बिजली विभाग का गजब कारनामा: ट्यूबवेल के लिए कनेक्शन दिया नहीं, भेज दिया 41 हजार रुपये का बिल

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सार

आगरा में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने गजब कारनामा किया है। किसान को ट्यूबवेल के लिए कनेक्शन नहीं दिया गया, लेकिन उसके नाम पर मोटा बिल भेज दिया गया। बिल की धनराशि देख किसान के होश उड़ गए, जिसके बाद पीड़ित ने उपभोक्ता फोरम की शरण ली।  

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उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक किसान को ट्यूबवेल का कनेक्शन दिए बिना ही बिजली का बिल भेज दिया गया। रकम की वसूली के लिए आरसी भी जारी कर दी गई। पीड़ित किसान ने उपभोक्ता फोरम में प्रार्थना पत्र दिया। फोरम ने बिल निरस्त करने और उसे अदेयता प्रमाण पत्र देने के आदेश विद्युत वितरण निगम के प्रबंधक/निदेशक को दिए हैं।

ये मामला थाना इरादतनगर के महाब खेरागढ़ का है। यहां के रहने वाले घूरेलाल ने 23 फरवरी 2013 को उपभोक्ता फोरम द्वितीय में मुकदमा प्रस्तुत किया। इसमें कहा कि उन्होंने तीन साल पहले ट्यूबवेल के लिए दस हॉर्स पावर का कनेक्शन लेने के लिए दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में आवेदन किया था। विभाग ने 12 हजार रुपये की सुरक्षा रकम जमा करा ली। उन्हें एक डीपी, एक क्विंटल तार, तार खींचने का उपकरण, क्लैंप दे दिए। बाकी सामान कुछ दिन बाद देने का आश्वासन दिया। मगर, सामान नहीं दिया गया। 

घूरेलाल ने बताया कि वो लगातार विभाग के चक्कर काटते रहे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 30 जनवरी 2012 को बिजली विभाग की ओर से 40962 रुपये का बिजली बिल भेज दिया गया। इसके अलावा बिजली बिल की वसूली के लिए घूरेलाल के नाम 66 हजार की आरसी जारी कर तहसील को प्रेषित कर दी, जबकि बिजली कनेक्शन दिया नहीं गया था। ये बिल देख उनके पसीने छूट गए, जिसके बाद उन्होंने उपभोक्ता फोरम की शरण ली।   

उपभोक्ता फोरम में मुकदमा प्रस्तत करने पर अध्यक्ष आशुतोष, सदस्य पारुल कौशिक और राजीव सिंह ने बिजली बिल निरस्त कर अदेयता प्रमाण पत्र देने के आदेश दे पीड़ित किसान को राहत प्रदान की है।

बता दें बिजली विभाग की लापरवाही का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले बिजली कनेक्शन कटने के 27 साल बाद टोरंट पावर व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने उपभोक्ता पर 3.87 लाख रुपये का बकाया बिजली बिल भेजा था। उपभोक्ता ने फोरम में वाद दायर किया। जिसकी सुनवाई के बाद फोरम अध्यक्ष एवं न्यायाधीश आशुतोष ने बकाया बिल निरस्त करने के आदेश दिए  थे।

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विस्तार

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में एक किसान को ट्यूबवेल का कनेक्शन दिए बिना ही बिजली का बिल भेज दिया गया। रकम की वसूली के लिए आरसी भी जारी कर दी गई। पीड़ित किसान ने उपभोक्ता फोरम में प्रार्थना पत्र दिया। फोरम ने बिल निरस्त करने और उसे अदेयता प्रमाण पत्र देने के आदेश विद्युत वितरण निगम के प्रबंधक/निदेशक को दिए हैं।

ये मामला थाना इरादतनगर के महाब खेरागढ़ का है। यहां के रहने वाले घूरेलाल ने 23 फरवरी 2013 को उपभोक्ता फोरम द्वितीय में मुकदमा प्रस्तुत किया। इसमें कहा कि उन्होंने तीन साल पहले ट्यूबवेल के लिए दस हॉर्स पावर का कनेक्शन लेने के लिए दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में आवेदन किया था। विभाग ने 12 हजार रुपये की सुरक्षा रकम जमा करा ली। उन्हें एक डीपी, एक क्विंटल तार, तार खींचने का उपकरण, क्लैंप दे दिए। बाकी सामान कुछ दिन बाद देने का आश्वासन दिया। मगर, सामान नहीं दिया गया। 

घूरेलाल ने बताया कि वो लगातार विभाग के चक्कर काटते रहे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 30 जनवरी 2012 को बिजली विभाग की ओर से 40962 रुपये का बिजली बिल भेज दिया गया। इसके अलावा बिजली बिल की वसूली के लिए घूरेलाल के नाम 66 हजार की आरसी जारी कर तहसील को प्रेषित कर दी, जबकि बिजली कनेक्शन दिया नहीं गया था। ये बिल देख उनके पसीने छूट गए, जिसके बाद उन्होंने उपभोक्ता फोरम की शरण ली।   

उपभोक्ता फोरम में मुकदमा प्रस्तत करने पर अध्यक्ष आशुतोष, सदस्य पारुल कौशिक और राजीव सिंह ने बिजली बिल निरस्त कर अदेयता प्रमाण पत्र देने के आदेश दे पीड़ित किसान को राहत प्रदान की है।

बता दें बिजली विभाग की लापरवाही का ये पहला मामला नहीं है। इससे पहले बिजली कनेक्शन कटने के 27 साल बाद टोरंट पावर व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने उपभोक्ता पर 3.87 लाख रुपये का बकाया बिजली बिल भेजा था। उपभोक्ता ने फोरम में वाद दायर किया। जिसकी सुनवाई के बाद फोरम अध्यक्ष एवं न्यायाधीश आशुतोष ने बकाया बिल निरस्त करने के आदेश दिए  थे।

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