गोबर बेचकर किसान चलेंगे तरक्की की डगर

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उन्नाव। ब्लाक सिकंदरपुर सरोसी के थाना गांव में संचालित गो संरक्षण केंद्र में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जिले का पहला सामुदायिक बायोगैस प्लांट लगाने की तैयारी है। यहां गोबर से बिजली बनाई जाएगी। सरकार किसानों से गोबर खरीदेगी। इससे पशुपालकों को दूध न देने वाले मवेशियों से भी आमदनी होगी। अन्ना मवेशियों की समस्या से भी राहत मिलेगी।
सोमवार को कानपुर देहात में हुई जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छुट्टा मवेशियों से परेशान किसानाें को राहत दिलाने का वादा किया था। कहा था कि भाजपा किसानों को गोबर बेचकर कमाई का विकल्प देगी। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में शुरू की गई गोबर धन योजना इसी का एक हिस्सा है। इस योजना के जरिये जनपद में खोली गई गोशालाओं में बायोगैस प्लांट का निर्माण कराकर गोबर से बिजली बनाई जाएगी। जिले में इसके लिए थाना गांव में खुले गो संरक्षण केंद्र का चयन किया गया है। थाना में आठ बीघा बंजर भूमि में गो संरक्षण केंद्र का निर्माण कराया गया है। वर्तमान में यहां 495 मवेशी संरक्षित हैं। अब प्रशासन ग्रामीणों को बिजली व ईंधन के लिए गैस आपूर्ति के उद्देश्य से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहला मॉडल सामुदायिक बायोगैस प्लांट स्थापित कराने जा रहा है। गोबर धन सेल का गठन भी किया जा चुका है। इसमें 21 सदस्य शामिल हैं।
शासन से मिले 50 लाख
प्रदेश सरकार से इस प्लांट के लिए 50 लाख की धनराशि मिल गई है। हालांकि चुनावी आचार संहिता लागू है, जिस कारण काम आगे नहीं बढ़ पाया है। विभाग ने इसके लिए ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को नामित कर दिया है। चुनाव समाप्त होते ही प्लांट स्थापना की डीपीआर तैयार कराकर कार्रवाई की जाएगी।
अपशिष्ट का फसलों में भी कर सकेंगे प्रयोग
सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कहा कि मवेशियों के गोबर का प्रयोग बायोगैस प्लांट में किया जाएगा। इससे बनने वाली गैस से गोशाला में बिजली, पानी की व्यवस्था की जाएगी। बिजली बनने से ग्रामीणों के घर रोशन होंगे। जो अपशिष्ट बचेगा उसका प्रयोग किसान फसलों में खाद के रूप में भी कर सकेंगे।
ये हैं फायदे
– गोबर, कृषि अपशिष्ट, रसोई घर के कचरे आदि को कंपोस्ट, बायोगैस व बायो सीएनजी में बदलने का लक्ष्य।
– गोबर धन योजना से ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ रखने में मदद।
– बायोगैस से खाना भी पकेगा और ऊर्जा मिल सकेगी।
– किसानों व पशुपालकों की अतिरिक्त आमदनी का जरिया बनेगा।
पीएमओ ने की थी सराहना
जिले में सरकारी गोशालाओं में पराली के बदले गोबर खाद देने की पहल को नौ नवंबर 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी सराहा था। खेतों में फसल अवशेष (पराली) जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचाव के लिए 2020 में डीएम रवींद्र कुमार ने नई व्यवस्था शुरू कराई थी। इसमें दो ट्राली पराली के बदले किसानों को गोबर खाद दी जाती है। खाद के लिए कई किसानों ने गोशालाओं को पराली दान करना शुरू कर दिया है। गोशाला में पराली लदी ट्रालियों के साथ कृषि व पशु चिकित्साधिकारी की फोटो लगाकर ट्वीट कर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसकी सराहना की थी और सभी राज्य सरकारों से किसान हित में इसे शुरू करने की अपील की थी।

