उत्तर प्रदेश: …तो क्या मायावती इसलिए डाल रहीं हैं आजम पर डोरे, कितनी कामयाब होगी बसपा की ये चाल?

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सार

बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल में मायावती के साथ उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। जिसमें चर्चा इस बात को लेकर हुई कि अगर पार्टी खुलकर मुस्लिमों के समर्थन में आए, तो उनको अपने कोर वोट बैंक दलितों के अलावा मुस्लिमों का भी साथ मिल सकता है…

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बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर से आजम खान के बहाने उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों पर बड़ा दांव खेलने का प्रयास किया है। मायावती ने आजम खान के दो साल से जेल में बंद रहने पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। दरअसल मायावती का आजम खान के लिए दिया गया यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय इसलिए बना है क्योंकि बीते कुछ समय से मायावती लगातार मुस्लिमों को अपने पक्ष में जोड़ने के लिए कई तरह के बयान जारी कर चुकी हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले जानकारों का मानना है कि हाल में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनावों के बाद से मुस्लिमों की रहनुमाई करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं की होड़ लगी हुई है। मायावती का यह बयान भी उसी होड़ से कम नहीं माना जा रहा है।

मुस्लिम वोटों का लालच

गुरुवार को मायावती ने सुबह-सुबह गरीबों दलितों-आदिवासियों और मुस्लिमों पर केंद्रित करते हुए एक ट्वीट किया था। जिसमें मायावती ने भाजपा से लेकर कांग्रेस शासित राज्यों में इन समुदाय के लोगों पर हो रहे अत्याचार का हवाला देकर दोनों पार्टियों पर निशाना साधा था। अपने इसी ट्वीट में मायावती ने सपा से विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान का भी जिक्र कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। बहुजन समाज पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि दरअसल बसपा इस फिराक में है कि किसी तरीके से समाजवादी पार्टी के खाते में जुड़ने वाले मुस्लिम समुदाय के वोटरों का बड़ा हिस्सा उनके साथ जुड़ जाए। क्योंकि उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा के चुनावों में मुस्लिम और यादवों ने एक साथ मिलकर समाजवादी पार्टी को वोट दिया, बावजूद इसके समाजवादी पार्टी सत्ता में नहीं आई।

ऐसे में भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इस प्रयास में लगे हैं कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों का साथ उन्हें मिल सके। क्योंकि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े मुस्लिम बाहुल्य जिलों और इलाकों से आजम खां ताल्लुक रखते हैं। उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के रसूखदार नेता भी आजम खां माने जाते हैं। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल खुलकर के आजम खान को अपने पाले में लाने की तैयारी कर रहे हैं।

दलितों के अलावा चाहिए मुस्लिमों का साथ

बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल में मायावती के साथ उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। जिसमें चर्चा इस बात को लेकर हुई कि अगर पार्टी खुलकर मुस्लिमों के समर्थन में आए, तो उनको अपने कोर वोट बैंक दलितों के अलावा मुस्लिमों का भी साथ मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि बैठक में आजम खान जैसे कई अन्य मुस्लिम नेताओं के बारे में भी चर्चा की गई। हालांकि पार्टी की ओर से इस बारे में न कोई बयान जारी किया गया और न ही कोई जानकारी साझा की गई। लेकिन पार्टी के जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्हें इशारों में सभी बड़े मुस्लिम नेताओं और धर्म गुरुओं के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में जाकर बड़ी बैठकों को करने का निर्देश दिया गया है।

दरअसल बसपा को इस बात का अंदाजा है कि आजम खान समाजवादी पार्टी से अंदरूनी तौर पर नाराज चल रहे हैं। इसकी कई वजह हैं। इसमें एक बड़ी वजह निकल कर आ रही है कि समाजवादी पार्टी ने आजम खां की लड़ाई को पार्टी की लड़ाई मानकर नहीं लड़ा। यही वजह है कि आजम खान जैसे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता दो साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद हैं। इस बात को लेकर समाजवादी पार्टी के भीतर भी कई तरह की चर्चाएं चलती रहती हैं।

रामपुर की लोकसभा सीट है असल वजह

हालांकि बीते कुछ समय से अलग-अलग पार्टी के नेताओं की ओर से जिस तरह से आजम खान को लेकर समर्थन दिखाया जा रहा है वह आने वाले दिनों में बड़ी राजनैतिक उठापटक की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकारों का इस पर अलग-अलग मत भी है। भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि आजम खान के मामलों में सारी प्रक्रिया कानूनी तौर पर की जा रही है। लेकिन राजनीतिक मामलों में एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि आजम खा की समाजवादी पार्टी से नाराजगी किसी और वजह से नहीं बल्कि रामपुर की लोकसभा सीट को लेकर है। उनका कहना है कि दरअसल आजम खान अपनी खाली हुई लोकसभा सीट पर अपने ही परिवार के किसी नुमाइंदे को चुनाव में खड़ा करना चाहते हैं। जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अभी तक इस पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। राजनीतिक जानकार का कहना है कि रामपुर लोकसभा सीट की उम्मीदवारी जैसे ही घोषित होगी, उसी के आधार पर आजम खान का राजनीतिक सफर तय होगा।

हालांकि मायावती के आजम खान पर दिए गए बयान को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रिया है। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर मायावती को आजम खान इतनी चिंता है, तो वे दो साल से वह चुप क्यों बैठी रहीं। जबकि सपा लगातार आजम खा की लड़ाई लड़ रही है। सपा नेताओं का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी समेत कोई भी दल कितना भी प्रयास कर ले, लेकिन मुस्लिमों का भरोसा समाजवादी पार्टी के साथ शुरुआत से बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा।

