देश में महापुरुषों की लंबी परंपरा अखंड रूप से चली आ रही है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने वालों में स्वामी शांतानंद सरस्वती महाराज थे, जिनका यह आराधना महोत्सव है। ऐसे महापुरुष के जीवन से सीख लेकर हम अपने जीवन को आगे बढ़ाएं। यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने मंगलवार को अलोपी बाग स्थित शंकराचार्य आश्रम मेंआराधना महोत्सव में किया। मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने एक सप्ताह तक चलने वाले आराधना महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया।
अपराह्न दो बजे से प्रारंभ हुये इस महोत्सव में बड़ी संख्या मेंजुटे नगर के बुद्धिजीवियों तथा श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सरसंघचालक जी ने आगे कहा कि जीने की कला सिखाने वाले महापुरुषों की इस देश में कमी नहीं है। महापुरुषों की एक लंबी परंपरा हमारे देश में अखंड रूप से चली आ रही है। महापुरुषों के बताए रास्ते पर पांच कदम भी हम चल सके तो अच्छा होगा। पूरी सृष्टि को एकात्म भाव तथा समग्र दृष्टि से देखने की हमारी परंपरा है। हमारे पारिवारिक सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन को जागृत करने वाली यही मूल दृष्टि है ।
बाबा साहब डॉक्टर भीमराव रामजी आंबेडकर भी कहा करते थे कि धर्म और अध्यात्म के बिना सांसारिक व्यवस्थाएं नहीं चल सकती हैं। जीवन का सार तत्व ‘ब्रह्म सत्यम जगन्मिथ्या’ ही है। इस सत्य को जानने के बाद भी लोग सांसारिक धर्म निभा रहे हैं। सरसंघचालक ने इसके पूर्व ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती तथा ब्रह्मानंद सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा व्यासपीठ का पूजन किया। शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने सरसंघचालक जी को माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम प्रदान किया तथा श्री राम जन्मभूमि मंदिर की प्रतिमा तथा अभिनंदन ग्रंथ यश सिंधु पुस्तक भेंट कर उनका सम्मान किया ।मंच पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल श्री केशरी नाथ त्रिपाठी की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
इसके पूर्व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी ने महोत्सव के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए का कि पिछले 25 वर्षों से शांतानंद जी की स्मृति में यह उत्सव मनाया जा रहा है। सप्ताह व्यापी आराधना महोत्सव में 3 दिसंबर को स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती का जन्मोत्सव तथा राधामाधव का वार्षिक महोत्सव मनाया जाएगा 4 दिसंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी विष्णु देवानंद का जन्मो त्सव तथा 7 दिसंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती की विशेष आराधना होगी। उन्होंने मंच से श्री राम जन्मभूमि काशी विश्वनाथ मंदिर तथा श्री कृष्ण जन्मभूमि के जयकारे भी लगवाए।
टीकरमाफी मठ के हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने मंच पर अतिथियों का स्वागत किया तथा कहा कि अध्यात्म संस्कृति से दूर होते समाज को यह शंकराचार्य आश्रम एक नई दिशा दे रहा है। इस अवसर पर कवि शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल, सुरेश चंद्र श्रीवास्तव तथा पुलक जी को प्रशस्ति पत्र देकर सरसंघचालक जी ने सम्मानित किया। संचालन विश्व हिंदू परिषद के अशोक तिवारी ने किया। महोत्सव में संघ के क्षेत्र प्रचारक श्रीमान अनिल जी प्रांत प्रचारक रमेश जी सह प्रांत प्रचारक मुनीश जी के अतिरिक्त प्रोफेसर राज बिहारी जी राम चंद्र जी, डॉक्टर मुरार जी त्रिपाठी, विभाग प्रचारक डॉक्टर पीयूष जी,सह विभाग प्रचारक नितिन जी गंगा समग्र के संगठन मंत्री अंबरीश जी विहिप के अनिल कुमार पांडे साहित्यकार शीलधर शास्त्रीआदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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देश में महापुरुषों की लंबी परंपरा अखंड रूप से चली आ रही है। इस परंपरा को आगे बढ़ाने वालों में स्वामी शांतानंद सरस्वती महाराज थे, जिनका यह आराधना महोत्सव है। ऐसे महापुरुष के जीवन से सीख लेकर हम अपने जीवन को आगे बढ़ाएं। यह आह्वान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने मंगलवार को अलोपी बाग स्थित शंकराचार्य आश्रम मेंआराधना महोत्सव में किया। मुख्य अतिथि के रूप में उन्होंने एक सप्ताह तक चलने वाले आराधना महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया।