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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Tue, 08 Mar 2022 12:58 PM IST
सार
शिवा ने बताया कि मन में एक ख्याल आईएएस बनने का भी था लेकिन जब आईपीएस में चयन हुआ तब मन बदल गया। क्योंकि एहसास हुआ कि पुलिस में महिलाओं की जरूरत है।
आईपीएस अफसर शिवा सिंह
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
कक्षा तीन में थी तो एक कागज पर लिखा था कि एक दिन अफसर बनूंगी। मां साधना सिंह ने आज तक वह कागज संभाल कर रखा है। मन लगाकर पढ़ाई करती रही। तमाम मुश्किलें भी आईं लेकिन मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी। आखिर में साल 2020 खुशियों भरा रहा क्योंकि इसी साल सिविल सर्विसेज की परीक्षा में सफलता मिली। ये कहानी है 2020 बैच की आईपीएस अफसर शिवा सिंह की।
लखनऊ की रहने वाली शिवा वर्तमान में कानपुर पुलिस कमिश्नरी में ट्रेनिंग कर रही हैं। एक तरह से उनकी ये पहली पोस्टिंग है। करीब एक महीने तक गोविंद नगर थाने की थानेदार रहीं और अब वह डीएम कार्यालय से अटैच हैं। वहां की कार्यप्रणाली सीख रही हैं।
शिवा ने बताया कि मां कहती हैं कि ख्वाहिशों को लिखो, उसको हमेशा मन में रखो तो वह जरूर पूरी होती है। उनके पिता एसपी सिंह यूपी एग्रो विभाग में थे। काफी समय पहले ही उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद उन्होंने बिजनेस शुरू किया था लेकिन उसमें सफलता नहीं मिली थी। एक समय ऐसा आया था कि आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी। दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी के दौरान दोस्तों ने कोचिंग की एक बार फीस भी भरी थी।
इसलिए बनी आईपीएस
शिवा ने बताया कि मन में एक ख्याल आईएएस बनने का भी था लेकिन जब आईपीएस में चयन हुआ तब मन बदल गया। क्योंकि एहसास हुआ कि पुलिस में महिलाओं की जरूरत है। शिवा का मानना है कि महिला अपराध पर अंकुश लगाने व पीड़ितों से बेहतर तालमेल करने में महिला अफसर की बेहद अच्छी भूमिका होती है।
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