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उन्नाव। जमीन पर कब्जे के मामलों में शासन की सख्त रवैये के बाद भी इस तरह के मामले थम नहीं ले रहे हैं। शुक्रवार को दो अलग-अलग गांवों के लोगों ने एसडीएम से मिल जमीन को कब्जा मुक्त कराने की मांग की है।
तहसील क्षेत्र के उत्साह निवासी रामप्रसाद ने बताया कि चकबंदी सर्वे होने के बाद उसे जमीन संख्या 695 चिन्हांकन कर दी गई थी। जमीन मिलने के बाद उस पर गेहूं की फसल भी बो दी। अब गांव के ही दो युवक फसल जबरन काट रहे हैं। ग्राम सभा वजीरखेड़ा के मजरे मजरा कुरसठ निवासी सुशीला (60) ने बताया कि गांव में 20 साल पहले उनके ससुर भीमा के नाम पट्टा हुआ था। ससुर की मौत के बाद जमीन उसके नाम आ गई थी।
गांव का युवक अब उस पर कब्जा किए है। कई बार तहसील में प्रार्थनापत्र दिया तो एक साल पहले लेखपाल ने ढाई बिसुआ जमीन बिना नापजोख के दिला दी। शेष जमीन पर आज भी वह कब्जेदार हैं।
एसडीएम रामसकल मौर्य ने पीड़िता की शिकायत पर क्षेत्रीय लेखपाल व पुलिस की संयुक्त टीम को मौके पर जाकर भूमि पैमाइश कर कब्जा मुक्त कराने के निर्देश दिए हैं।
उन्नाव। जमीन पर कब्जे के मामलों में शासन की सख्त रवैये के बाद भी इस तरह के मामले थम नहीं ले रहे हैं। शुक्रवार को दो अलग-अलग गांवों के लोगों ने एसडीएम से मिल जमीन को कब्जा मुक्त कराने की मांग की है।
तहसील क्षेत्र के उत्साह निवासी रामप्रसाद ने बताया कि चकबंदी सर्वे होने के बाद उसे जमीन संख्या 695 चिन्हांकन कर दी गई थी। जमीन मिलने के बाद उस पर गेहूं की फसल भी बो दी। अब गांव के ही दो युवक फसल जबरन काट रहे हैं। ग्राम सभा वजीरखेड़ा के मजरे मजरा कुरसठ निवासी सुशीला (60) ने बताया कि गांव में 20 साल पहले उनके ससुर भीमा के नाम पट्टा हुआ था। ससुर की मौत के बाद जमीन उसके नाम आ गई थी।
गांव का युवक अब उस पर कब्जा किए है। कई बार तहसील में प्रार्थनापत्र दिया तो एक साल पहले लेखपाल ने ढाई बिसुआ जमीन बिना नापजोख के दिला दी। शेष जमीन पर आज भी वह कब्जेदार हैं।
एसडीएम रामसकल मौर्य ने पीड़िता की शिकायत पर क्षेत्रीय लेखपाल व पुलिस की संयुक्त टीम को मौके पर जाकर भूमि पैमाइश कर कब्जा मुक्त कराने के निर्देश दिए हैं।
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