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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Wed, 27 Apr 2022 12:21 AM IST
सार
आईआईटी स्वचालित खगोलीय नेवीगेशन प्रणाली, एक्सपेंडेबल एक्टिव डिकॉय, पहाड़ी इलाके या ऊंचाई वाले स्थानों के लिए सिग्नल इंटेलीजेंस सिस्टम, एडवांस्ड इमेजिंग, सेंसर सिस्टम, बिग डाटा एनालिटिक्स, ऑटोनॉमस अनमैंड सिस्टम समेत कई तकनीकें विकसित करेगा।
आईआईटी कानपुर
– फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सीमा पर दुश्मनों की बिछाई माइंस (बारूदी सुरंग) के बारे में अब सेना को जानकारी मिल सकेगी। यह तकनीक विकसित करने की जिम्मेदारी अब आईआईटी के वैज्ञानिकों को दी गई है। आईआईटी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बेस यूएवी (अनमैन्ड आर्म व्हीकल) विकसित करेगा। इसके अलावा सेना की 38 अन्य समस्याओं का निदान भी आईआईटी करेगा। इन तकनीकों को विकसित करने के लिए आईआईटी के स्टार्टअप इंक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) का रक्षा मंत्रालय के रक्षा नवाचार संगठन के बीच एमओयू हुआ है।
इसके तहत स्टार्टअप को विकसित करने के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट दिया जाएगा। नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में 22 अप्रैल को फ्लैगशिप प्रोग्राम आईडेक्स प्राइम के लिए पार्टनर के रूप में आईआईटी के एसआईआईसी का रक्षा नवाचार संगठन के साथ समझौता हुआ था।
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