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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Tue, 25 Jan 2022 01:55 AM IST
सार
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के केस का हवाला दिया। याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांग थी, जिस पर अपर सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड ने बताया कि याचियों का अंक दो मार्च 2020 को जारी अंतिम परिणाम में ओबीसी क्षैतिज आरक्षण मिल चुका है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 पुलिस पीएसी भर्ती में चयनित अतिंम सामान्य महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक पाने वाली आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने इसके लिए पुलिस भर्ती बोर्ड को तीन महीने का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने शालू सहित 10 ओबीसी महिला अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के केस का हवाला दिया। याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांग थी, जिस पर अपर सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड ने बताया कि याचियों का अंक दो मार्च 2020 को जारी अंतिम परिणाम में ओबीसी क्षैतिज आरक्षण मिल चुका है। अब हॉरिजेंटल आरक्षण का दावा नहीं किया जा सकता।
याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि याचियों ने सामान्य महिला अभ्यर्थी के कट ऑफ अंक से अधिक अंक प्राप्त किए हैं और मेडिकल जांच में विफल अभ्यर्थियों की वजह से बड़ी संख्या में पद भरे नहीं जा सके हैं। चयनित अभ्यर्थियों से छेड़छाड़ किए बगैर याचियों की नियुक्ति की जा सकती है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी से याचियों को अधिक अंक प्राप्त हुए हैं तो दुबारा आरक्षण के आधार पर नियुक्ति देने से इंकार नहीं किया जा सकता है। याचीगण पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति पाने की हकदार हैं। पुलिस बोर्ड को इस पर विचार करना चाहिए।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 पुलिस पीएसी भर्ती में चयनित अतिंम सामान्य महिला अभ्यर्थी से अधिक अंक पाने वाली आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने इसके लिए पुलिस भर्ती बोर्ड को तीन महीने का समय दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने शालू सहित 10 ओबीसी महिला अभ्यर्थियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के केस का हवाला दिया। याचिका पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांग थी, जिस पर अपर सचिव पुलिस भर्ती बोर्ड ने बताया कि याचियों का अंक दो मार्च 2020 को जारी अंतिम परिणाम में ओबीसी क्षैतिज आरक्षण मिल चुका है। अब हॉरिजेंटल आरक्षण का दावा नहीं किया जा सकता।
याचियों की ओर से तर्क दिया गया कि याचियों ने सामान्य महिला अभ्यर्थी के कट ऑफ अंक से अधिक अंक प्राप्त किए हैं और मेडिकल जांच में विफल अभ्यर्थियों की वजह से बड़ी संख्या में पद भरे नहीं जा सके हैं। चयनित अभ्यर्थियों से छेड़छाड़ किए बगैर याचियों की नियुक्ति की जा सकती है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि अंतिम चयनित महिला अभ्यर्थी से याचियों को अधिक अंक प्राप्त हुए हैं तो दुबारा आरक्षण के आधार पर नियुक्ति देने से इंकार नहीं किया जा सकता है। याचीगण पुलिस कांस्टेबल पद पर नियुक्ति पाने की हकदार हैं। पुलिस बोर्ड को इस पर विचार करना चाहिए।
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