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उन्नाव। छुट्टा मवेशियों से फसल को बचाने के लिए खेतों में डेरा जमाए किसानों को जल्द ही इससे निजात मिलने की उम्मीद जगी है। जनपद में पुरवा और नवाबगंज में दो और बड़े गो संरक्षण केंद्र बनकर तैयार हो गए हैं। पशुपालन विभाग एक, दो दिन में केंद्र शुरू करके छुट्टा मवेशियों को संरक्षित करने की तैयारी में जुटा हुआ है।
सूबे में 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र में आवारा जानवरों के लिए आश्रयस्थल बनाने की बात कही थी। सरकार बनने के एक साल बाद पिछले साल 2018 में सरकार ने इस पर कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए सिकंदरपुर सरोसी के थाना गांव में पहला गो संरक्षण केंद्र खोलने के लिए 1.20 करोड़ की धनराशि जारी की थी।
इसके बाद सभी तहसीलों में एक, एक केंद्र निर्माण की कवायद शुरू की गई। इसी कड़ी में हसनगंज तहसील के नवाबगंज और पुरवा तहसील के जयसिंहखेड़ा में गो संरक्षण केंद्रों का निर्माण कराया गया है। दोनों केंद्र बनकर तैयार हो गए हैं। कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी ने पशुपालन विभाग को हैंडओवर कर दिया है।
इंसेट-1
एक हजार मवेशियों के रखने की होगी व्यवस्था
दोनों केंद्रों में करीब एक हजार आवारा मवेशियों के रखने की व्यवस्था होगी। यहां पर 4,4 गोवंश शेड, दो, दो भूसा गोदाम, एक, एक कार्यालय, औषधि कक्ष, स्टोर, कर्मचारियों के लिए आवास, स्नानाघर, शौचालय, चरही (चारा, पानी के लिए), 10 हजार लीटर क्षमता की पानी की टंकी का निर्माण कराया गया है।
इंसेट-2
गो संरक्षण केंद्रों में तार बंधवाए जा रहे हैं। जिससे मवेशी यहां से भाग न सकें। एक, दो दिन में दोनों केंद्रों को चालू करा दिया जाएगा। इसके बाद एक हजार मवेशियों को यहां पर संरक्षित कराया जाएगा।- डॉ. पीके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी उन्नाव।
फोटो-6
परिचय-गंजमुरादाबाद में मुख्य मार्ग से निकलता छुट्टा मवेशियों का झुंड।
टोल प्लाजा सहित छह स्थल अतिसंवेदनशील क्षेत्र
-सीडीओ बोले, इन स्थलों के 300 मीटर परिधि में मवेशी दिखे तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय
-खुले में घूम रहे मवेशियों को गोशालाओं में संरक्षित करने के लिए तीन दिन का दिया गया समय
संवाद न्यूज एजेंसी
उन्नाव। छुट्टा मवेशियों की धमाचौकड़ी को लेकर टोल प्लाजा सहित छह स्थलों को अतिसंवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। इन स्थलों के 300 मीटर परिधि में मवेशी दिखे तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय की जाएगी। वहीं छुट्टा मवेशियों को गोशालाओं में भेजने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है।
मुख्य सचिव ने 21 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से छुट्टा मवेशियों को संरक्षित किए जाने की जानकारी ली थी। इसमें सीवीओ द्वारा गलत जानकारी दी गई थी। जिसको लेकर डीएम व सीडीओ ने कड़ा रुख अपनाया था। अब सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने सभी एसडीएम, सीओ, बीडीओ, ईओ और उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को कड़ा पत्र जारी किया है। इसमें बताया है कि जिला प्रशासन ने मवेशियों की धमाचौकड़ी के लिहाज से सोहरामऊ बार्डर, नवाबगंज टोल प्लाजा, अजगैन चौराहा, दही चौकी तिराहा, गदनखेड़ा बाईपास व ललऊखेड़ा रोड को अतिसंवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है। इन क्षेत्रों में 300 मीटर परिधि में मवेशियों की धमाचौकड़ी प्रतिबंधित किया गया है। इसलिए तहसीलदार, बीडीओ, थानाध्यक्ष व ईओ इन क्षेत्रों में निराश्रित गोवंश न दिखें इसकी व्यवस्था कर लें। एसडीएम, सीओ अपने क्षेत्र में भ्रमण करके यह देखे कि छुट्टा मवेशी कहीं विचरण तो नहीं कर रहे हैं। यदि मवेशी दिखे तो अधिकारियों पर कार्रवाई करें। ग्राम पंचायतस्तर पर लेखपाल, सचिव, चौकीदार, रोजगार सेवक और पंचायत सहायक के माध्यम से निगरानी कराएं कि कहीं खेत पर किसान रखवाली तो नहीं कर रहे हैं। मवेशियों को तीन दिन में नजदीक की गोशाला में संरक्षित कराएं। अपने दुधारू पशु को खुला छोड़ने वाले पशुपालकों पर रिपोर्ट दर्ज कराएं।