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उन्नाव। ब्लाक सिकंदरपुर सरोसी के थाना गांव में संचालित गो संरक्षण केंद्र में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में जिले का पहला सामुदायिक बायोगैस प्लांट लगाने की तैयारी है। यहां गोबर से बिजली बनाई जाएगी। सरकार किसानों से गोबर खरीदेगी। इससे पशुपालकों को दूध न देने वाले मवेशियों से भी आमदनी होगी। अन्ना मवेशियों की समस्या से भी राहत मिलेगी।

सोमवार को कानपुर देहात में हुई जनसभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छुट्टा मवेशियों से परेशान किसानाें को राहत दिलाने का वादा किया था। कहा था कि भाजपा किसानों को गोबर बेचकर कमाई का विकल्प देगी। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में शुरू की गई गोबर धन योजना इसी का एक हिस्सा है। इस योजना के जरिये जनपद में खोली गई गोशालाओं में बायोगैस प्लांट का निर्माण कराकर गोबर से बिजली बनाई जाएगी। जिले में इसके लिए थाना गांव में खुले गो संरक्षण केंद्र का चयन किया गया है। थाना में आठ बीघा बंजर भूमि में गो संरक्षण केंद्र का निर्माण कराया गया है। वर्तमान में यहां 495 मवेशी संरक्षित हैं। अब प्रशासन ग्रामीणों को बिजली व ईंधन के लिए गैस आपूर्ति के उद्देश्य से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहला मॉडल सामुदायिक बायोगैस प्लांट स्थापित कराने जा रहा है। गोबर धन सेल का गठन भी किया जा चुका है। इसमें 21 सदस्य शामिल हैं।

शासन से मिले 50 लाख

प्रदेश सरकार से इस प्लांट के लिए 50 लाख की धनराशि मिल गई है। हालांकि चुनावी आचार संहिता लागू है, जिस कारण काम आगे नहीं बढ़ पाया है। विभाग ने इसके लिए ग्रामीण अभियंत्रण विभाग को नामित कर दिया है। चुनाव समाप्त होते ही प्लांट स्थापना की डीपीआर तैयार कराकर कार्रवाई की जाएगी।

अपशिष्ट का फसलों में भी कर सकेंगे प्रयोग

सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कहा कि मवेशियों के गोबर का प्रयोग बायोगैस प्लांट में किया जाएगा। इससे बनने वाली गैस से गोशाला में बिजली, पानी की व्यवस्था की जाएगी। बिजली बनने से ग्रामीणों के घर रोशन होंगे। जो अपशिष्ट बचेगा उसका प्रयोग किसान फसलों में खाद के रूप में भी कर सकेंगे।

ये हैं फायदे

– गोबर, कृषि अपशिष्ट, रसोई घर के कचरे आदि को कंपोस्ट, बायोगैस व बायो सीएनजी में बदलने का लक्ष्य।

– गोबर धन योजना से ग्रामीण क्षेत्रों को स्वच्छ रखने में मदद।

– बायोगैस से खाना भी पकेगा और ऊर्जा मिल सकेगी।

– किसानों व पशुपालकों की अतिरिक्त आमदनी का जरिया बनेगा।

पीएमओ ने की थी सराहना

जिले में सरकारी गोशालाओं में पराली के बदले गोबर खाद देने की पहल को नौ नवंबर 2020 को प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी सराहा था। खेतों में फसल अवशेष (पराली) जलाने से होने वाले प्रदूषण से बचाव के लिए 2020 में डीएम रवींद्र कुमार ने नई व्यवस्था शुरू कराई थी। इसमें दो ट्राली पराली के बदले किसानों को गोबर खाद दी जाती है। खाद के लिए कई किसानों ने गोशालाओं को पराली दान करना शुरू कर दिया है। गोशाला में पराली लदी ट्रालियों के साथ कृषि व पशु चिकित्साधिकारी की फोटो लगाकर ट्वीट कर प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसकी सराहना की थी और सभी राज्य सरकारों से किसान हित में इसे शुरू करने की अपील की थी।

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