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विस्तार

बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर से आजम खान के बहाने उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों पर बड़ा दांव खेलने का प्रयास किया है। मायावती ने आजम खान के दो साल से जेल में बंद रहने पर सरकार को आड़े हाथों लिया है। दरअसल मायावती का आजम खान के लिए दिया गया यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय इसलिए बना है क्योंकि बीते कुछ समय से मायावती लगातार मुस्लिमों को अपने पक्ष में जोड़ने के लिए कई तरह के बयान जारी कर चुकी हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले जानकारों का मानना है कि हाल में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा के चुनावों के बाद से मुस्लिमों की रहनुमाई करने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं की होड़ लगी हुई है। मायावती का यह बयान भी उसी होड़ से कम नहीं माना जा रहा है।

मुस्लिम वोटों का लालच

गुरुवार को मायावती ने सुबह-सुबह गरीबों दलितों-आदिवासियों और मुस्लिमों पर केंद्रित करते हुए एक ट्वीट किया था। जिसमें मायावती ने भाजपा से लेकर कांग्रेस शासित राज्यों में इन समुदाय के लोगों पर हो रहे अत्याचार का हवाला देकर दोनों पार्टियों पर निशाना साधा था। अपने इसी ट्वीट में मायावती ने सपा से विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान का भी जिक्र कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया। बहुजन समाज पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि दरअसल बसपा इस फिराक में है कि किसी तरीके से समाजवादी पार्टी के खाते में जुड़ने वाले मुस्लिम समुदाय के वोटरों का बड़ा हिस्सा उनके साथ जुड़ जाए। क्योंकि उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा के चुनावों में मुस्लिम और यादवों ने एक साथ मिलकर समाजवादी पार्टी को वोट दिया, बावजूद इसके समाजवादी पार्टी सत्ता में नहीं आई।

ऐसे में भाजपा को छोड़कर सभी राजनीतिक दल इस प्रयास में लगे हैं कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों का साथ उन्हें मिल सके। क्योंकि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े मुस्लिम बाहुल्य जिलों और इलाकों से आजम खां ताल्लुक रखते हैं। उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के रसूखदार नेता भी आजम खां माने जाते हैं। यही वजह है कि सभी राजनीतिक दल खुलकर के आजम खान को अपने पाले में लाने की तैयारी कर रहे हैं।

दलितों के अलावा चाहिए मुस्लिमों का साथ

बसपा सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल में मायावती के साथ उनकी पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। जिसमें चर्चा इस बात को लेकर हुई कि अगर पार्टी खुलकर मुस्लिमों के समर्थन में आए, तो उनको अपने कोर वोट बैंक दलितों के अलावा मुस्लिमों का भी साथ मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि बैठक में आजम खान जैसे कई अन्य मुस्लिम नेताओं के बारे में भी चर्चा की गई। हालांकि पार्टी की ओर से इस बारे में न कोई बयान जारी किया गया और न ही कोई जानकारी साझा की गई। लेकिन पार्टी के जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्हें इशारों में सभी बड़े मुस्लिम नेताओं और धर्म गुरुओं के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में जाकर बड़ी बैठकों को करने का निर्देश दिया गया है।

दरअसल बसपा को इस बात का अंदाजा है कि आजम खान समाजवादी पार्टी से अंदरूनी तौर पर नाराज चल रहे हैं। इसकी कई वजह हैं। इसमें एक बड़ी वजह निकल कर आ रही है कि समाजवादी पार्टी ने आजम खां की लड़ाई को पार्टी की लड़ाई मानकर नहीं लड़ा। यही वजह है कि आजम खान जैसे समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता दो साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद हैं। इस बात को लेकर समाजवादी पार्टी के भीतर भी कई तरह की चर्चाएं चलती रहती हैं।

रामपुर की लोकसभा सीट है असल वजह

हालांकि बीते कुछ समय से अलग-अलग पार्टी के नेताओं की ओर से जिस तरह से आजम खान को लेकर समर्थन दिखाया जा रहा है वह आने वाले दिनों में बड़ी राजनैतिक उठापटक की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकारों का इस पर अलग-अलग मत भी है। भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि आजम खान के मामलों में सारी प्रक्रिया कानूनी तौर पर की जा रही है। लेकिन राजनीतिक मामलों में एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि आजम खा की समाजवादी पार्टी से नाराजगी किसी और वजह से नहीं बल्कि रामपुर की लोकसभा सीट को लेकर है। उनका कहना है कि दरअसल आजम खान अपनी खाली हुई लोकसभा सीट पर अपने ही परिवार के किसी नुमाइंदे को चुनाव में खड़ा करना चाहते हैं। जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अभी तक इस पर अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है। राजनीतिक जानकार का कहना है कि रामपुर लोकसभा सीट की उम्मीदवारी जैसे ही घोषित होगी, उसी के आधार पर आजम खान का राजनीतिक सफर तय होगा।

हालांकि मायावती के आजम खान पर दिए गए बयान को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं की अलग-अलग प्रतिक्रिया है। समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर मायावती को आजम खान इतनी चिंता है, तो वे दो साल से वह चुप क्यों बैठी रहीं। जबकि सपा लगातार आजम खा की लड़ाई लड़ रही है। सपा नेताओं का कहना है कि बहुजन समाज पार्टी समेत कोई भी दल कितना भी प्रयास कर ले, लेकिन मुस्लिमों का भरोसा समाजवादी पार्टी के साथ शुरुआत से बना हुआ है और आगे भी बना रहेगा।

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