उन्नाव: नहीं मिला मुफ्त बस सेवा का लाभ

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उन्नाव। रक्षाबंधन पर बहनों को बसों में मुफ्त सफर की सुविधा पटरी से उतरती दिखी। लखनऊ-कानपुर हाईवे और बाईपास पर शुक्रवार सुबह से देर शाम तक बसें पूरी तरह भरीं रहीं। हाल ये रहा कि चालकों ने बस नहीं रोकी। कई महिलाएं तो बसें पकड़ने के लिए दौड़ीं, इसके बाद भी सीट नहीं मिली और खड़े होकर सफर करना पड़ा। कुछ ने बताया कि घंटों इंतजार के बाद साधन नहीं मिला तो घर लौटना पड़ा।
शुक्रवार को लखनऊ और कानपुर जाने वाली बसों में सीट पाने के लिए मारामारी रही। त्योहार के कारण चालकों के छुट्टी पर रहने से विभिन्न रूटों पर चलने वाली प्राइवेट बसें, टेंपो व अन्य यात्री वाहन नहीं चले।
रोडवेज बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा तो थी लेकिन भीड़ अधिक होने से उन्हें कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ा। आवास विकास बाईपास पर लखनऊ और कानपुर जाने के लिए सुबह से ही भीड़ रही। निर्धारित स्टॉपेज से दूर बसें रुकने से महिलाएं बच्चों और बैग लेकर दौड़ लगाती रहीं। जब सीट नहीं मिली तो उन्होंने व्यवस्था को कोसा।
चालकों ने नहीं रोकी बस
पूरन नगर निवासी मीनू अवस्थी ने बताया कि उन्हें कानपुर जाना था लेकिन बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। लखनऊ की ओर से आ रहीं बसें पहले से भरी थीं। चालक यहां रोक ही नहीं रहे थे। करीब डेढ़ घंटे बाद एक बस पचास मीटर दूर जाकर रुकी। दौड़कर बस पकड़नी पड़ी।
तीन घंटे इंतजार कर लौट गईं
कृष्णानगर निवासी दीपशिखा को रक्षाबंधन पर लखनऊ जाना था। वह सुबह सात बजे बाईपास स्थित बस स्टॉप पर पहुंच गईं। जो भी बसें आ रही थीं उनमें पहले से ही सीटें फुल थीं। तीन घंटे इंतजार के बाद वह घर लौट आईं निजी साधन से गईं। बताया कि इस मुश्किल ने त्योहार का उत्साह कम कर दिया।
बैठने की नहीं मिली जगह
शाहगंज की शिल्पी ने बताया कि त्योहार पर उन्हें कानपुर जाना था। पहले वह बस स्टेशन गईं लेकिन वहां कोई बस नहीं मिली। इसके बाद आवास विकास बाईपास पहुंचीं जहां करीब डेढ़ घंटे इंतजार के बाद बस मिली लेकिन इतनी भीड़ थी कि बैठने की जगह नहीं मिली। खड़े होकर पूरा सफर करना पड़ा।
भाई निजी साधन से लेकर गए
मायके आईं कानपुर किदवई नगर निवासी प्रिया ने बताया कि सुबह आते वक्त तो बस मिल गई लेकिन वापसी के लिए दोपहर बाद वह करीब एक घंटे तक बाईपास पर इंतजार करतीं रहीं। इसके बाद भी बस नहीं मिली तो घर लौट आईं। भाई आशीष उन्हें निजी साधन से कानपुर लेकर गए।

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उन्नाव। रक्षाबंधन पर बहनों को बसों में मुफ्त सफर की सुविधा पटरी से उतरती दिखी। लखनऊ-कानपुर हाईवे और बाईपास पर शुक्रवार सुबह से देर शाम तक बसें पूरी तरह भरीं रहीं। हाल ये रहा कि चालकों ने बस नहीं रोकी। कई महिलाएं तो बसें पकड़ने के लिए दौड़ीं, इसके बाद भी सीट नहीं मिली और खड़े होकर सफर करना पड़ा। कुछ ने बताया कि घंटों इंतजार के बाद साधन नहीं मिला तो घर लौटना पड़ा।

शुक्रवार को लखनऊ और कानपुर जाने वाली बसों में सीट पाने के लिए मारामारी रही। त्योहार के कारण चालकों के छुट्टी पर रहने से विभिन्न रूटों पर चलने वाली प्राइवेट बसें, टेंपो व अन्य यात्री वाहन नहीं चले।

रोडवेज बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा की सुविधा तो थी लेकिन भीड़ अधिक होने से उन्हें कई-कई घंटे इंतजार करना पड़ा। आवास विकास बाईपास पर लखनऊ और कानपुर जाने के लिए सुबह से ही भीड़ रही। निर्धारित स्टॉपेज से दूर बसें रुकने से महिलाएं बच्चों और बैग लेकर दौड़ लगाती रहीं। जब सीट नहीं मिली तो उन्होंने व्यवस्था को कोसा।

चालकों ने नहीं रोकी बस

पूरन नगर निवासी मीनू अवस्थी ने बताया कि उन्हें कानपुर जाना था लेकिन बस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। लखनऊ की ओर से आ रहीं बसें पहले से भरी थीं। चालक यहां रोक ही नहीं रहे थे। करीब डेढ़ घंटे बाद एक बस पचास मीटर दूर जाकर रुकी। दौड़कर बस पकड़नी पड़ी।

तीन घंटे इंतजार कर लौट गईं

कृष्णानगर निवासी दीपशिखा को रक्षाबंधन पर लखनऊ जाना था। वह सुबह सात बजे बाईपास स्थित बस स्टॉप पर पहुंच गईं। जो भी बसें आ रही थीं उनमें पहले से ही सीटें फुल थीं। तीन घंटे इंतजार के बाद वह घर लौट आईं निजी साधन से गईं। बताया कि इस मुश्किल ने त्योहार का उत्साह कम कर दिया।

बैठने की नहीं मिली जगह

शाहगंज की शिल्पी ने बताया कि त्योहार पर उन्हें कानपुर जाना था। पहले वह बस स्टेशन गईं लेकिन वहां कोई बस नहीं मिली। इसके बाद आवास विकास बाईपास पहुंचीं जहां करीब डेढ़ घंटे इंतजार के बाद बस मिली लेकिन इतनी भीड़ थी कि बैठने की जगह नहीं मिली। खड़े होकर पूरा सफर करना पड़ा।

भाई निजी साधन से लेकर गए

मायके आईं कानपुर किदवई नगर निवासी प्रिया ने बताया कि सुबह आते वक्त तो बस मिल गई लेकिन वापसी के लिए दोपहर बाद वह करीब एक घंटे तक बाईपास पर इंतजार करतीं रहीं। इसके बाद भी बस नहीं मिली तो घर लौट आईं। भाई आशीष उन्हें निजी साधन से कानपुर लेकर गए।

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