बनारस में गंगा के तेवर से टेंशन: वरुणा पार इलाकों में पलायन तेज, शवदाह के लिए कतार, तस्वीरों में देखें हाल

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बनारस में गंगा के तेवर से टेंशन बढ़ गई है। गंगा का जलस्तर अब तेजी से लाल निशान की ओर बढ़ रहा है। जलस्तर की रफ्तार में उतार और चढ़ाव के साथ ही गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर से मात्र 68 सेंटीमीटर नीचे बह रहा है। गंगा के रौद्र रूप के कारण वरुणा में पलट प्रवाह ने तटवर्ती इलाकों में पलायन तेज कर दिया है। वरुणा कॉरिडोर पूरी तरह से पानी में समा गया है और शास्त्री घाट पर भी पानी ऊपर चढ़ने लगा है। वरुणा पार के 35 परिवारों को बाढ़ राहत शिविर में पहुंचाया गया। इधर, मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पूरी तरह डूब गए हैं।

हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में शवदाह किया जा रहा है और मणिकर्णिका घाट पर छतों पर शवदाह हो रहा है। जगह कम पड़ने के कारण लोगों को तीन से चार घंटे तक इंतजार भी करना पड़ रहा है। घाट के किनारे के निवासियों, सैलानियों, नाविकों सहित सभी को घाटों पर जा कर घूमने फिरने, नहाने तथा बोटिंग आदि को प्रतिबंधित कर दिया गया है। गंगा घाट पर जल पुलिस को निगरानी के लिए लगाया गया है। 

बनारस में गंगा अभी खतरे के निशान 71.262 मीटर से 1.68 मीटर नीचे है।  शनिवार शाम छह बजे दो सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से 69.58 मीटर पहुंच गया था। वहीं सामने घाट इलाके में नाले के रास्ते पानी ज्ञानप्रवाह होते हुए प्रवेश करने लगा। 

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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने किया। इस दौरान मौजूद एडीएम वित्त एवं राजस्व को निर्देशित किया कि सभी रैन बसेरों, बाढ़ राहत शिविरों को आज से ही चालू कर दिया जाए। उन्होंने एडीएम सिटी और एनडीआरएफ की टीम के साथ अस्सी घाट से लेकर नमो घाट होते हुए नदी के मुहाने तक बाढ़ की स्थिति का जायजा लिया। 

गंगा में बढ़ाव होने से वरुणा में पलट प्रवाह का दौर शुरू हो चुका है। काशी में कैंटोमेंट से होते हुए आदिकेशव घाट जाकर गंगा में मिलने वाली वरुणा शहर के बीच से होकर निकली है। वरुणा में आई बाढ़ को लेकर तटवर्ती इलाकों में रहने वाले पलायन करना शुरू कर चुके हैं और अपने सामानों को सुरक्षित मकान के ऊपरी तल पर पहुंचाने में लगे हुए हैं। 

वरुणा में पलट प्रवाह के कारण कॉरिडोर डूब गया है और निचले इलाकों में वरुणा का पानी घरों प्रवेश करने लगा है। वरुणा का पानी घरों में घुसने के कारण काफी संख्या में लोगों ने प्रथम तल पर शरण ली है। वहीं सर्वाधिक निचले इलाकों के लोगों ने अपना घर छोड़कर सुरक्षित ठिकाने और बाढ़ शिविर में जगह लेनी शुरू कर दी है। 

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