बाजार में मजदूरी 300 पार, मनरेगा में मात्र 213

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उन्नाव। बाजार में मजदूरी 300 रुपये के पार हो चुकी है लेकिन मनरेगा में जॉब कार्डधारकों को 213 रुपये ही मिल रहे हैं। इसके कारण कार्डधारक मनरेगा से दूरी बना रहे हैं। आधा अप्रैल बीतने के बाद भी मानव दिवस सृजन का लक्ष्य कोसों दूर है। गांवों में मनरेगा मजदूर खोजे नहीं मिल रहे हैं।
ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार ने मनरेगा मजदूरी में नौ रुपये बढ़ोतरी की है। एक अप्रैल 2022 से बढ़ी मजदूरी के हिसाब से प्रतिदिन 213 रुपये जॉब कार्डधारकों के खातों में पहुुंचेंगे। जिले में चार लाख जॉब कार्डधारक हैं। इनमें एक्टिव कार्डधारकों की संख्या दो लाख से अधिक है। नियमानुसार मनरेगा के तहत पंजीकृत कार्डधारक को साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए। लेकिन मजदूरी कम होने से श्रमिक इससे पीछे हट रहे हैं। उन्हें बाहर काम करना ज्यादा पसंद आ रहा है। बाजार में मजदूरी 300 से 350 रुपये के आसपास है।
ढाई लाख की जगह 50 हजार ही मानवदिवस
अप्रैल में 2.50 लाख मानव दिवस (जॉब कार्डधारक के एक दिन के काम को एक मानव दिवस के रूप में जोड़ा जाता है) सृजन का लक्ष्य है। अभी तक 50 हजार ही मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। इसके कारण 100 गांवों में काम शुरू नहीं हो सका है।
मनरेगा से होने वाले कार्य
– लघु सीमांत कृषकों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना।
– ऊसर, बीहड़ एवं बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना।
– जलभराव के क्षेत्रों का उपचार कर फसल उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।
– खेत समतलीकरण, गांवों में कच्चे मार्ग का निर्माण, कैटलशेड, तालाब का सुंदरीकरण।
मजदूरों ने बताई समस्या
रामपुर अखौली के सुखराम का कहना है कि पिछले साल 204 रुपये मनरेगा मजदूरी खाते में आ रही थी। इस बार मात्र नौ रुपये बढ़ाए हैं। इतनी महंगाई में परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा था। इसलिए लखनऊ मजदूरी करने जाते हैं। वहां पर 300 से 350 रुपये मिलते हैं।
चंदौली बुजुर्ग की रामावती का कहना है कि इतनी महंगाई में 213 रुपये मजदूरी में क्या होता है। काम करने के बावजूद पैसा मिलने में एक माह लग जाते हैं। बाहर काम करने पर शाम को तुरंत मजदूरी मिल जाती है।
ये सही है कि बाहर और मनरेगा की मजदूरी में काफी अंतर है। हालांकि मनरेगा में काम की मात्रा कम है और समय का कोई निर्धारण नहीं है। वहीं जिन गांवों में काम शुरू नहीं हो सका है, वहां जल्द काम शुरू कराने के निर्देश दिए गए हैं। – राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त।

यह भी पढ़ें -  जिले के 224 स्कूलों की मियाद पूरी, जर्जर घोषित

उन्नाव। बाजार में मजदूरी 300 रुपये के पार हो चुकी है लेकिन मनरेगा में जॉब कार्डधारकों को 213 रुपये ही मिल रहे हैं। इसके कारण कार्डधारक मनरेगा से दूरी बना रहे हैं। आधा अप्रैल बीतने के बाद भी मानव दिवस सृजन का लक्ष्य कोसों दूर है। गांवों में मनरेगा मजदूर खोजे नहीं मिल रहे हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार ने मनरेगा मजदूरी में नौ रुपये बढ़ोतरी की है। एक अप्रैल 2022 से बढ़ी मजदूरी के हिसाब से प्रतिदिन 213 रुपये जॉब कार्डधारकों के खातों में पहुुंचेंगे। जिले में चार लाख जॉब कार्डधारक हैं। इनमें एक्टिव कार्डधारकों की संख्या दो लाख से अधिक है। नियमानुसार मनरेगा के तहत पंजीकृत कार्डधारक को साल में 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए। लेकिन मजदूरी कम होने से श्रमिक इससे पीछे हट रहे हैं। उन्हें बाहर काम करना ज्यादा पसंद आ रहा है। बाजार में मजदूरी 300 से 350 रुपये के आसपास है।

ढाई लाख की जगह 50 हजार ही मानवदिवस

अप्रैल में 2.50 लाख मानव दिवस (जॉब कार्डधारक के एक दिन के काम को एक मानव दिवस के रूप में जोड़ा जाता है) सृजन का लक्ष्य है। अभी तक 50 हजार ही मानव दिवस सृजित हो चुके हैं। इसके कारण 100 गांवों में काम शुरू नहीं हो सका है।

मनरेगा से होने वाले कार्य

– लघु सीमांत कृषकों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना।

– ऊसर, बीहड़ एवं बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना।

– जलभराव के क्षेत्रों का उपचार कर फसल उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि करना।

– खेत समतलीकरण, गांवों में कच्चे मार्ग का निर्माण, कैटलशेड, तालाब का सुंदरीकरण।

मजदूरों ने बताई समस्या

रामपुर अखौली के सुखराम का कहना है कि पिछले साल 204 रुपये मनरेगा मजदूरी खाते में आ रही थी। इस बार मात्र नौ रुपये बढ़ाए हैं। इतनी महंगाई में परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा था। इसलिए लखनऊ मजदूरी करने जाते हैं। वहां पर 300 से 350 रुपये मिलते हैं।

चंदौली बुजुर्ग की रामावती का कहना है कि इतनी महंगाई में 213 रुपये मजदूरी में क्या होता है। काम करने के बावजूद पैसा मिलने में एक माह लग जाते हैं। बाहर काम करने पर शाम को तुरंत मजदूरी मिल जाती है।

ये सही है कि बाहर और मनरेगा की मजदूरी में काफी अंतर है। हालांकि मनरेगा में काम की मात्रा कम है और समय का कोई निर्धारण नहीं है। वहीं जिन गांवों में काम शुरू नहीं हो सका है, वहां जल्द काम शुरू कराने के निर्देश दिए गए हैं। – राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त।

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