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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Mon, 18 Apr 2022 10:36 PM IST
सार
याचिका में यह मांग की गई थी कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के सफल कार्यान्वयन के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखा जाए। न्यायालय ने पाया कि कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। अस्पष्ट दावे किए गए हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात के पुनर्मूल्यांकन की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने गया प्रसाद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में यह मांग की गई थी कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के सफल कार्यान्वयन के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखा जाए। न्यायालय ने पाया कि कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। अस्पष्ट दावे किए गए हैं। इसके अलावा याचिका में किए गए कथनों के आलोक में यह नहीं कहा जा सकता है कि कार्रवाई का कोई मौजूदा कारण बनता है। इसे देखते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दी।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में शिक्षक-छात्र अनुपात के पुनर्मूल्यांकन की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने गया प्रसाद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
याचिका में यह मांग की गई थी कि बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के सफल कार्यान्वयन के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखा जाए। न्यायालय ने पाया कि कोई विवरण प्रस्तुत नहीं किया गया है। अस्पष्ट दावे किए गए हैं। इसके अलावा याचिका में किए गए कथनों के आलोक में यह नहीं कहा जा सकता है कि कार्रवाई का कोई मौजूदा कारण बनता है। इसे देखते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दी।
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