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Prayagraj News : राजेश बिंदल, मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट।
– फोटो : अमर उजाला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के 150वें स्थापना दिवस पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल न केवल बार के योगदानों के इतिहास को याद किया, बल्कि अधिवक्ताओं को उससे सीख लेने की नसीहत दी। कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एशिया के सबसे बड़े हाईकोर्ट होने के नाते इस पर जिम्मेदारी भी सबसे अधिक होती है। देश में न्यायिक क्षेत्र में कहीं भी कुछ हो रहा हो, सबसे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ देखा जाता है कि वहां क्या हो रहा है। इसलिए हाईकोर्ट की जिम्मेदारी भी बहुत बड़ी है।
इसके पहले मुख्य न्यायमूर्ति ने अपने शुरुआती संबोधन में देश की आजादी से लेकर अधिवक्ताओं के योगदानों को याद किया। कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी अधिवक्ता थे। इसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू भी अधिवक्ता थे। ऐसे में देश की सबसे बड़ी बार होने से हाईकोर्ट बार एसो. के अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। उन्होंने अधिवक्ताओं की पीठ थपथपाई।
कहा कि यहां के अधिवक्ता अपने वादियों के प्रति दृढ़ संकल्प हैं। अगर अदालतें देर तक वादों की सुनवाई कर रही हैं तो अधिवक्ता भी बैठकर अपने वादों की पैरवी करते हैं। उन्होंने अपने अनुभव को भी अधिवक्ताओं के साथ साझा किया। कहा कि हाल ही में दिवंगत हुए पूर्व केंद्रीय विधि मंत्री शांति भूषण के साथ भी काम करने का मौका मिला था। बहुत कुछ सीखने को मिला। आज के अधिवक्ताओं को भी अपने वरिष्ठों से अनुभवों को साझा करना चाहिए।
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