उन्नाव। छुट्टा मवेशियों से फसल को बचाने के लिए खेतों में डेरा जमाए किसानों को जल्द ही इससे निजात मिलने की उम्मीद जगी है। जनपद में पुरवा और नवाबगंज में दो और बड़े गो संरक्षण केंद्र बनकर तैयार हो गए हैं। पशुपालन विभाग एक, दो दिन में केंद्र शुरू करके छुट्टा मवेशियों को संरक्षित करने की तैयारी में जुटा हुआ है।
सूबे में 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र में आवारा जानवरों के लिए आश्रयस्थल बनाने की बात कही थी। सरकार बनने के एक साल बाद पिछले साल 2018 में सरकार ने इस पर कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए सिकंदरपुर सरोसी के थाना गांव में पहला गो संरक्षण केंद्र खोलने के लिए 1.20 करोड़ की धनराशि जारी की थी।
इसके बाद सभी तहसीलों में एक, एक केंद्र निर्माण की कवायद शुरू की गई। इसी कड़ी में हसनगंज तहसील के नवाबगंज और पुरवा तहसील के जयसिंहखेड़ा में गो संरक्षण केंद्रों का निर्माण कराया गया है। दोनों केंद्र बनकर तैयार हो गए हैं। कार्यदायी संस्था पीडब्ल्यूडी ने पशुपालन विभाग को हैंडओवर कर दिया है।
इंसेट-1
एक हजार मवेशियों के रखने की होगी व्यवस्था
दोनों केंद्रों में करीब एक हजार आवारा मवेशियों के रखने की व्यवस्था होगी। यहां पर 4,4 गोवंश शेड, दो, दो भूसा गोदाम, एक, एक कार्यालय, औषधि कक्ष, स्टोर, कर्मचारियों के लिए आवास, स्नानाघर, शौचालय, चरही (चारा, पानी के लिए), 10 हजार लीटर क्षमता की पानी की टंकी का निर्माण कराया गया है।
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गो संरक्षण केंद्रों में तार बंधवाए जा रहे हैं। जिससे मवेशी यहां से भाग न सकें। एक, दो दिन में दोनों केंद्रों को चालू करा दिया जाएगा। इसके बाद एक हजार मवेशियों को यहां पर संरक्षित कराया जाएगा।- डॉ. पीके सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी उन्नाव।
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परिचय-गंजमुरादाबाद में मुख्य मार्ग से निकलता छुट्टा मवेशियों का झुंड।
टोल प्लाजा सहित छह स्थल अतिसंवेदनशील क्षेत्र
-सीडीओ बोले, इन स्थलों के 300 मीटर परिधि में मवेशी दिखे तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय
-खुले में घूम रहे मवेशियों को गोशालाओं में संरक्षित करने के लिए तीन दिन का दिया गया समय
संवाद न्यूज एजेंसी
उन्नाव। छुट्टा मवेशियों की धमाचौकड़ी को लेकर टोल प्लाजा सहित छह स्थलों को अतिसंवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। इन स्थलों के 300 मीटर परिधि में मवेशी दिखे तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय की जाएगी। वहीं छुट्टा मवेशियों को गोशालाओं में भेजने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है।
मुख्य सचिव ने 21 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से छुट्टा मवेशियों को संरक्षित किए जाने की जानकारी ली थी। इसमें सीवीओ द्वारा गलत जानकारी दी गई थी। जिसको लेकर डीएम व सीडीओ ने कड़ा रुख अपनाया था। अब सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने सभी एसडीएम, सीओ, बीडीओ, ईओ और उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को कड़ा पत्र जारी किया है। इसमें बताया है कि जिला प्रशासन ने मवेशियों की धमाचौकड़ी के लिहाज से सोहरामऊ बार्डर, नवाबगंज टोल प्लाजा, अजगैन चौराहा, दही चौकी तिराहा, गदनखेड़ा बाईपास व ललऊखेड़ा रोड को अतिसंवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है। इन क्षेत्रों में 300 मीटर परिधि में मवेशियों की धमाचौकड़ी प्रतिबंधित किया गया है। इसलिए तहसीलदार, बीडीओ, थानाध्यक्ष व ईओ इन क्षेत्रों में निराश्रित गोवंश न दिखें इसकी व्यवस्था कर लें। एसडीएम, सीओ अपने क्षेत्र में भ्रमण करके यह देखे कि छुट्टा मवेशी कहीं विचरण तो नहीं कर रहे हैं। यदि मवेशी दिखे तो अधिकारियों पर कार्रवाई करें। ग्राम पंचायतस्तर पर लेखपाल, सचिव, चौकीदार, रोजगार सेवक और पंचायत सहायक के माध्यम से निगरानी कराएं कि कहीं खेत पर किसान रखवाली तो नहीं कर रहे हैं। मवेशियों को तीन दिन में नजदीक की गोशाला में संरक्षित कराएं। अपने दुधारू पशु को खुला छोड़ने वाले पशुपालकों पर रिपोर्ट दर्ज कराएं।
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