यूपी चुनाव: क्या पीएम मोदी के गढ़ में प्रियंका लगा पाएंगी सेंध? चार मार्च को वाराणसी में राहुल-प्रियंका की संयुक्त रैली

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सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी की शुरुआत के बाद कभी कांग्रेस का गढ़ रही वाराणसी नगरी में भाजपा का भगवा लहराने लगा। भाजपा ने यहां लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी बेहद शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन पिछले कुछ समय से वाराणसी में भी सरकार विरोधी रुख की आशंका जताई जा रही है।

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राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चार मार्च को वाराणसी के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र में संयुक्त रूप से एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके अलावा प्रियंका गांधी तीन मार्च को रामनगर में एक जनसभा को संबोधित करेंगी और रोहनिया विधानसभा में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में रोड शो निकालेंगी। कांग्रेस वाराणसी में अपनी खोई जमीन को वापस पाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है और राहुल-प्रियंका की रैली से वाराणसी में पार्टी की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी की शुरुआत के बाद कभी कांग्रेस का गढ़ रही वाराणसी नगरी में भाजपा का भगवा लहराने लगा। भाजपा ने यहां लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी बेहद शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन पिछले कुछ समय से वाराणसी में भी सरकार विरोधी रुख की आशंका जताई जा रही है। काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत से इस क्षेत्र में पार्टी के लिए फिर से उम्मीदें दिखाई पड़ रही हैं।

माना जा रहा है कि पिंडरा से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय इस चुनाव में बेहद मजबूत लड़ाई लड़ रहे हैं और वे वहां से जीत दर्ज कर सकते हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता राजेश मिश्रा बनारस कैंट से चुनावी मैदान में हैं। ब्राह्मण चेहरे के रूप में उतरे राजेश मिश्रा की शहर के आम निवासियों से भी व्यक्तिगत तौर पर पुरानी जान-पहचान रही है। बताया जा रहा है कि सत्ता विरोधी रुझान और ब्राह्मण उम्मीदवारों की नाव पर सवार राजेश मिश्रा इस बार यहां से अपनी जीत दर्ज कर कांग्रेस को मजबूत कर सकते हैं।

वाराणसी की रोहनिया सीट से राजेश्वर पटेल चुनाव मैदान में हैं। सामान्य से चेहरे पटेल ने यहां के जातीय समीकरणों को बेहद खूबसूरती के साथ साध रखा है। यहां उन्हें ब्राह्मण, कुर्मी-पटेल और निषाद समुदाय का भरपूर समर्थन मिलता बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस सीट पर भी कांग्रेस को जीत हासिल हो सकती है।

वाराणसी की तीन सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर समाजवादी पार्टी अच्छी लड़ाई लड़ती बताई जा रही है। यानी आठ सीटों में लगभग पांच सीटों पर अभी से विपक्ष भारी पड़ता दिख रहा है तो बाकी की तीन सीटों पर भी भाजपा विधायकों को एंटी इनकमबेंसी फैक्टर का जबरदस्त सामना करना पड़ रहा है। यदि वाराणसी की सीटों पर भाजपा उम्मीदवार हार का सामना करते हैं तो इससे पीएम की छवि पर भी असर पड़ सकता है। संभवतः यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां लगातार तीन दिन कैंप कर पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे। अंतिम समय में पीएम की यह रणनीति वाराणसी में कितनी कामयाब रहेगी, यह देखने वाली बात होगी।   

लगातार सक्रिय रहीं प्रियंका
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पार्टी के स्टार प्रचारक विश्वविजय सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी केवल चुनाव के समय नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव के समय से ही लगातार मेहनत कर रही हैं। वे लगातार वाराणसी आती रही हैं और लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क बनाती रही हैं। कभी किसानों के मुद्दे पर तो कभी निषादों के मुद्दे पर वे न केवल आवाज उठाती रही हैं, बल्कि उसके लिए यात्राएं निकालकर लोगों का ध्यान खींचा है। इसी प्रकार जब वाराणसी में विकास के नाम पर गंगा की प्राकृतिक धारा को मोड़ने का प्रयास हुआ और संतों ने उसका विरोध किया तो प्रियंका गांधी उनकी भी आवाज बनकर उभरीं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि छात्रसंघ चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत यह बताती है कि यहां के युवाओं में पार्टी के लिए फिर से एक अच्छी सोच विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि इसका असर चुनाव परिणामों पर भी अवश्य पड़ेगा और कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में वाराणसी के साथ-साथ पूरे प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करेगी।

