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नयी दिल्ली: स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि सरकार ने सभी कार्यस्थलों पर अनिवार्य मासिक धर्म अवकाश का प्रावधान करने पर विचार नहीं किया है। एक लिखित उत्तर में, उन्होंने कहा कि मासिक धर्म एक सामान्य शारीरिक घटना है और केवल कुछ ही महिलाएं/लड़कियां गंभीर कष्टार्तव या इसी तरह की शिकायतों से पीड़ित हैं और इनमें से अधिकांश मामलों को दवा द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।
सरकार 10-19 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों के बीच मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए योजना लागू करती है। मंत्री ने कहा कि इस योजना को राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर राज्य कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना (पीआईपी) के माध्यम से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा समर्थित किया गया है। 2015-16 से, गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए सैनिटरी नैपकिन की खरीद का विकेंद्रीकरण किया गया है।
योजना का मुख्य उद्देश्य मासिक धर्म स्वच्छता पर किशोरियों के बीच जागरूकता बढ़ाना, किशोरियों द्वारा उच्च गुणवत्ता वाले सैनिटरी नैपकिन की पहुंच और उपयोग में वृद्धि करना और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से सैनिटरी नैपकिन का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना है।
योजना के तहत, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) द्वारा रियायती दरों पर किशोरियों को सैनिटरी नैपकिन के पैक प्रदान किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार मासिक धर्म स्वच्छता के लिए फील्ड स्तर के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आईईसी गतिविधियों के उन्मुखीकरण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बजट भी प्रदान करती है।
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