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सार
लखनऊ खंडपीठ में ताजमहल के 20 कमरे खोले जाने संबंधी याचिका खारिज होने के बाद विवाद अभी थमा नहीं है। राष्ट्रीय हिंदू परिषद ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला हुआ है। ताजमहल के अनसुलझे रहस्यों की जानकारी के लिए अब सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जाएगी।
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विस्तार
ताजमहल के 20 कमरे खोले जाने संबंधी याचिका के लखनऊ खंडपीठ में खारिज होने के बाद राष्ट्रीय हिंदू परिषद ने कहा है कि अभी सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला है। लोगों तक ताजमहल के रहस्य की जानकारी पहुंचनी चाहिए।
राष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद पाराशर ताज के पार्श्व में दशहरा घाट पहुंचे। उन्होंने कहा कि याचिका खारिज होने का दुख है, लेकिन यह लड़ाई खत्म नहीं होगी। अभी सुप्रीम कोर्ट का रास्ता खुला हुआ है। ताजमहल के बारे में पर्यटकों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए कमरों को खोलकर जांच होनी चाहिए। विहिप के दिग्विजयनाथ तिवारी, संजय जाट, मनोज अग्रवाल आदि हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं का कहना है कि ताजमहल के अनसुलझे रहस्यों की जानकारी के लिए जरूरी है कि इन्हें खोला जाए।
इसके साथ ही अन्य स्मारकों के बंद हिस्सों को भी पर्यटकों के लिए खोला जाना चाहिए। वहीं हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी ने कहा है कि विश्व धरोहर ताजमहल को विवाद का केंद्र नहीं बनाना चाहिए। अदालत ने याचिका खारिज करके सही कदम उठाया है। ताजमहल को विवादित बनाने से देश की छवि पर प्रभाव पड़ेगा।
भाजपा नेता ने दायर की थी याचिका
बता दें कि अयोध्या के भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने यह याचिका दायर की थी। याचिका में इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया था कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय है, जिसका निर्माण 1212 ईसवीं में राजा परमर्दिदेव ने कराया था। याचिका में यह भी दावा है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है।
याचिका में महंत परमहंस का भी जिक्र
याचिका में अयोध्या के महंत परमहंस के वहां जाने और उन्हें भगवा वस्त्रों के कारण रोके जाने संबंधी हालिया विवाद का भी जिक्र किया गया। याचिका ने ताजमहल के संबंध में एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी (तथ्यों का पता लगाने वाली समिति) बनाकर अध्ययन करने और ताजमहल के बंद करीब 20 दरवाजों को खोलने के निर्देश जारी करने का आग्रह किया था।
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