बाबा साहेब एक व्यक्ति नहीं आंदोलन थे: अमर उजाला कार्यालय में भीमराव आंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर हुआ संवाद कार्यक्रम 

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सार

अमर उजाला संवाद कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहेब के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए देश में समान शिक्षा लागू करने की आवश्यकता है, ताकि समान समाज की स्थापना हो सके।  

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बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर एक व्यक्ति नहीं आंदोलन थे। उन्होंने समाज से तमाम कुरीतियों को दूर कराया। महिला शिक्षा के वे सबसे बड़े प्रणेयता थे। ये बात बुधवार को दिल्ली रोड स्थित अमर उजाला कार्यालय में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित संवाद में वक्ताओं ने कहीं। 

वक्ताओं ने कहा कि ये देश की विडंबना है कि महापुरुषों को सीमित कर दिया गया। बाबा साहेब के साथ भी ये अन्याय हुआ। वे एक समाज के नहीं बल्कि सर्वसमाज के हैं। आज जरूरत है कि बाबा साहेब के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए देश में समान शिक्षा लागू करने की आवश्यकता है ताकी समान समाज की स्थापना हो सके। समान शिक्षा के बिना भारत कभी विश्व गुरु नहीं बन सकता है। वक्ताओं ने कहा कि डॉ. आंबेडकर कहते थे कि किसी भी देश में समाज की तरक्की चाहते हो तो शिक्षा का स्तर उच्च कर दो।

जाति व्यवस्था और दमन के खिलाफ लड़े
वर्ष 1917 में कोलंबिया से लौटकर डॉ आंबेड़कर ने जाति व्यवस्था और दमन के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की थी। उनका मानना था कि वर्ण व्यवस्था ही जाति व्यवस्था की जननी है। जब तक देश से जाति व्यवस्था और छूआछूत खत्म नहीं होगी तब तक देश और समाज तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने समाज को जगाने के लिए पांच अखबार भी निकाले। बाबा साहेब किसी एक समाज के नहीं बल्कि सर्वसमाज के हैं। –प्रोफेसर डॉ. घासीराम मलिक 

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बाबा का दर्शन अपनाना होगा 
बाबा साहब को किसी जाति या धर्म के बीच नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने संविधान का निर्माण करते समय किसी एक समाज का नहीं बल्कि सर्वसमाज का ध्यान रखा। बाबा का दर्शन अपनाने से ही देश आगे बढ़ेगा। –चैतन्य देव स्वामी

लोगों को सच बोलना होगा 
डॉ आंबेडकर ने कभी झूठ का सहारा नहीं लिया, उन्होंने हमेशा सच बोला। लेकिन लोग आज सच बोलने से डरते हैं। देश का भला सच स्वीकारने से ही होगा। बाबा साहेब के बताए रास्तें पर ही चलने से देश विकास करेगा। – शिब्बन लाल स्नेही

समता मूलक समाज से ही आगे बढ़ेगा देश 
बाबा साहब समता मूलक समाज की स्थापना चाहते थे। उन्होंने सर्वसमाज के लिए काम किया है। उन्होंने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए। उनके सिद्धांतों पर चले बगैर देश विश्वगुरु नहीं बन सकता है। –विनोद हरित, पूर्व विधायक 

शिक्षा से ही आगे बढ़ेगा समाज 
बाबा साहब ने दिखाया कि कोई भी समाज शिक्षा से ही आगे बढ़ सकता है। शिक्षा के बल पर ही बाबा ने वंचित समाज को न केवल अधिकार दिलाए बल्कि उनका उत्थान भी किया। –डॉ ईश्वर चंद सागर 

आरक्षण बहुत जरूरी 
सामाजिक न्याय और बराबरी के लिए आरक्षण बहुत जरूरी है। जिस तरह आज बाबा के बनाए संवैधानिक संस्थानों को खत्म करने का काम किया जा रहा है इससे देश का भला होने वाला नहीं है। –पीतम सिंह एडवोकेट

बाबा साहब एक आंदोलन थे 


बाबा साहब एक आम इंसान नहीं बल्कि आंदोलन थे। उनकी 22 प्रतिज्ञाओं पर चलकर ही देश आगे बढ़ सकता है। उन्होंने रानी और महतरानी के अंतर को खत्म किया। बाबा साहब समता मूलक समाज के साथ ही समानता चाहते थे। उन्होंने कहा था कि उठो और अपने बच्चों को शिक्षित करो। – डॉ किरन सिंह 

