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पिता के साथ हर पल एक जश्न है
– फोटो : अमर उजाला
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एक पिता की अहमियत क्या होती है, ये उनसे पूछिए, जिसने आसमान रूपी छाया अपने सिर से खोया हो। पिता के महत्व को कवि पंडित ओम व्यास ने “पिता रोटी है, कपड़ा है, मकान है, पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान है, पिता है तो बच्चों के सारे सपने है, पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं”, के जरिये रेखांकित किया है।
सच में पिता के होने से बाजार के खिलौने अपने हैं। फादर्स डे (18 जून) पर कुछ ऐसे पिता-पुत्र और पुत्री की कहानी है, जो हौसले को बढ़ाती है। हर कदम और हर फैसले पर पिता का साथ होता है। पापा ने बच्चों के जीवन की राहें आसान बनाई, इसलिए वह बच्चों के अभिमान बन गए।
बेटी की कामयाबी पर जन्नत में मुस्कराए अब्बू
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में जोहा हैदर की कामयाबी पर जन्नत में उनके अब्बू डॉ. सैयद रजा हैदर जरूर मुस्कराए होंगे। नीट में सफलता पाकर जोहा ने अब्बू के ख्वाब को पूरा करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है।डॉ. हैदर अपनी बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन परीक्षा में बेटी के सफल होते देखने से पहले वह दुनिया छोड़कर जा चुके थे। जब नीट के नतीजे आए तो जोहा हैदर खुश हो गईं। मां डॉ. सल्तनत भी उनकी खुशी में शामिल हो गईं। मगर इस खुशी के बीच एक मायूसी भी थी, क्योंकि जिस पिता (डॉ. हैदर) की आंखों में बेटी को डॉक्टर बनाने का ख्वाब था। वह आंखें इस खुशी में शामिल नहीं थीं।
डॉ. हैदर का 4 अप्रैल 2021 को कोरोना संक्रमण के चलते इंतकाल हो गया था। डॉ. हैदर दिल्ली में गालिब इंस्टीट्यूट के निदेशक थे। जोहा ने कहा कि अब्बू के इंतकाल पर वह टूट गई थीं, लेकिन उनके ख्वाब को पूरा करने के लिए खुद को संभाला और पढ़ने में जुट गई। नतीजा उनके और अब्बू के हक में आया। जोहा ने कहा कि 4 अप्रैल 2021 को अब्बू का इंतकाल हो गया। इससे कोचिंग की फीस को लेकर चिंता बढ़ गई। इसी बीच बंसल क्लासेज ने उनकी कोचिंग की फीस माफ कर दी। वह उनकी शुक्रगुजार हैं।
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