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उन्नाव। जिले में दो माह बाद भी शासनादेश का असर नहीं दिख रहा। 228 परिषदीय स्कूल जर्जर हैं। किसी में बरामदे की छत टूट रही है तो कहीं कमरे का प्लास्टर टूटा है। इसके बाद भी छात्रों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कराई जा रही है। तीन दिन पहले असोहा ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल में सांसद के निरीक्षण के बाद इसकी पोल खुली थी। उन्होंने बीएसए को फोन कर नाराजगी जताई। इसके बाद डीएम ने भी जर्जर स्कूलों को चिह्नित कर ध्वस्त करने के निर्देश दिए हैं।
बीएसए ने बीईओ से कहा है कि जर्जर स्कूलों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दें कि वह छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर बैठाएं।
जिले में 2709 परिषदीय स्कूल संचालित हैं। इसमें 1883 प्राथमिक, 451 उच्च प्राथमिक व 375 कंपोजिट स्कूल हैं। इन स्कूलों में 2.92 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। शासन स्तर से करीब दो माह पहले जर्जर स्कूलों को चिह्नित कर छात्रों को वहां से हटाकर दूसरे स्कूल में बैठाने के निर्देश दिए गए थे लेकिन विभागीय अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण छात्रों को खतरे में डालकर पढ़ाया जा रहा है।
चार जुलाई को सांसद साक्षी महाराज ने असोहा ब्लॉक के कांथा व सुरजापुर प्रथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया तो कांथा जर्जर कक्ष में पढ़ाई होते देखकर वह दंग रह गए थे। जब डीएम ने सख्ती दिखाई तो अब अधिकारियों ने 16 ब्लॉक में 228 जर्जर स्कूलों को चिह्नित किया है।
घटना हुई तो शिक्षक जिम्मेदार होंगे
बीएसए संजय तिवारी ने बताया कि बीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने क्षेत्र के स्कूलों का निरीक्षण कर लें ताकि कहीं भी छात्र जर्जर कक्ष में पढ़ते न मिलें। उन्हें सुरक्षित स्थान पर बैठाकर पढ़ाया जाए। उसके बाद भी कोई घटना होती है तो शिक्षक इसके जिम्मेदार होंगे।
266 स्कूलों के ऊपर झूल रहे खतरे के तार
उन्नाव। जर्जर स्कूलों के साथ स्कूलों के ऊपर से गुजरी हाईटेंशन लाइन व ट्रांसफार्मर भी चिंता का विषय हैं। 16 ब्लॉक व नगर क्षेत्र में 266 स्कूल ऐसे हैं जहां परिसर में खतरा झूल रहा है। इसमें सबसे अधिक हसनगंज के 124 स्कूल शामिल हैं। छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए महानिदेशक शिक्षा विजय किरन आनंद ने हाईटेंशन लाइन हटवाने के निर्देश दिए हैं। स्कूल चिह्नित होने के बाद अब बीएसए ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता को लाइन हटवाने के लिए पत्र भेजा है। बीएसए ने बताया कि पत्र लिखा जा चुका है। अब लाइन हटवाने की उनकी जिम्मेदारी है।
उन्नाव। जिले में दो माह बाद भी शासनादेश का असर नहीं दिख रहा। 228 परिषदीय स्कूल जर्जर हैं। किसी में बरामदे की छत टूट रही है तो कहीं कमरे का प्लास्टर टूटा है। इसके बाद भी छात्रों की जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कराई जा रही है। तीन दिन पहले असोहा ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल में सांसद के निरीक्षण के बाद इसकी पोल खुली थी। उन्होंने बीएसए को फोन कर नाराजगी जताई। इसके बाद डीएम ने भी जर्जर स्कूलों को चिह्नित कर ध्वस्त करने के निर्देश दिए हैं।
बीएसए ने बीईओ से कहा है कि जर्जर स्कूलों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दें कि वह छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर बैठाएं।
जिले में 2709 परिषदीय स्कूल संचालित हैं। इसमें 1883 प्राथमिक, 451 उच्च प्राथमिक व 375 कंपोजिट स्कूल हैं। इन स्कूलों में 2.92 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। शासन स्तर से करीब दो माह पहले जर्जर स्कूलों को चिह्नित कर छात्रों को वहां से हटाकर दूसरे स्कूल में बैठाने के निर्देश दिए गए थे लेकिन विभागीय अधिकारियों की हीलाहवाली के कारण छात्रों को खतरे में डालकर पढ़ाया जा रहा है।
चार जुलाई को सांसद साक्षी महाराज ने असोहा ब्लॉक के कांथा व सुरजापुर प्रथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया तो कांथा जर्जर कक्ष में पढ़ाई होते देखकर वह दंग रह गए थे। जब डीएम ने सख्ती दिखाई तो अब अधिकारियों ने 16 ब्लॉक में 228 जर्जर स्कूलों को चिह्नित किया है।
घटना हुई तो शिक्षक जिम्मेदार होंगे
बीएसए संजय तिवारी ने बताया कि बीईओ को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने क्षेत्र के स्कूलों का निरीक्षण कर लें ताकि कहीं भी छात्र जर्जर कक्ष में पढ़ते न मिलें। उन्हें सुरक्षित स्थान पर बैठाकर पढ़ाया जाए। उसके बाद भी कोई घटना होती है तो शिक्षक इसके जिम्मेदार होंगे।
266 स्कूलों के ऊपर झूल रहे खतरे के तार
उन्नाव। जर्जर स्कूलों के साथ स्कूलों के ऊपर से गुजरी हाईटेंशन लाइन व ट्रांसफार्मर भी चिंता का विषय हैं। 16 ब्लॉक व नगर क्षेत्र में 266 स्कूल ऐसे हैं जहां परिसर में खतरा झूल रहा है। इसमें सबसे अधिक हसनगंज के 124 स्कूल शामिल हैं। छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए महानिदेशक शिक्षा विजय किरन आनंद ने हाईटेंशन लाइन हटवाने के निर्देश दिए हैं। स्कूल चिह्नित होने के बाद अब बीएसए ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता को लाइन हटवाने के लिए पत्र भेजा है। बीएसए ने बताया कि पत्र लिखा जा चुका है। अब लाइन हटवाने की उनकी जिम्मेदारी है।
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