दो साल बाद अलविदा की नमाज हुई सामूहिक

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जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज अदा करते रोजेदार। संवाद

जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज अदा करते रोजेदार। संवाद
– फोटो : UNNAO

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उन्नाव। कोरोना की बंदिशें खत्म होने पर दो साल बाद शुक्रवार को माहे रमजान में अलविदा की नमाज सामूहिक रूप से अदा की गई। हालांकि न्यायालय के आदेश के चलते लाउड स्पीकरों की आवाज धीमी रही। जिले की मस्जिदों में रोजेदार जुटे और शिद्दत के साथ नमाज अदा की। सभी ने अल्लाह से मुल्क की तरक्की व अमन चैन की दुआ मांगी। सड़क पर नमाज अदा न किए जाने के कारण रोजेदारों ने मस्जिदों की छतों पर अपने नबी का सजदा किया। इस दौरान पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।
शहर की जामा मस्जिद में दोपहर 1:30 बजे अलविदा की नमाज हुई। शहर काजी निसार अहमद मिसबाही ने नमाज अदा कराई। कुरान पाक की तिलावत पढ़ी गई और सभी रोजेदारों ने एक साथ नबी का सजदा कर दुआ मांगी। पिछले दो साल से कोरोना के कारण रोजेदार मस्जिदों में अलविदा की नमाज नहीं अदा कर पा रहे थे। शुक्रवार को मस्जिद में नमाज अदा करने को लेकर रोजेदारों में उत्साह दिखा। बांगरमऊ में दरगाह शरीफ मस्जिद, बाकर मियां मस्जिद, पुरबिया टोला मस्जिद, आरफी मस्जिद सहित सभी मस्जिदों में बड़ी तादाद में नमाजियों ने अलविदा की नमाज अदा की। गंजमुरादबाद में नगर की सभी मस्जिदों के साथ फतेहपुर हमजा, फतेहपुर खालसा, सुल्तानपुर, मदार नगर, बहलोलपुर, नेवल, हयातनगर, चहोलिया, सुरसेनी, आसत, भठियापुर, शीतलगंज, जोगीकोट, मऊ में मुसलमानों ने रमजान के आखिरी जुमा अलविदा की नमाज अदा की।
सफीपुर कस्बे व आसपास ग्रामीण क्षेत्र की मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई । इमामिया मस्जिद के पेशईमाम राजीउल जाफर ने नमाज से पूर्व तकरीर में कहा कि तौबा कर गुनाहों को बख्शवाने और इबादतों के बदले अथाह सवाब देने वाले अल्लाह की माह को अलविदा कहने का समय आ गया। इस माह में इबादते की वोह समाज की खुशहाली की दुआ करे जरूर पूरी होगी ।
सफीपुर कस्बे के मोहल्ला हाताबाजार मीर बख्शीश अली मस्जिद, मदीना मस्जिद, मखदूम शाह सफी, कुदरत उल्लाह शाह , राहतगज बाजार, पीखी, दरौली, जमालनगर, उनवा, मुस्तफाबाद आदि मस्जिदों में जुम्मेतुल विदा की नमाज अदा की गई । इमामिया मस्जिद में मौलाना जाफर में कहा कि अल्लाह ने इबादत के बदले इतने मौके दिए है कि रमजान में अपने गुनाहों की तौबाकर उनको बख्शवाकर आगे की बेहतर जिंदगी जीने के अलावा हर हर पल की इबादत के बदले अथाह सवाब लेने का महीना है । मौलाना ने अमन चैन व सबकी सलामती की दुआ कराई।

यह भी पढ़ें -  राज्य पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीता रजत पदक

उन्नाव। कोरोना की बंदिशें खत्म होने पर दो साल बाद शुक्रवार को माहे रमजान में अलविदा की नमाज सामूहिक रूप से अदा की गई। हालांकि न्यायालय के आदेश के चलते लाउड स्पीकरों की आवाज धीमी रही। जिले की मस्जिदों में रोजेदार जुटे और शिद्दत के साथ नमाज अदा की। सभी ने अल्लाह से मुल्क की तरक्की व अमन चैन की दुआ मांगी। सड़क पर नमाज अदा न किए जाने के कारण रोजेदारों ने मस्जिदों की छतों पर अपने नबी का सजदा किया। इस दौरान पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे।

शहर की जामा मस्जिद में दोपहर 1:30 बजे अलविदा की नमाज हुई। शहर काजी निसार अहमद मिसबाही ने नमाज अदा कराई। कुरान पाक की तिलावत पढ़ी गई और सभी रोजेदारों ने एक साथ नबी का सजदा कर दुआ मांगी। पिछले दो साल से कोरोना के कारण रोजेदार मस्जिदों में अलविदा की नमाज नहीं अदा कर पा रहे थे। शुक्रवार को मस्जिद में नमाज अदा करने को लेकर रोजेदारों में उत्साह दिखा। बांगरमऊ में दरगाह शरीफ मस्जिद, बाकर मियां मस्जिद, पुरबिया टोला मस्जिद, आरफी मस्जिद सहित सभी मस्जिदों में बड़ी तादाद में नमाजियों ने अलविदा की नमाज अदा की। गंजमुरादबाद में नगर की सभी मस्जिदों के साथ फतेहपुर हमजा, फतेहपुर खालसा, सुल्तानपुर, मदार नगर, बहलोलपुर, नेवल, हयातनगर, चहोलिया, सुरसेनी, आसत, भठियापुर, शीतलगंज, जोगीकोट, मऊ में मुसलमानों ने रमजान के आखिरी जुमा अलविदा की नमाज अदा की।

सफीपुर कस्बे व आसपास ग्रामीण क्षेत्र की मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई । इमामिया मस्जिद के पेशईमाम राजीउल जाफर ने नमाज से पूर्व तकरीर में कहा कि तौबा कर गुनाहों को बख्शवाने और इबादतों के बदले अथाह सवाब देने वाले अल्लाह की माह को अलविदा कहने का समय आ गया। इस माह में इबादते की वोह समाज की खुशहाली की दुआ करे जरूर पूरी होगी ।

सफीपुर कस्बे के मोहल्ला हाताबाजार मीर बख्शीश अली मस्जिद, मदीना मस्जिद, मखदूम शाह सफी, कुदरत उल्लाह शाह , राहतगज बाजार, पीखी, दरौली, जमालनगर, उनवा, मुस्तफाबाद आदि मस्जिदों में जुम्मेतुल विदा की नमाज अदा की गई । इमामिया मस्जिद में मौलाना जाफर में कहा कि अल्लाह ने इबादत के बदले इतने मौके दिए है कि रमजान में अपने गुनाहों की तौबाकर उनको बख्शवाकर आगे की बेहतर जिंदगी जीने के अलावा हर हर पल की इबादत के बदले अथाह सवाब लेने का महीना है । मौलाना ने अमन चैन व सबकी सलामती की दुआ कराई।

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