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13 मीटर गहरी हैं ताज और महताब बाग की नींव
नेशनल जियोग्राफिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने महताब बाग और ताजमहल का एक साथ सर्वे किया, जिसमें मेग्नेटिक प्रोफाइलिंग तकनीक के इस्तेमाल से पता चला कि ताजमहल और महताब बाग के जो हिस्से जानकारी में है, उनके अलावा नींव में कोई स्ट्रक्चर नहीं पाया गया। फाउंडेशन के कुंओं पर बोर होल ड्रिल 9.50 मीटर गहराई तक किए गए। रिफ्लेक्शन सीस्मिक जांच में ताजमहल की नींव में 90 मीटर तक सख्त चट्टानें पाई गईं।
ताजमहल और महताब बाग की नींव की गहराई नदी किनारे 13 मीटर तक पाई गई। चमेली फर्श के नीचे के कमरों पर नदी किनारे की ओर तीन मीटर तक चौड़ी दीवारें मिलीं। सर्वे में बताया गया कि मुख्य गुंबद में असली कब्रों के नीचे का हिस्सा खाली नहीं है। शीयर वेव स्टडी में यह ठोस होने की जानकारी देता है।
केवल स्टडी के लिए खोले जाएं तहखाने : केके मुहम्मद
पदमश्री से सम्मानित और आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद रहे केके मुहम्मद ने अमर उजाला से अपने अनुभव साझा किए। केरल में रह रहे केके मुहम्मद ने कहा कि ताजमहल के तहखाने हमेशा से खुले हैं, केवल पर्यटकों के लिए ये बंद हैं। एएसआई उनकी देखभाल और संरक्षण अच्छे ढंग से कर रहा है। ताजमहल विश्व धरोहर है। कोई भी विवाद इसे नुकसान पहुंचाएगा। वह कई बार तहखाने में संरक्षण कार्यों के लिए गए हैं, पर उन्होंने कोई धार्मिक प्रतीक चिह्न नहीं देखा। रामबाग और एत्माद्दौला जैसे यमुना नदी किनारे बने स्मारकों में ठीक ऐसे ही तहखाने बने हैं, जिनके ऊपर स्मारक बने हुए हैं। धार्मिक रंग देने की जगह तहखाने को केवल स्टडी के लिए खोला जाए। विशेष अनुमति लेकर रिसर्च स्कॉलर को जाने दिया जाए।
कोर्ट की निगरानी में खोलकर वीडियोग्राफी की जाए : प्रो. नदीम रिजवी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर नदीम रिजवी ने ताजमहल को धार्मिक रंग दिए जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि 300 साल तक ताजमहल के तहखाने और बाकी हिस्से खुले रहे। कई पीढ़ियों ने इसे देख लिया। कोई चिह्न यहां नहीं है। ताज के जो हिस्से बंद किए, वह धार्मिक कारणों से नहीं किये गए, बल्कि ताज में भीड़ और सुरक्षा कारणों से किए गए। स्मारक की संरक्षा और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एएसआई ने पूरे देश में स्मारकों के कुछ हिस्सों को बंद किया। प्रो. रिजवी ने कहा कि ताज के तहखाने खोलने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन यह कोर्ट की निगरानी में खोले जाएं और वीडियोग्राफी की जाए। तहखाने खोलने के बाद यह डर है कि कहीं कोई मूर्ति न रख दे और विवाद स्थायी हो जाए।
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