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सार
चढ़ावे में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आने के बाद यह धार्मिक स्थल सुर्खियों में है। स्थानीय लोग दरगाह के स्थान पर मंदिर होने का दावा कर रहे हैं। हालांकि यह स्थल दोनों धर्मों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।
एटा के जलेसर स्थित बड़े मियां-छोटे मियां की दरगाह सुर्खियों में है। दरगाह कमेटी के विवाद के बाद इस धार्मिक स्थल पर तरह-तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जात से एक दिन पहले यहां लाल रंग के दो ध्वज फहरा दिए गए, जो बुधवार को भी दरगाह पर लगे रहे। इससे पहले दरगाह पर हरे रंग के ध्वज फहराए जाते थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पूर्व में शनिदेव मंदिर था। दरगाह बाद में अतिक्रमण कर बनाई गई। जात की धार्मिक मान्यता मंदिर की ही है। एसडीएम अलीगंज अलंकार अग्निहोत्री ने बताया कि जात करने के लिए हिंदू श्रद्धालु अधिक संख्या में आते हैं। धार्मिक परंपरा के मुताबिक वह नेजा (ध्वज) चढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं ने ही यहां ध्वज लगा दिए हैं।
विधायक कर रहे मंदिर का दावा
क्षेत्रीय विधायक संजीव दिवाकर और जलेसर देहात ग्राम पंचायत प्रधान शीलेंद्र सिंह भी इस स्थान पर शनिदेव मंदिर का दावा कर चुके हैं। उनका कहना है कि प्राचीन काल से इस स्थान पर शनिदेव का मंदिर स्थापित था। बाद में दरगाह कमेटी से जुड़े लोगों ने अतिक्रमण कर निर्माण कर लिया। धीरे-धीरे मंदिर का अस्तित्व खत्म करते गए।
दरगाह के चढ़ावे में घोटाला
बड़े मियां-छोटे मियां की दरगाह पर शनिजात के चढ़ावे में करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आने के बाद दरगाह को प्रशासन अपने कब्जे में ले चुका है। अब यहां व्यवस्थाओं को सुधारा जा रहा है। बड़े मियां दरगाह के बाद अब छोटे मियां दरगाह पर भी प्रशासन की नजर रहेगी।
दरअसल इस दरगाह पर भी बड़े मियां दरगाह कमेटी पदाधिकारियों के परिजन का ही कब्जा था। कार्रवाई होने के बाद ये लोग भी कस्बा छोड़कर भागे हुए हैं। ग्राम पंचायत समिति सहित कुछ स्थानीय लोगों को देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि चढ़ावे में आने वाला पैसा सरकारी कोष में जमा किया जाएगा।
बुधवार और शनिवार को जुटते हैं श्रद्धालु
जात के लिए स्थानीय व दूरदराज से आने वाले लोग इन दोनों ही दरगाह पर बुधवार और शनिवार को पहुंचकर पूजा-पाठ करते हैं। चढ़ावे के रूप में यहां काफी रुपये व अन्य सामान आता है। बड़े मियां की दरगाह व शनि मंदिर का महत्व अधिक है। यहां एक प्रबंध समिति बनाई गई थी, जिसके नाम के लिए संचालन किया रहा था। जबकि छोटे मियां दरगाह पर कोई समिति ही नहीं बनी।
घोटाले के आरोपी हैं फरार
बड़े मियां दरगाह पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आने के बाद प्रबंध समिति से जुड़े पदाधिकारी व सदस्य फरार हो गए। जबकि छोटे मियां की दरगाह पर जात कराने वाले लोग भी इसी परिवार के थे, वह भी कार्रवाई के बाद से फरार हैं। ऐसे में बुधवार की जात के लिए जलेसर देहात ग्राम पंचायत से समिति और जैन समाज से जुड़े कुछ लोगों को देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई।
जैन समाज का दावा है कि उनका एक हिस्सा दरगाह में है। बुधवार को इन्हीं लोगों की देखरेख में श्रद्धालुओं को जात कराई गई। एसडीएम ने बताया कि इस दरगाह के स्वामित्व, चढ़ावा आदि को लेकर भी जांच की जा रही है। गड़बड़ी मिलने पर यहां भी कार्रवाई की जाएगी।
विस्तार
एटा के जलेसर स्थित बड़े मियां-छोटे मियां की दरगाह सुर्खियों में है। दरगाह कमेटी के विवाद के बाद इस धार्मिक स्थल पर तरह-तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जात से एक दिन पहले यहां लाल रंग के दो ध्वज फहरा दिए गए, जो बुधवार को भी दरगाह पर लगे रहे। इससे पहले दरगाह पर हरे रंग के ध्वज फहराए जाते थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पूर्व में शनिदेव मंदिर था। दरगाह बाद में अतिक्रमण कर बनाई गई। जात की धार्मिक मान्यता मंदिर की ही है। एसडीएम अलीगंज अलंकार अग्निहोत्री ने बताया कि जात करने के लिए हिंदू श्रद्धालु अधिक संख्या में आते हैं। धार्मिक परंपरा के मुताबिक वह नेजा (ध्वज) चढ़ाते हैं। श्रद्धालुओं ने ही यहां ध्वज लगा दिए हैं।
विधायक कर रहे मंदिर का दावा
क्षेत्रीय विधायक संजीव दिवाकर और जलेसर देहात ग्राम पंचायत प्रधान शीलेंद्र सिंह भी इस स्थान पर शनिदेव मंदिर का दावा कर चुके हैं। उनका कहना है कि प्राचीन काल से इस स्थान पर शनिदेव का मंदिर स्थापित था। बाद में दरगाह कमेटी से जुड़े लोगों ने अतिक्रमण कर निर्माण कर लिया। धीरे-धीरे मंदिर का अस्तित्व खत्म करते गए।
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