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इलाहाबाद हाईकोर्ट की समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी और कंप्यूटर सहायक भर्ती परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को राहत मिली है। कोर्ट ने मामले में दाखिल 63 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए उसे पोषणीय नहीं माना और उन्हें खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि चयन परीक्षा में शामिल होने के बाद असफल होने पर भर्ती को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। चयन में असफल अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने महानिबंधक की तरफ से दाखिल इलाहाबाद हाईकोर्ट, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और दर्जनों अन्य की अपील मंजूर कर ली है और एकल पीठ के 6 अप्रैल 2022 को पारित आदेश को रद कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ के आदेश के बाद याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समीक्षा अधिकारी 55, सहायक समीक्षा अधिकारी 344, कंप्यूटर सहायक के 15 पदों की भर्ती निकाली थी। ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। क्षैतिज आरक्षण भी दिया गया। परीक्षा के मुख्य अंक के आधार पर मेरिट लिस्ट जारी की गई। दशमलव अंक नहीं लिए गए। 1.75 अंक पर एक अंक माना गया। दो अंक नहीं माना गया। टाइपिंग टेस्ट में न्यूनतम क्वालीफाई स्पीड से सूची तैयार की गई।
जिसको लेकर याचिकाएं दायर की गईं। एकलपीठ ने चयन प्रक्रिया को सही माना लेकिन मेरिट लिस्ट बनाने को सही नहीं माना और नये सिरे से मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश दिया। इसी आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने सभी पहलुओं पर विचार किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के विधि सिद्धांतों को अपनाते हुए याचिकाओं को पोषणीय नहीं माना।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट की समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी और कंप्यूटर सहायक भर्ती परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को राहत मिली है। कोर्ट ने मामले में दाखिल 63 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए उसे पोषणीय नहीं माना और उन्हें खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि चयन परीक्षा में शामिल होने के बाद असफल होने पर भर्ती को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। चयन में असफल अभ्यर्थी को चयन प्रक्रिया को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
हाईकोर्ट ने महानिबंधक की तरफ से दाखिल इलाहाबाद हाईकोर्ट, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और दर्जनों अन्य की अपील मंजूर कर ली है और एकल पीठ के 6 अप्रैल 2022 को पारित आदेश को रद कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ के आदेश के बाद याचिकाओं की बाढ़ सी आ गई।
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