर सिद्ध विनायक अस्पताल आए और मिर्री चौराहे पर सुबह 10:30 बजे शव रखकर जाम लगा दिया।

बवाल बढ़ता देख अस्पताल का स्टॉफ भाग गया। सीओ पंकज सिंह व कोतवाल ज्ञानेंद्र सिंह फोर्स के साथ पहुंचे और संचालक के खिलाफ तहरीर देने की बात कही। तब जाकर परिजन माने। पिता बिंदा प्रसाद की तहरीर पर अस्पताल संचालक सौरभ यादव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई है।

डेढ़ महीने से मायके में थी आरती

पति नरेश परिवार के साथ दिल्ली में रहता था। सात मई को पिता की मौत पर वह घर आया था। पत्नी के पेट में दिक्कत होने से 18 मई को पत्नी और बच्चों को कोतवाली क्षेत्र के गांव रहमानपुर स्थित मायके में उपचार के लिए छोड़ गया था।

तीन मई को अस्पताल का पंजीकरण हो चुका है निरस्त

एसीएमओ डॉ. ललित कुमार ने तीन मई 2022 को सिद्ध विनायक अस्पताल का निरीक्षण किया था। प्रशिक्षित स्टॉफ न मिलने और एक ही कमरे में लेबर और ऑपरेशन थियेटर संचालित मिलने पर लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसके बाद भी चोरी छिपे अस्पताल संचालित हो रहा था। महिला की मौत के बाद सीएमओ ने भी अपनी रिपोर्ट कोतवाली भेजी है।

निजी अस्पताल में गर्भवती की मौत

परिजनों ने पहले किया हंगामा, बाद में अस्पताल संचालक से कर लिया समझौता

संवाद न्यूज एजेंसी

सफीपुर। मायके आई गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन सीएचसी लाए। यहां पर्चा बनवाने के बाद उसे भर्ती न कराकर पास में ही संचालित निजी अस्पताल लेकर चले गए। प्रसव के दौरान जच्चा बच्चा की मौत हो गई। पहले परिजनों ने हंगामा किया। सूचना पर पुलिस पहुंची ने मामला शांत कराया। बाद में परिजन और अस्पताल संचालक ने आपस में समझौता कर लिया और परिजन शव लेकर घर चले गए।

शहर के मोहल्ला पूरननगर निवासी दीपक की पत्नी प्रीती (30) गर्भवती थी। एक सप्ताह पहले सफीपुर कोतवाली के गांव अतहा गांव निवासी पिता राजकुमार के घर आई थी। प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने मंगलवार को एंबुलेंस से आशा कार्यकर्ता गुड्डी के साथ उसे सीएचसी लाया। पिता ने सीएचसी में भर्ती कराने की बात कही, जबकि मां राजकुमारी और भाई विनोद कुमार ने वहीं के युवक के कहने पर उसे लेकर निजी अस्पताल लेकर चले गए। प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। इस पर परिजनों ने हंगामा किया। पुलिस ने परिजनों से कार्रवाई के लिए प्रार्थनापत्र देने की बात कही। देर रात तक पुलिस व परिजनों में वार्ता होती रही। बाद में अस्पताल संचालक व परिजनों ने आपस में बातचीत कर शव का पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया और शव लेकर घर चले गए।

सीएचसी अधीक्षक डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि महिला पहले सीएचसी आई थी। उसके परिजनों से भर्ती पर्चा बनवाने के लिए कहा गया लेकिन वह लौटकर ही नहीं आए। गर्भवती को साथ लाने वाली आशा कार्यकर्ता गुड्डी से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

आरती की मौत के बाद मिर्री चौराहा पर शव रखकर जाम लगाए परिजन व ग्रामीण। संवाद

आरती की मौत के बाद मिर्री चौराहा पर शव रखकर जाम लगाए परिजन व ग्रामीण। संवाद– फोटो : UNNAO

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