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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 28 Apr 2022 10:43 PM IST
सार
याची की ओर से कहा गया है कि प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए डी. फील की उपाधि अनिवार्य है। जबकि, प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने 1996 में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान में प्रवक्ता का पद 17 जुलाई 2003 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के द्वारा सृजित किया गया। विधिक व्यवस्था के अनुसार 2002 के पूर्व उनका प्रवक्ता पद पर नियुक्ति असंभव है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुलपति बनने का आरोप लगाया गया है। मामले की सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने कुलपति को नोटिस जारी कर चार मई को उनका पक्ष रखने को कहा है। मामले में उनके खिलाफ फर्जीवाड़ा करने के आरोप में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
अजय सिंह सम्राट की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए सत्र न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया कि कुलपति द्वारा कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए दी गई जानकारी गलत है और तथ्यों को छुपाया गया है । आरोप है प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय कुलपति पद पर आवेदन करते समय अपने आप को 1989 से प्रवक्ता बताया है। जबकि, याचिका में दाखिल तथ्यों के आधार पर वह 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रवक्ता पद पर उनका वियनिमितकरण हुआ।
प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए डी.फील अनिवार्य
याची की ओर से कहा गया है कि प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए डी. फील की उपाधि अनिवार्य है। जबकि, प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने 1996 में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। इसके अलावा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में गृह विज्ञान में प्रवक्ता का पद 17 जुलाई 2003 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के द्वारा सृजित किया गया। विधिक व्यवस्था के अनुसार 2002 के पूर्व उनका प्रवक्ता पद पर नियुक्ति असंभव है।
इसके साथ ही डॉक्टरेट की उपाधि के अनुसार वह 1989 में किसी विश्वविद्यालय में प्रवक्ता होने के लिए अर्ह नहीं थीं। इसके साथ ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय कार्यपरिषद ने भी चार मई 2002 को यह निर्णय लिया था कि वह प्रवक्ता पद पर नियुक्ति के लिए अर्ह नहीं रखती है। याची की ओर से अधिवक्ता कौशलेंद्र सिंह ने पक्ष रखा। मामले में इसके पूर्व न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई करते हुए 156(3) की याचिका को खारिज कर दिया था। उसके बाद याची ने सत्र न्यायालय में अपील की है। सत्र न्यायालय ने तथ्यों को देखते हुए प्रो. संगीता श्रीवास्तव को जवाब दाखिल करने केलिए नोटिस जारी की है।
विस्तार
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कुलपति बनने का आरोप लगाया गया है। मामले की सुनवाई करते हुए जिला एवं सत्र न्यायालय ने कुलपति को नोटिस जारी कर चार मई को उनका पक्ष रखने को कहा है। मामले में उनके खिलाफ फर्जीवाड़ा करने के आरोप में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है।
अजय सिंह सम्राट की ओर से दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए सत्र न्यायालय ने प्रथम दृष्टया पाया कि कुलपति द्वारा कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए दी गई जानकारी गलत है और तथ्यों को छुपाया गया है । आरोप है प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय कुलपति पद पर आवेदन करते समय अपने आप को 1989 से प्रवक्ता बताया है। जबकि, याचिका में दाखिल तथ्यों के आधार पर वह 2002 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रवक्ता पद पर उनका वियनिमितकरण हुआ।
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