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प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला
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प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने मेडिकल कॉलेजों के सभी वेंटिलेटर को तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि खराब वेंटिलेटर को जल्द से जल्द दुरुस्त कराकर शत प्रतिशत चालू करें। इससे पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटरों की मरम्मत का रास्ता भी साफ हो गया है।
कोविड के दौरान प्रधानमंत्री केयर फंड से चिकित्सा शिक्षा विभाग को मिले 2497 वेंटिलेटर में से 182 खराब हो गए थे। इस पर निर्माता कंपनी ने मरम्मत के लिए कीमत का 15 फीसदी शुल्क मांगा। चिकित्सा, शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय ने स्वास्थ्य महानिदेशालय से इस संबंध में जानकारी ली तो पता चला कि जिला अस्पतालों के वेंटिलेटर की मरम्मत चार से पांच फीसदी कीमत पर हो रही है।
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इस पर प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने उसी कंपनी से बात करके वेंटिलेटर की मरम्मत कराने का निर्देश दिया है। मरम्मत के कारण वेंटिलेकर करीब छह माह से खराब पड़े थे।
कोविड के मरीज बढ़े तो दिखी सक्रियता
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में कोविड मरीजों की संख्या फिर बढ़ने लगी है। ऐसे में सभी प्रधानाचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षकों को खराब वेंटिलेटर की विस्तृत रिपोर्ट भेजने, कोविड के लिए कम से कम 10 वेंटिलेटर रिजर्व रखने और कोविड मरीजों की संख्या बढ़ने पर वेंटिलेटर और स्टाफ बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
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