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विस्तार

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी चार मार्च को वाराणसी के पिंडरा विधानसभा क्षेत्र में संयुक्त रूप से एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके अलावा प्रियंका गांधी तीन मार्च को रामनगर में एक जनसभा को संबोधित करेंगी और रोहनिया विधानसभा में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में रोड शो निकालेंगी। कांग्रेस वाराणसी में अपनी खोई जमीन को वापस पाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है और राहुल-प्रियंका की रैली से वाराणसी में पार्टी की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक पारी की शुरुआत के बाद कभी कांग्रेस का गढ़ रही वाराणसी नगरी में भाजपा का भगवा लहराने लगा। भाजपा ने यहां लोकसभा चुनावों के साथ-साथ विधानसभा चुनावों में भी बेहद शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन पिछले कुछ समय से वाराणसी में भी सरकार विरोधी रुख की आशंका जताई जा रही है। काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत से इस क्षेत्र में पार्टी के लिए फिर से उम्मीदें दिखाई पड़ रही हैं।

माना जा रहा है कि पिंडरा से कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय इस चुनाव में बेहद मजबूत लड़ाई लड़ रहे हैं और वे वहां से जीत दर्ज कर सकते हैं। इसी प्रकार कांग्रेस के पुराने दिग्गज नेता राजेश मिश्रा बनारस कैंट से चुनावी मैदान में हैं। ब्राह्मण चेहरे के रूप में उतरे राजेश मिश्रा की शहर के आम निवासियों से भी व्यक्तिगत तौर पर पुरानी जान-पहचान रही है। बताया जा रहा है कि सत्ता विरोधी रुझान और ब्राह्मण उम्मीदवारों की नाव पर सवार राजेश मिश्रा इस बार यहां से अपनी जीत दर्ज कर कांग्रेस को मजबूत कर सकते हैं।

वाराणसी की रोहनिया सीट से राजेश्वर पटेल चुनाव मैदान में हैं। सामान्य से चेहरे पटेल ने यहां के जातीय समीकरणों को बेहद खूबसूरती के साथ साध रखा है। यहां उन्हें ब्राह्मण, कुर्मी-पटेल और निषाद समुदाय का भरपूर समर्थन मिलता बताया जा रहा है। माना जा रहा है कि इस सीट पर भी कांग्रेस को जीत हासिल हो सकती है।

वाराणसी की तीन सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर समाजवादी पार्टी अच्छी लड़ाई लड़ती बताई जा रही है। यानी आठ सीटों में लगभग पांच सीटों पर अभी से विपक्ष भारी पड़ता दिख रहा है तो बाकी की तीन सीटों पर भी भाजपा विधायकों को एंटी इनकमबेंसी फैक्टर का जबरदस्त सामना करना पड़ रहा है। यदि वाराणसी की सीटों पर भाजपा उम्मीदवार हार का सामना करते हैं तो इससे पीएम की छवि पर भी असर पड़ सकता है। संभवतः यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां लगातार तीन दिन कैंप कर पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे। अंतिम समय में पीएम की यह रणनीति वाराणसी में कितनी कामयाब रहेगी, यह देखने वाली बात होगी।   

लगातार सक्रिय रहीं प्रियंका

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पार्टी के स्टार प्रचारक विश्वविजय सिंह ने कहा कि प्रियंका गांधी केवल चुनाव के समय नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव के समय से ही लगातार मेहनत कर रही हैं। वे लगातार वाराणसी आती रही हैं और लोगों से व्यक्तिगत स्तर पर संपर्क बनाती रही हैं। कभी किसानों के मुद्दे पर तो कभी निषादों के मुद्दे पर वे न केवल आवाज उठाती रही हैं, बल्कि उसके लिए यात्राएं निकालकर लोगों का ध्यान खींचा है। इसी प्रकार जब वाराणसी में विकास के नाम पर गंगा की प्राकृतिक धारा को मोड़ने का प्रयास हुआ और संतों ने उसका विरोध किया तो प्रियंका गांधी उनकी भी आवाज बनकर उभरीं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि छात्रसंघ चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत यह बताती है कि यहां के युवाओं में पार्टी के लिए फिर से एक अच्छी सोच विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि इसका असर चुनाव परिणामों पर भी अवश्य पड़ेगा और कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में वाराणसी के साथ-साथ पूरे प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन करेगी।

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