यूपी चुनाव: पूर्वांचल में सहयोगी दलों की सीटों पर लामबंदी सपा के लिए चुनौती, पार्टी ने विधानसभा क्षेत्रवार वरिष्ठ नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी

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सार

पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी के सामने सहयोगी दलों के  लिए लामबंदी चुनौती बन गया है। पार्टी मुख्यालय से इन सभी विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों एवं जिला कमेटी को निर्देश दिया गया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के घोषणा पत्र को अनिवार्य रूप से पहुंचाया जाए। पार्टी के ब्लॉक से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को यह समझाया जाए कि गठबंधन में शामिल दलों का जीतना उतना ही जरूरी है

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पूर्वांचल में सपा के सामने सहयोगी दलों के  लिए लामबंदी बनाए रखना चुनौती बन गया है। इससे निपटने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने विधानसभा क्षेत्रवार पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है और उन्हें पूरी तत्परता से जुटने के निर्देश दिए हैं। पार्टी की ओर से सहयोगी दलों को दी गई 22 सीटों में पिछले चुनाव में पांच पर सपा तीसरे स्थान पर रही है। 

जिन सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी अपने चुनाव चिह्न पर मैदान में हैं। वहां सपा के दावेदारों में नाराजगी भी है। इसका अंदाजा लगते ही सपा ने नई रणनीति तैयार की है। पार्टी ने संबंधित जिलों के वरिष्ठ नेताओं को गठबंधन वाले प्रत्याशियों के सिंबल पर वोट ट्रांसफर कराने का निर्देश दिया है। 

पार्टी मुख्यालय से इन सभी विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों एवं जिला कमेटी को निर्देश दिया गया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के घोषणा पत्र को अनिवार्य रूप से पहुंचाया जाए। पार्टी के ब्लॉक से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को यह समझाया जाए कि गठबंधन में शामिल दलों का जीतना उतना ही जरूरी है, जितना साइकिल सिंबल वाले उम्मीदवारों का। इसके लिए पार्टी नेताओं को बूथवार बैठक करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

साख पर भी सवाल
गठबंधन में शामिल दलों को जीत के लिए सपा का परंपरागत वोट मिलना जरूरी है। इसी आधार पर भविष्य की रणनीति भी तैयार होगी। इस चुनाव में गठबंधन दलों को कम वोट मिला तो सपा की साख पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में सपा किसी तरह की चूक नहीं होने देना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि पार्टी का हर पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, जिला कमेटी सहित सभी पदाधिकारी पूरी तत्परता से बूथ पर डटे रहें और गठबंधन में शामिल दलों को साथ लेकर चुनाव संचालन समिति का गठन करें और पार्टी के परंपरागत वोटों को सहेजें।
सपा ने मध्य और पूर्वांचल की 18 सीटें सुभासपा और चार अपना दल (कमेरावादी) को दी है। इसमें ज्यादातर सीटों पर छठवें व सातवें चरण में चुनाव है। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर जहूराबाद से मैदान में हैं। पिछले चुनाव में यहां सपा तीसरे स्थान पर थी। रसड़ा, खड्डा, शोहरतगढ़, महादेवा में भी पार्टी तीसरे स्थान पर रही है। 

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मऊ से मुख्तार अंसारी बसपा के टिकट पर विधायक बने थे और यहां सुभासपा के महेंद्र दूसरे स्थान पर थे। अब यहां मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी सुभासपा से मैदान में हैं। अपना दल कमेरावादी को चार सीटें दी गई हैं। इसमें प्रतापगढ़ में कृष्णा पटेल मैदान में हैं। यहां पिछले चुनाव में सपा दूसरे स्थान पर थी। 

पिंडरा में सपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीदवार अजय राय तीसरे स्थान पर रहे थे। इस बार अजय कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। रोहनिया व चुनार में सपा दूसरे स्थान पर थी। यह दोनों सीटें अद कमेरावादी के पास हैं।

विस्तार

पूर्वांचल में सपा के सामने सहयोगी दलों के  लिए लामबंदी बनाए रखना चुनौती बन गया है। इससे निपटने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने विधानसभा क्षेत्रवार पार्टी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है और उन्हें पूरी तत्परता से जुटने के निर्देश दिए हैं। पार्टी की ओर से सहयोगी दलों को दी गई 22 सीटों में पिछले चुनाव में पांच पर सपा तीसरे स्थान पर रही है। 

जिन सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी अपने चुनाव चिह्न पर मैदान में हैं। वहां सपा के दावेदारों में नाराजगी भी है। इसका अंदाजा लगते ही सपा ने नई रणनीति तैयार की है। पार्टी ने संबंधित जिलों के वरिष्ठ नेताओं को गठबंधन वाले प्रत्याशियों के सिंबल पर वोट ट्रांसफर कराने का निर्देश दिया है। 

पार्टी मुख्यालय से इन सभी विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारियों एवं जिला कमेटी को निर्देश दिया गया है कि हर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी के घोषणा पत्र को अनिवार्य रूप से पहुंचाया जाए। पार्टी के ब्लॉक से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को यह समझाया जाए कि गठबंधन में शामिल दलों का जीतना उतना ही जरूरी है, जितना साइकिल सिंबल वाले उम्मीदवारों का। इसके लिए पार्टी नेताओं को बूथवार बैठक करने के भी निर्देश दिए गए हैं।

साख पर भी सवाल

गठबंधन में शामिल दलों को जीत के लिए सपा का परंपरागत वोट मिलना जरूरी है। इसी आधार पर भविष्य की रणनीति भी तैयार होगी। इस चुनाव में गठबंधन दलों को कम वोट मिला तो सपा की साख पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में सपा किसी तरह की चूक नहीं होने देना चाहती है। यही वजह है कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने सभी जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि पार्टी का हर पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, जिला कमेटी सहित सभी पदाधिकारी पूरी तत्परता से बूथ पर डटे रहें और गठबंधन में शामिल दलों को साथ लेकर चुनाव संचालन समिति का गठन करें और पार्टी के परंपरागत वोटों को सहेजें।

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