महंगाई में खाने का मेन्यू बदला: आगरा में महिलाएं सूझबूझ से कर रहीं बचत, यूपीआई एप भी फोन से हटाए

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सार

महिलाओं का मानना है कि नकदी से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से कई बार ज्यादा खर्चा हो जाता है। इसलिए फोन पे और गूगल पे जैसे एप भी मोबाइल से हटा दिए हैं।  

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बढ़ती महंगाई ने घरों का बजट बिगाड़ दिया है। इससे लोगों की थाली का स्वाद बिगड़ने लगा है। महंगाई में गृहस्थी की गाड़ी चलाना गृहणियों के लिए अब चुनौतीपूर्ण कार्य साबित हो गया है। इसकी वजह से अब वह अपनी सूझबूझ से घर के बजट में बचत कर रही हैं। इसके लिए कई ने अपने खाने का मेन्यू बदला है तो कई ने कुछ सामनों को बजट से बाहर किया है। साथ ही कई महिलाओं ने फोन पे और गूगल पे एप का उपयोग भी बंद कर दिया है। 

महंगाई का असर अब हर वर्ग पर पड़ने लगा है। लेकिन मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बिल्कुल गड़बड़ा गया है। पहले जिन घरों में दो लीटर दूध आ रहा था अब वह एक लीटर दूध में ही काम चला रहे हैं। इसके अलावा फलों से लेकर सब्जियों में भी कटौती की है। 

आगरा के बल्केश्वर निवासी ममता अग्रवाल का कहना है कि एक समय बढ़ती महंगाई का कम असर लग रहा था। लेकिन अब हर महीने दो से तीन हजार रुपये का बजट बढ़ जाता है। जहां पहले सब्जी और फल दो से तीन किलो आया करते थे अब वह महंगाई के चलते आधा से एक किलो ही मंगाती हूं। 

फोन पे और गूगल पे का उपयोग किया बंद

कुछ महिलाओं का मानना है कि नकदी से ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग की वजह से कई बार ज्यादा खर्चा हो जाता है। दरेसी की रहने वाली अनुपमा माथुर और सदर की रहने वाली सलोनी प्रजापति का कहना है कि कई बार सामान पसंद आने पर हम बिना ज्यादा सोच विचार के खरीद लेते हैं और फोन-पे या गूगल-पे से भुगतान कर देते हैं। तब तो परेशानी नहीं होती लेकिन बाद में बजट बिगड़ जाता है। इसलिए फोन पे, गूगल पे और पेटीएम आदि को मोबाइल फोन से हटा दिया। 

चाय पीने में की कटौती

शाहगंज निवासी उमा मेहता ने बताया कि उनके परिवार में छह सदस्य हैं। जो चाय के शौकीन है। दिनभर में कम से कम छह से सात बार चाय बनती थी। लेकिन दूध, चीनी और गैस आदि के दाम में लगातार हो रही वृद्धि की वजह से यह घटकर अब चार बार ही रह गई है। महंगाई की वजह से रसोई का बजट सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इसलिए कई चीजों में कटौती करनी पड़ रही है।

सोच समझकर लेती हूं सामान

न्यू आगरा निवासी प्रिया बंसल बताती है कि पहले मेरे पति बिना जरूरत के भी कई बार बाजार से चीजें ले आते थे कि घर में पड़ी रहेगी और कभी जरूरत पड़ने पर काम आ जाएगी। लेकिन अब मैं घर से लिस्ट बनाकर सामान लेने के लिए निकलती हूं। बहुत सोच समझकर सामान खरीदती हूं। 

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घर पर ही बनाती हूं चाऊमीन, बर्गर

अशोक नगर की रहने वाली अंजलि स्वरूप का कहना है। बच्चों को चाऊमीन, बर्गर, डोसा, इडली पसंद है। आए दिन बाहर खाने जाते थे या फिर घर पर मंगवा लेते थे। महंगाई बढ़ने से इन सब के भी दाम बढ़ गए। इसलिए अब घर पर ही बच्चों को यह सब बनाकर खिलाती हूं। 

महीने में एक ही बार जाते है बाहर खाने

भावना स्टेट की रहने वाली कुमुद पांडे कहती है कि बाहर खाना खाना बहुत पसंद है। पहले हम महीने में दो से तीन बार रेस्ट्रोरेंट में खाना खाने जाते थे। लेकिन अब ज्यादा से ज्यादा एक बार ही जाते हैं। महंगाई की वजह से बजट गड़बड़ा गया है। गृहस्थी चल जाए यही बहुत है। 

घर पर ही कर लेती हूं कपड़ों पर प्रेस

संजय प्लेस निवासी रितु गर्ग का कहना है कि वह पहले कपडे़ प्रेस करवाने के लिए बाहर देती थी। लेकिन अब समय निकालकर घर पर ही प्रेस कर लेती हूं। उनका कहना है कि बढ़ती महंगाई ने महीने का बजट बिगाड़ दिया है। ऐसे में बचत करना बहुत जरूरी हो गया है।

इस तरह कर रही बचत

  • पहले सामान लेने कार से जाती थी, लेकिन अब एक्टिवा से ही जाती हैं। 
  • बाहर के खाने की बजाय घर पर ही बना लेती चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा।
  • बच्चों के टिफिन में मैगी, पास्ता की जगह अब रख देती हैं दलिया।
  • ऑनलाइन शॉपिंग से बच रही हैं महिलाएं।
  • मक्खन, पनीर और महंगी सब्जियों की खरीद कम की।

विस्तार

बढ़ती महंगाई ने घरों का बजट बिगाड़ दिया है। इससे लोगों की थाली का स्वाद बिगड़ने लगा है। महंगाई में गृहस्थी की गाड़ी चलाना गृहणियों के लिए अब चुनौतीपूर्ण कार्य साबित हो गया है। इसकी वजह से अब वह अपनी सूझबूझ से घर के बजट में बचत कर रही हैं। इसके लिए कई ने अपने खाने का मेन्यू बदला है तो कई ने कुछ सामनों को बजट से बाहर किया है। साथ ही कई महिलाओं ने फोन पे और गूगल पे एप का उपयोग भी बंद कर दिया है। 

महंगाई का असर अब हर वर्ग पर पड़ने लगा है। लेकिन मध्यम वर्गीय परिवारों का बजट बिल्कुल गड़बड़ा गया है। पहले जिन घरों में दो लीटर दूध आ रहा था अब वह एक लीटर दूध में ही काम चला रहे हैं। इसके अलावा फलों से लेकर सब्जियों में भी कटौती की है। 

आगरा के बल्केश्वर निवासी ममता अग्रवाल का कहना है कि एक समय बढ़ती महंगाई का कम असर लग रहा था। लेकिन अब हर महीने दो से तीन हजार रुपये का बजट बढ़ जाता है। जहां पहले सब्जी और फल दो से तीन किलो आया करते थे अब वह महंगाई के चलते आधा से एक किलो ही मंगाती हूं। 

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