इनसाइड स्टोरी: अचानक सबके चहेते कैसे बन गए आजम खां, चुनाव बाद सपा और अखिलेश से क्यों बढ़ गई दूरी?

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सीतापुर की जिला कारागार इन दिनों सियासी हलचलों के कारण सुर्खियों में है। सियासत ने ऐसी अंगड़ाई ली कि यहां आजम खां से मिलने वाले दिग्गज नेताओं की  फेहरिस्त लंबी हो गई। प्रसपा संस्थापक व सपा विधायक शिवपाल यादव, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम, रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह का सीतापुर जेल में बंद आजम खां के परिवार से मुलाकात को एक तरह से समाजवादी पार्टी पर निशाना माना जा रहा है। शुरुआत आजम खां के मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू के उस बयान से शुरू हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि सपा ने आजम खां के लिए एक प्रदर्शन तक नहीं किया। प्रसपा संस्थापक व सपा विधायक शिवपाल यादव ने भी मुलाकात के बाद कहा कि उनके साथ अन्याय हुआ है। सपा ने कोई आंदोलन नहीं छेड़ा जबकि मुलायम सिंह यादव का देश के प्रधानमंत्री मोदी बहुत सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वह इस बाबत सीएम से बात करेंगे।

अखिलेश यादव से कड़वाहट के बीच शिवपाल की आजम से काफी देर तक हुई मुलाकात ने नए समीकरणों की तरफ इशारा किया। रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह ने आजम के परिवार से मुलाकात की।

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वहीं, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आजम खां से मुलाकात के बाद कहा कि उनके जैसे वरिष्ठ नेता को छोटे-छोटे मामलों में जेल में रखना उत्पीड़न करने और गंभीर अत्याचार के समान है। उन्होंने कहा कि वे अपने दोस्त ने मिलने आए हैं।

सबका निशाना बस एक, समाजवादी पार्टी

दरअसल कई राजनीतिक पार्टियों ने बस एक ही संदेश देने की कोशिश की है कि सपा अब भाजपा को रोकने में सक्षम नहीं है। इस बार विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने पुरजोर ताकत लगाई और सपा का साथ दिया पर बात नहीं बनी। कांग्रेस भी यही मुस्लिमों को समझाना चाह रही है।

प्रमोद कृष्णम ने सीधे कहा कि सपा नेतृत्व भाजपा से लड़ने में सक्षम नहीं है और उसके नेताओं को इसके बारे में सोचने की जरूरत है। उधर, प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने सपा के मुस्लिम विधायकों से आह्वान किया कि वे आजम खां के नेतृत्व में अलग पार्टी बनाएं

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