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आंबेडकर आज भी प्रासंगिक 
बाबा साहेब आजादी से पहले भी प्रासंगिक थे और आज भी प्रासंगिक है। उनके बगैर राष्ट्र की उन्नति नहीं हो सकती है। उन्हें चित्रों की बजाय अपने चिंतन में बसाना होगा। 
पवन चित्तोड़िया

अपमान का घूंट पीकर किया जनमानस के लिए काम
बाबा साहब ने बड़ा कद पाने के लिए बहुत कुछ खोया है। उन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विचारक कहकर सामान्य व्यक्ति की श्रेणी में खड़ा कर दिया गया है। उन्होंने समाज को प्रयोगशाला समझकर काम किया। अपमान का घूंट पीकर उन्होंने आमजनमानस के लिए काम किया। – प्रो. डॉ. दिनेश कुमार।

समता मूलक समाज का सपना देखा था
डॉ. आंबेडकर ने समता मूलक समाज की स्थापना का सपना देखा था। अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए उन्होंने पांच अखबार निकले। उनकी इच्छा थी कि शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक समाज की स्थापना हो। – चरण सिंह डायरेक्टर।

जाति और राजनीति तक सीमित डॉ. आंबेडकर के साथ अन्याय
हमने महापुरुषों को जाति और राजनीति में फिट कर दिया है। जो डॉ. आंबेडकर के साथ अन्याय है। वह हमारे चरित्र में होने चाहिएं। उन्होंने तर्क संगत आलोचना करके समता मूलक समाज की स्थापना का सपना देखा था। – डॉ. कपिल अग्रवाल।

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आंबेडकर की मंशा के अनुरूप नहीं बन पाया भारत
हमें डां आंबेडकर के विचारों पर चलना चाहिए। उनके विचारों को अपनाने पर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया बदलेगी। वह जैसा भारत चाहते थे वैसा भारत अभी तक नहीं बन पाया है। – नरेन्द्र खजूरी,

संघर्ष में ही गुजर गया बाबा साहब का पूरा जीवन
कुछ लोगों द्वारा डॉ. आंबेडकर को जाति से जोड़ा जाता है। उन्होंने पूरा जीवन देश सभी को सम्मान दिलाने में लगा दिया। शिक्षा, वोट, नौकरी आदि सभी अधिकार बाबा साहब ने दिलाए हैं। उनकी विचारधारा को अपनाना चाहिए।– डॉ. चरण सिंह लिसाड़ी

विस्तार

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर एक व्यक्ति नहीं आंदोलन थे। उन्होंने समाज से तमाम कुरीतियों को दूर कराया। महिला शिक्षा के वे सबसे बड़े प्रणेयता थे। ये बात बुधवार को दिल्ली रोड स्थित अमर उजाला कार्यालय में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित संवाद में वक्ताओं ने कहीं। 


वक्ताओं ने कहा कि ये देश की विडंबना है कि महापुरुषों को सीमित कर दिया गया। बाबा साहेब के साथ भी ये अन्याय हुआ। वे एक समाज के नहीं बल्कि सर्वसमाज के हैं। आज जरूरत है कि बाबा साहेब के बताए हुए रास्ते पर चलते हुए देश में समान शिक्षा लागू करने की आवश्यकता है ताकी समान समाज की स्थापना हो सके। समान शिक्षा के बिना भारत कभी विश्व गुरु नहीं बन सकता है। वक्ताओं ने कहा कि डॉ. आंबेडकर कहते थे कि किसी भी देश में समाज की तरक्की चाहते हो तो शिक्षा का स्तर उच्च कर दो।

जाति व्यवस्था और दमन के खिलाफ लड़े

वर्ष 1917 में कोलंबिया से लौटकर डॉ आंबेड़कर ने जाति व्यवस्था और दमन के खिलाफ आवाज उठानी शुरू की थी। उनका मानना था कि वर्ण व्यवस्था ही जाति व्यवस्था की जननी है। जब तक देश से जाति व्यवस्था और छूआछूत खत्म नहीं होगी तब तक देश और समाज तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने समाज को जगाने के लिए पांच अखबार भी निकाले। बाबा साहेब किसी एक समाज के नहीं बल्कि सर्वसमाज के हैं। –प्रोफेसर डॉ. घासीराम मलिक 

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