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खेरेश्वर धाम मंदिर अलीगढ़
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
अलीगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 13 किलोमीटर दूर खैर बाईपास पर खेरेश्वर चौराहा के पास बना खेरेश्वर धाम मंदिर महाशिवरात्रि पर्व पर श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा एवं भक्ति का केंद्र बन जाता है। आसपास ही नहीं दूर-दराज वाले स्थानों से आने वाले श्रद्धालु यहां आकर बाबा के दरबार में मत्था टेकते हैं और गंगाजल एवं दूध चढ़ाकर पूजा-अर्चना करते हैं।
भगवान कृष्ण के पड़े थे चरण
ब्रज की देहरी कहे जाने वाले अलीगढ़ का इतिहास पौराणिक कथा और कहानियों से भी जुड़ा हुआ है। साक्षात भगवान श्री कृष्ण के चरण अलीगढ़ की धरती पर पड़ चुके हैं। लोधा क्षेत्र में स्थित सिद्धपीठ खेरेश्वर धाम भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ आए हुए थे। पांडवों के साथ उन्होंने खेरेश्वर धाम स्थित शिव मंदिर पर हवन भी किया था, इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेरेश्वर धाम की मान्यता है और यहां कई प्रांतों के श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ और श्री बांके बिहारी जी के स्वरूप का दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। स्वामी हरिदास जी की कर्म स्थली के रूप में भी खेरेश्वर धाम को जाना जाता है।
गहरी जलहरी में है शिवलिंग
यहां गहरी जलहरी में शिवलिंग विराजमान हैं। ऐसा बताया जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम जी के साथ गंगा स्नान करने जा रहे थे। रास्ते में खेरेश्वरधाम उस समय एक टीले के रूप में था यहां पर दोनों भाइयों ने कुछ देर विश्राम किया और भगवान भोलेनाथ शिवलिंग की उपासना की थी। इसी इलाके में बलराम ने कोलासुर राक्षस का अपने हल से वध कर दिया। उस हल को आगे लेकर बढ़े तो हरदुआगंज में एक तालाब में उस हल को धोया। इससे हरदुआगंज का नाम हल दुआ पड़ गया। यहां हल धुलने के बाद फिर दोनों भाइयों ने गंगा में जाकर स्नान किया।
भगवान श्री कृष्ण खेरेश्वर धाम में रुके थे, इसलिए धीरे धीरे खेरेश्वर धाम की पौराणिक मान्यता पर और वहां भक्तों का आना शुरू हो गया। ऐसा भी बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों के साथ आकर उन्होंने शिवलिंग की पूजा की थी और हवन किया था, इसीलिए यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। आज जिले भर के साथ ही दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा आदि जगहों से भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहां पर आते हैं। प्रत्येक सोमवार को मंदिर में विशाल मेला भी लगता है।
स्वामी हरिदास से भी है जुड़ाव
स्वामी हरिदास जी महान संगीतकार थे और उनके शिष्य तानसेन अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक थे। प्रसिद्ध संगीतकार स्वामी हरिदास से खेरेश्वर धाम का जुड़ाव है। एकदम निकट हरिदासपुर गांव में आकर स्वामी हरिदास जी ने कुछ समय व्यतीत किया था, इसलिए यहां पर श्री बांके बिहारी जी की छवि की तरह स्वरूप भी स्थापित हैं। स्वामी हरिदासजी की पत्नी का समाधि स्थल भी यहां पर बना हुआ है।
उमड़ता है शिवभक्तों की आस्था का सैलाब
महाशिवरात्रि पर्व पर खेरेश्वर धाम मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है। भगवान भोलेनाथ यहां शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं और सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध हैं। इसलिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु शिवलिंग पर जल अर्पित करने के लिए आते हैं। हर-हर बम-बम के जयकारों से पूरा मंदिर गूंजता रहता है।
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