इलाहाबाद हाईकोर्ट : नए सिस्टम का बार एसोसिएशन में विरोध, 48 घंटे बाद सुने जाएं नए केस

0
27

[ad_1]

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 07 May 2022 11:39 PM IST

सार

लाइब्रेरी हाल में आयोजित प्रेसवार्ता में बार पदाधिकारियों ने में अधिवक्ताओं की समस्याओं को लेकर जारी प्रयासों की जानकारी दी और उम्मीद जताई कि मुख्य न्यायाधीश बार की कठिनाइयों के हल के लिए जरूरी कदम उठायेंगे।

ख़बर सुनें

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव सहित कार्यकारिणी के सदस्यों ने मुकदमों की सुनवाई व्यवस्था में बदलाव का विरोध किया और मुख्य न्यायाधीश से दाखिला के 48 घंटे में केस कोर्ट में पेश किए जाने की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की।

लाइब्रेरी हाल में आयोजित प्रेसवार्ता में बार पदाधिकारियों ने में अधिवक्ताओं की समस्याओं को लेकर जारी प्रयासों की जानकारी दी और उम्मीद जताई कि मुख्य न्यायाधीश बार की कठिनाइयों के हल के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके ओझा ने कहा कि कंप्यूटर सिस्टम की नई व्यवस्था से परेशानियां बढ़ी है। मुकदमों की कितने दिन में सुनवाई होगी। असमंजस की स्थिति बनी है। दाखिल केस दो से तीन माह बाद सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश हो रहे हैं। ओझा ने कहा कि खंडपीठों को कम कर परफार्मेंस के अनुसार जजों को बैठाने से निस्तारण में तेजी आएगी।

अधिवक्ता बोले- तकनीकी के नाम पर हम ठगे जा रहे
ओझा ने कहा कि तकनीकी के नाम पर हम ठगे जा रहे हैं। केस के निस्तारण की गति धीमी हुई है, वकील दुर्व्यवस्था के शिकार हो रहे हैं। सिस्टम सुधरने के बजाय बिगड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि जजों के खाली पद भरे जाने, अदालतों के क्षेत्राधिकार तय कर जजों को रोटेशन से बैठाये जाने, काजलिस्ट का पुनः प्रकाशन शुरू किये जाने, दाखिल केस 48 घंटे बाद कोर्ट में पेश करने से समस्या से निपटा जा सकता है। उन्होंने माना कि कोरोना संक्रमण के कारण मुकदमों का अंबार लगा है। ऐसे में नये प्रयोग करने के बजाय आजमाई पुरानी व्यवस्था को चालू रखना चाहिए।

अध्यक्ष ने कहा कि न्याय व्यवस्था सही न होने से प्रजातंत्र खतरे में पड़ सकता है। हाईकोर्ट में बीस हजार वकील हैं और 160 जजों के पद लेकिन कभी भी पूरी क्षमता से अदालत नहीं बैठ सकी। कम से कम 125 जज हमेशा रहने चाहिए। 93 जजों से गंभीर समस्या से व्यवस्था में मनमाने बदलाव कर नहीं निपटा जा सकता। ओझा ने कोर्ट के बैठने और उठने के निर्धारित समय का पालन करने की भी मांग रखी। और कहा कि लिस्ट रिवाइज की परंपरा का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वकील कैजुअल कर्मकार नहीं है। उनकी सामाज के प्रति जिम्मेदारी है।

यह भी पढ़ें -  राजभर का नया शिगूफा: पूर्वांचल की 122 सीटों पर भाजपा कार्यालय में तय हुए प्रत्याशी, बसपा कार्यालय में मिले सिंबल
नौ मई को बुलाई गई है अधिवक्ताओं की बैठक

उन्होंने कहा बेंच हंटिंग को रोकने के क्षेत्राधिकार की कोर्ट तय हो। मुख्य न्यायाधीश अपने अनुसार जज बैठाकर केस का निस्तारण कराएं। मुकदमों की सुनवाई की सूचना देने का दायित्व हाईकोर्ट का है। केस लगने की मैसेज से सूचना दी जाती है। हजारों वकीलों को सूचना न मिलने की अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाय। हाईकोर्ट अदम पैरवी में केस खारिज कर न्याय देने की अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। सुधार करना ही है तो सैंपल के तौर पर किया जाय।

 महासचिव एस डी सिंह जादौन ने अधिवक्ताओं को सिस्टम में बदलाव से हो रही दिक्कतों और उसके समाधान के प्रयासों की जानकारी दी। और कहा कि अदालतों में लगे डिस्प्ले बोर्ड छह साल से कभी चले ही नहीं। कोई सिस्टम लागू किया गया है तो उसे कार्य रूप में परिणत करना भी जरूरी है। महासचिव जादौन ने बताया कि वकीलों की समस्या को लेकर नौ मई को कार्यकारिणी की आपात बैठक बुलाई गई है। वार्ता के संयोजक संयुक्त सचिव प्रेस आशुतोष त्रिपाठी रहे। इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष मनोज मिश्र, उपाध्यक्ष सुरेंद्र नाथ मिश्र, संयुक्त सचिव प्रशासन संजय सिंह सोमवंशी, कोषाध्यक्ष अरूण कुमार सिंह,आदि तमाम पदाधिकारी मौजूद थे।

विस्तार

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव सहित कार्यकारिणी के सदस्यों ने मुकदमों की सुनवाई व्यवस्था में बदलाव का विरोध किया और मुख्य न्यायाधीश से दाखिला के 48 घंटे में केस कोर्ट में पेश किए जाने की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग की।

लाइब्रेरी हाल में आयोजित प्रेसवार्ता में बार पदाधिकारियों ने में अधिवक्ताओं की समस्याओं को लेकर जारी प्रयासों की जानकारी दी और उम्मीद जताई कि मुख्य न्यायाधीश बार की कठिनाइयों के हल के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके ओझा ने कहा कि कंप्यूटर सिस्टम की नई व्यवस्था से परेशानियां बढ़ी है। मुकदमों की कितने दिन में सुनवाई होगी। असमंजस की स्थिति बनी है। दाखिल केस दो से तीन माह बाद सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश हो रहे हैं। ओझा ने कहा कि खंडपीठों को कम कर परफार्मेंस के अनुसार जजों को बैठाने से निस्तारण में तेजी आएगी।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here