[ad_1]
अयोध्या के जगद्गुरु परमहंस दास आचार्य ने पांच मई को ताजमहल में प्रवेश का एलान किया था, लेकिन वह मंगलवार को आगरा पहुंचे। इसकी जानकारी पर पुलिस प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। उन्होंने ताजमहल में भगवान शिव की पूजा करने का एलान किया। सुबह करीब 11 बजे महंत परमहंस दास अपने शिष्य के संग ताजमहल के लिए रवाना हुए, लेकिन पुलिस फोर्स ने उन्हें फतेहाबाद मार्ग पर ही रोक लिया। महंत का कहना है कि वह वहां पूजा करना चाहते हैं। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देकर ताजमहल में नहीं जाने दिया है। पुलिस द्वारा रास्ते में रोके जाने पर महंत परमहंस दास ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने एक वीडियो जारी किया है। महंत परमहंस दास ने ताजमहल को तेजोमहालय बताते हुए कहा कि वह एएसआई के अधिकारी के निमंत्रण पर आगरा आए थे, लेकिन पुलिस प्रशासन ने रास्ते में ही रोक दिया। चार घंटे सड़कों पर घूमाने के बाद एक गेस्टहाउस में रखा है।
महंत ने आरोप लगाया कि उन्हें ताजमहल में भगवा वस्त्रों की वजह से प्रवेश नहीं दिया गया है, जबकि अन्य लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है। वहीं एसपी सिटी विकास कुमार ने बताया कि अयोध्या के महंत परमहंस दास को समझाया गया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन है कि ताजमहल में किसी तरह आयोजन करना गैर कानूनी है।
इस बीच विश्व हिंदू परिषद के लोग भी आए। वे उन्हें अपने साथ लेकर गए हैं। वहीं पुलिस प्रशासन के अफसर महंत परमहंस दास से बातचीत कर रहे हैं। कीठम झील स्थित पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस के बाहर पुलिस का पहरा लगा हुआ है। वहां किसी को अंदर जाने की अनुमति नहीं है।
बता दें इससे पूर्व महंत परमहंस दास 26 अप्रैल को आगरा आए थे। तब उन्हें नियम के विरुद्ध प्रवेश से रोक दिया गया था। इस पर तपस्वी छावनी के महंत जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने भगवा वस्त्र और धर्म दंड की वजह से ताजमहल में प्रवेश से रोके जाने का आरोप लगाया था। यह भी आरोप लगाया कि वहां मौजूद धर्म विशेष के लोगों के इशारे पर ताजमहल की सुरक्षा में तैनात सुरक्षा बलों ने उनके साथ बदसलूकी की। अनुयायी का मोबाइल छीन कर फोटो और वीडियो डिलीट करने का भी आरोप लगाया था।
महंत के आरोपों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने कहा था कि सुरक्षा जांच में महंत से धर्मदंड को लॉकर में रखने और लौटकर वापस लेने का आग्रह किया गया था, लेकिन उन्होंने स्वीकार नहीं किया। वह तुरंत वापस लौट गए थे। उनके वस्त्रों को लेकर कोई विवाद नहीं था। किसी भी रंग का कपड़ा पहनकर ताज में प्रवेश किया जा सकता है।
[ad_2]
Source link