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सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : istock
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कॉरपोरेट की तर्ज पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर जिले के बदमाश अपना गिरोह संचालित कर रहे हैं। देवा, महाकाल, गैंगस्टर, एके-47, गुंडों की टोली, एम के लिए काम जैसे नामों से संचालित हो रहे इन व्हाट्सएप ग्रुप के सदस्यों की संख्या 50 से 60 तक है। किसी भी आपराधिक घटना को अंजाम देने के लिए ग्रुप एडमिन की तरफ से मैसेज फ्लैश किया जाता है। चंद मिनटों में ही ग्रुप के सदस्य तय जगह पर पहुंच जाते हैं और गैंगवार शुरू हो जाती है। हैरत की बात यह है कि पुलिस खुद स्वीकार कर रही है कि व्हाट्सएप पर इस तरह के 10 ग्रुप संचालित किए जा रहे हैं, इसके बावजूद साइबर सेल सो रहा है।
फिलहाल स्थिति यह है कि वारदात के बाद पुलिस कुछ दिन तक सक्रिय होती है, लेकिन फिर निगरानी बंद कर दी जाती है और फाइल को फिर तब खोला जाता है, जब दूसरी वारदात हो जाती है। गोरखपुर जिले के बेलघाट का एक शख्स मध्य प्रदेश के उज्जैन से असलहे मंगाकर बेचने के आरोप में पकड़ा गया था। तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर घटना का पर्दाफाश किया था, तब पहली बार कई ग्रुप के नाम सामने आए थे।
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24 मई 2020 को खोराबार के रामनगर कड़जहां गांव के चचेरे भाई दिवाकर निषाद और कृष्णा की झंगहा के गौरीघाट बांध के किनारे गोली मारकर हत्या की गई थी। बदमाशों ने दावत के बहाने बुलावा कर वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने इस मामले में 12 आरोपियों को जेल भेजा था, जिसके बाद महाकाल ग्रुप और बिच्छू ग्रुप का नाम सामने आया था। तब पुलिस से पकड़े दो युवकों ने बताया कि उन्हें यही मालूम था कि सिर्फ भाइयों को डराना है। वह शराब लेने गए थे और आने के बाद हत्या हो चुकी था। मगर, बुलाने से लेकर शराब पिलाने तक में उनकी भूमिका थी, इस वजह से जेल गए।
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