यूक्रेन में फंसे कुलदीप और श्रुति ने बयां की दहशत

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उन्नाव। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने जिले के दो परिवारों की नींद उड़ा दी है। नवाबगंज ब्लाक के कुईथर गांव निवासी कुलदीप यूक्रेन के ओडेसा शहर में फंसे हैं। वहीं पुरवा कस्बा निवासी श्रुति कार्किव ईस्ट में फंसी हैं। परिजनों ने बच्चों से फोन पर बात कर उनका हालचाल लिया। वह बात करते-करते फफक पड़े।
लगातार गोलीबारी से दहशत, भोजन-पानी नहीं
– यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र ने बताया हाल
नवाबगंज। ब्लॉक क्षेत्र के गांव कुईथर निवासी पूर्व प्रधान जगन्नाथ प्रसाद का पुत्र कुलदीप (28) यूक्रेन के ओडेसा शहर में स्थित ओडेसा नेशनल यूनिवर्सिटी से जनरल सर्जन की पढ़ाई कर रहा है। जगन्नाथ ने बताया कि कुलदीप के साथ लखनऊ, वाराणसी सहित अन्य शहरों के सात छात्र एक बंकर में दो दिन से छिपे हैं। पिता ने बताया कि वहां मोबाइल चार्ज करने और भोजन-पानी तक की समस्या है। काफी प्रयास के बाद शुक्रवार को वीडियो कॉल पर कुलदीप ने वहां के हाल बताए। वहां लगातार गोलाबारी हो रही है। सड़कों पर सेना के टैंक घूम रहे हैं। दहशत का माहौल है। भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय के साथ पीएमओ से संपर्क करने पर बताया गया कि जल्द ही उन लोगों को किसी पड़ोसी देश के रास्ते निकाला जाएगा। हवाई टिकट भी 27 हजार से बढ़कर 70 हजार की हो गई है। कागजात लेकर रोमानिया और हालैंड की सीमा पर पहुंचाया जाएगा। मां धन्नो देवी, भाई जगदीश प्रसाद और भाभी उसके बारे में सोचकर रो पड़ती हैं।
छोटे से बंकर में छिपे 300 छात्र
– छात्रा ने बताया गर्दन सीधी करना भी मुश्किल
पुरवा। पुरवा कस्बा निवासी सेवानिवृत्त डॉक्टर सी कुट्टी की पौत्री श्रुति भी यूक्रेन में फंसी है। वह कार्किव ईस्ट शहर स्थित यूनिवर्सिटी से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का कोर्स कर रही है। सी कुट्टी ने बताया कि बेटा अरुण कुमार कुवैत की अलनासर एक्सपोर्ट कंपनी में मैनेजर है। श्रुति की दादी ने बताया कि 13 दिसंबर 2021 को ही पौत्री को वहां भेजा था। बताया कि पांच साल का कोर्स और एक साल की स्पेशल ट्रेनिंग होनी है। श्रुति से शुक्रवार दोपहर बात हुई थी। उसने बताया कि छोटे से बंकर में करीब 300 छात्र रखे गए हैं। बंकर की ऊंचाई इतनी कम है कि गर्दन सीधी नहीं कर पा रहे। उसने रोते हुए बताया कि यहां खान-पानी की भी किल्लत हो रही है। बेटी को वहां से निकालने के लिए पिता अरुण ने कुवैत से ही प्रधानमंत्री कार्यालय और दूतावास से संपर्क किया है। अधिकारियों ने जल्द सभी भारतीयों को वहां से निकालने का आश्वासन दिया है।

यह भी पढ़ें -  जाम, तोड़फोड़ पुलिस से धक्कामुक्की में 154 पर रिपोर्ट

उन्नाव। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने जिले के दो परिवारों की नींद उड़ा दी है। नवाबगंज ब्लाक के कुईथर गांव निवासी कुलदीप यूक्रेन के ओडेसा शहर में फंसे हैं। वहीं पुरवा कस्बा निवासी श्रुति कार्किव ईस्ट में फंसी हैं। परिजनों ने बच्चों से फोन पर बात कर उनका हालचाल लिया। वह बात करते-करते फफक पड़े।

लगातार गोलीबारी से दहशत, भोजन-पानी नहीं

– यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र ने बताया हाल

नवाबगंज। ब्लॉक क्षेत्र के गांव कुईथर निवासी पूर्व प्रधान जगन्नाथ प्रसाद का पुत्र कुलदीप (28) यूक्रेन के ओडेसा शहर में स्थित ओडेसा नेशनल यूनिवर्सिटी से जनरल सर्जन की पढ़ाई कर रहा है। जगन्नाथ ने बताया कि कुलदीप के साथ लखनऊ, वाराणसी सहित अन्य शहरों के सात छात्र एक बंकर में दो दिन से छिपे हैं। पिता ने बताया कि वहां मोबाइल चार्ज करने और भोजन-पानी तक की समस्या है। काफी प्रयास के बाद शुक्रवार को वीडियो कॉल पर कुलदीप ने वहां के हाल बताए। वहां लगातार गोलाबारी हो रही है। सड़कों पर सेना के टैंक घूम रहे हैं। दहशत का माहौल है। भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय के साथ पीएमओ से संपर्क करने पर बताया गया कि जल्द ही उन लोगों को किसी पड़ोसी देश के रास्ते निकाला जाएगा। हवाई टिकट भी 27 हजार से बढ़कर 70 हजार की हो गई है। कागजात लेकर रोमानिया और हालैंड की सीमा पर पहुंचाया जाएगा। मां धन्नो देवी, भाई जगदीश प्रसाद और भाभी उसके बारे में सोचकर रो पड़ती हैं।

छोटे से बंकर में छिपे 300 छात्र

– छात्रा ने बताया गर्दन सीधी करना भी मुश्किल

पुरवा। पुरवा कस्बा निवासी सेवानिवृत्त डॉक्टर सी कुट्टी की पौत्री श्रुति भी यूक्रेन में फंसी है। वह कार्किव ईस्ट शहर स्थित यूनिवर्सिटी से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का कोर्स कर रही है। सी कुट्टी ने बताया कि बेटा अरुण कुमार कुवैत की अलनासर एक्सपोर्ट कंपनी में मैनेजर है। श्रुति की दादी ने बताया कि 13 दिसंबर 2021 को ही पौत्री को वहां भेजा था। बताया कि पांच साल का कोर्स और एक साल की स्पेशल ट्रेनिंग होनी है। श्रुति से शुक्रवार दोपहर बात हुई थी। उसने बताया कि छोटे से बंकर में करीब 300 छात्र रखे गए हैं। बंकर की ऊंचाई इतनी कम है कि गर्दन सीधी नहीं कर पा रहे। उसने रोते हुए बताया कि यहां खान-पानी की भी किल्लत हो रही है। बेटी को वहां से निकालने के लिए पिता अरुण ने कुवैत से ही प्रधानमंत्री कार्यालय और दूतावास से संपर्क किया है। अधिकारियों ने जल्द सभी भारतीयों को वहां से निकालने का आश्वासन दिया है।

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